‘कान्हा की कहानी’ नाटक का मंचन त्रिकर्शी नाट्य संस्था के 30 कलाकारों द्वारा किया गया था। इस नाटक में भगवान कृष्ण के जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण प्रसंगों को जीवंत किया गया, जिनमें कंस वध, पूतना वध, कालिया नाग मर्दन और गोवर्धन पर्वत उठाने जैसे दृश्य शामिल थे। इन सभी दृश्यों को कलाकारों ने इतनी कुशलता से प्रस्तुत किया कि दर्शक अपने स्थान से बंधे रह गए और हर दृश्य पर तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी।
नाटक के मुख्य आकर्षण
नाटक का आरंभ भगवान कृष्ण के जन्म के दृश्य से हुआ, जिसमें जेल में जन्मे बालकृष्ण को वसुदेव द्वारा यमुना नदी पार कर गोकुल में नंद बाबा के घर ले जाने की कहानी को दिखाया गया। इस दृश्य ने दर्शकों को भगवान कृष्ण के जन्म की पौराणिक कथा की याद दिला दी। इसके बाद पूतना वध का दृश्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें भगवान कृष्ण ने बाल अवस्था में ही पूतना राक्षसी का वध किया था। इस दृश्य में कलाकारों ने अपनी अदाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कालिया नाग मर्दन का दृश्य भी नाटक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। इस दृश्य में भगवान कृष्ण ने यमुना नदी में रहने वाले कालिया नाग का वध कर उसे वहां से भगा दिया था। इस दृश्य को देखकर दर्शकों ने खूब तालियां बजाईं और कलाकारों की सराहना की। नाटक का अंतिम और सबसे प्रभावशाली दृश्य गोवर्धन पर्वत उठाने का था, जिसमें भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुल वासियों को भारी बारिश से बचाया था। इस दृश्य को देखकर दर्शक भावविभोर हो गए और नाटक की सफलता की गूंज पूरे हॉल में सुनाई दी।
इस विशेष कार्यक्रम का आयोजन पूरी तरह से एफटीएस युवा भोपाल द्वारा किया गया था। एफटीएस युवा भोपाल, जो कि सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेता है, ने इस नाटक के माध्यम से जन्माष्टमी के पर्व को और भी विशेष बना दिया। इस कार्यक्रम में एफटीएस युवा इंडिया की चेयरपर्सन, नेहा मित्तल, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। उन्होंने नाटक की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा एफटीएस युवा भोपाल ने इस नाटक के माध्यम से जन्माष्टमी के पर्व को विशेष बना दिया है। इस प्रकार के आयोजन न केवल हमारी संस्कृति को संरक्षित करते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी इससे जोड़ते हैं।
एफटीएस युवा भोपाल की अध्यक्ष, अपर्णा बंसल ने भी इस सफल आयोजन पर गर्व जताया और इसे सभी आयोजकों और प्रतिभागियों के सामूहिक प्रयास का परिणाम बताया। उन्होंने कहा हमने इस नाटक के आयोजन के लिए काफी मेहनत की थी और हमारे सभी प्रयासों का फल आज हमें मिला है। यह नाटक हमारी सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत चित्रण है और हम इसे भविष्य में और भी भव्य तरीके से प्रस्तुत करने का प्रयास करेंगे।
कार्यक्रम की तैयारी के लिए एफटीएस युवा भोपाल ने 10 दिवसीय थिएटर कार्यशाला का आयोजन भी किया था, जिसमें 5 से 16 वर्ष के बच्चों को नाटक में अपनी भूमिका निभाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया। इन बच्चों ने अपने अद्भुत अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया और नाटक को और भी जीवंत बना दिया। बच्चों की मासूमियत और उनके अभिनय कौशल ने नाटक में चार चांद लगा दिए।
थिएटर कार्यशाला का आयोजन एफटीएस युवा भोपाल के थिएटर विशेषज्ञों द्वारा किया गया था, जिन्होंने बच्चों को न केवल अभिनय के गुर सिखाए, बल्कि उन्हें मंच पर अपने प्रदर्शन को और भी बेहतर बनाने के लिए प्रेरित किया। बच्चों ने इस कार्यशाला में बड़े उत्साह के साथ भाग लिया और अपने अभिनय कौशल को निखारने के लिए जी-जान से मेहनत की।
इस नाटक को देखने आए दर्शकों ने भी अपने विचार साझा किए। एक दर्शक, सुनीता शर्मा ने कहा यह नाटक बहुत ही शानदार था। कलाकारों ने भगवान कृष्ण की लीलाओं को जिस प्रकार से मंच पर जीवंत किया, वह देखने लायक था। मैं अपने बच्चों के साथ आई थी और उन्होंने भी इस नाटक का भरपूर आनंद लिया।
दूसरे दर्शक, राजेश कुमार ने कहा मुझे इस नाटक ने मेरे बचपन की याद दिला दी, जब हम टीवी पर भगवान कृष्ण की लीलाओं को देखते थे। इस नाटक ने उन पुरानी यादों को फिर से ताजा कर दिया। एफटीएस युवा भोपाल का यह प्रयास सराहनीय है।
‘कान्हा की कहानी’ की इस भव्य प्रस्तुति ने न केवल जन्माष्टमी के पर्व को एक नई ऊंचाई दी, बल्कि एफटीएस युवा भोपाल की सांस्कृतिक पहलों में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ दिया। इस नाटक के माध्यम से एफटीएस युवा भोपाल ने यह साबित कर दिया कि वह केवल सामाजिक सेवा के क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और बढ़ावा देने में भी अग्रणी है।
आने वाले समय में एफटीएस युवा भोपाल ऐसे और भी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करेगा, जिससे हमारी नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और परंपराओं के महत्व को समझने का मौका मिलेगा। इस नाटक ने जन्माष्टमी के पर्व को एक यादगार अनुभव बना दिया, जिसे भोपाल के दर्शक लंबे समय तक याद रखेंगे।
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