तुमसे

तुमसे प्यारा कौन हमको..., जैसे सदाबहार गीतों से सजी संगीत की सुरीली शाम

सिम्फनी और तरंग सांस्कृतिक मंच द्वारा संगीत संध्या का शहीद भवन में किया गया आयोजन

भोपाल। शहीद भवन के रंगमंच पर सिम्फनी और तरंग सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित एक विशेष संगीत कार्यक्रम में संगीत प्रेमियों ने विभिन्न प्रचलित तालों पर आधारित फिल्मी गीतों का आनंद लिया। इस संगीतमय शाम ने संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया, जहां किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, लता मंगेशकर और अन्य महान गायकों के गीतों की प्रस्तुतियों ने दर्शकों के दिलों को छू लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल श्रोताओं को मनोरंजन प्रदान करना था, बल्कि उन्हें भारतीय संगीत की विभिन्न तालों की विशेषताओं से भी अवगत कराना था।

कार्यक्रम की शुरुआत में संगीत के विशेषज्ञों ने तालों के महत्व और उनके विविध स्वरूपों पर प्रकाश डाला। विभिन्न तालों जैसे कहरवा, दादरा, रूपक, तीनताल, झपताल और दीपचंदी को समझाते हुए संगीत प्रेमियों को बताया गया कि ये तालें भारतीय शास्त्रीय संगीत का मूल आधार हैं और इनकी अपनी-अपनी विशिष्टताएं हैं। संगीत में तालों का विशेष महत्व होता है, जो गीत की धुन और लय को अद्वितीय बनाता है।

कार्यक्रम में कई जाने-माने कलाकारों ने अपने मधुर सुरों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। इंजी. सुनील डेहरिया ने किशोर कुमार का लोकप्रिय गीत ये जो मुहब्बत है..., गाकर माहौल को सुरीला बना दिया। इंजी. दीनदयाल ने केजे येशुदास का प्रसिद्ध गीत का करूं सजनी आये न बालम..., प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर दर्शक भावविभोर हो गए। इसके बाद राजकुमार ने शेलेन्द्र सिंग का गया हुआ गीत होगा तुमसे प्यार कौन हमको..., गाया जिसने श्रोताओं को तालियों की गड़गड़ाहट में झूमने पर मजबूर कर दिया।


कार्यक्रम में जवाहर ने किशोर कुमार का गीत जिंदगी आ रहा हूं मैं..., प्रस्तुत किया, जो जीवन की सकारात्मकता और ऊर्जा को दर्शाता है। इसके बाद हार्दिक देव ने मोहम्मद रफी का प्रसिद्ध गीत दिल का भंवर करे..., गाकर श्रोताओं को रोमांचित कर दिया। डॉ. मीना गर्ग ने लता मंगेशकर का गीत होठों पर ऐसी बात..., प्रस्तुत किया जिसमें उनकी सुरीली आवाज ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम के अगले चरण में, संघमित्रा ने गीत जाने क्यों लोग मुहब्बत..., गाया, जिसे सुनकर दर्शक भावविभोर हो गए। अनमोल नागर ने ऐ दिल-ऐ-नादान..., गाकर समां बांध दिया। इसके बाद, तृषा कोल्हे ने लता मंगेशकर का गीत आपकी नजरों ने समझा..., गाकर श्रोताओं को भावनाओं के सागर में डुबो दिया।

कार्यक्रम में मन्ना-डे (प्रबोधचंद्र-डे) का लोकप्रिय गीत आयो कहां से घनश्याम..., संजय चोरसिया ने प्रस्तुत किया, जिसे सुनकर दर्शक भाव-विभोर हो गए। ममता गुप्ता ने लता मंगेशकर का गीत झूठी मुठी मितवा आवन..., गाया जिसने दर्शकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाकर आनंदित कर दिया। इसके बाद, भारती चोरसिया ने रेश्मा का प्रसिद्ध गीत बड़ी लंबी जुदाई..., प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को उनके अद्वितीय गायन शैली की याद दिला दी।


कार्यक्रम के समापन के दौरान, इंजी. कृष्णकांत डेहरिया ने कुमार सानू का लोकप्रिय गीत तुम मिले दिल खिले..., गाकर माहौल को मधुरता से भर दिया। उनके गीत की मधुरता और सुरीलापन ने श्रोताओं के दिलों को छू लिया और उन्हें संगीत की दुनिया में डूबो दिया।

इस संगीत कार्यक्रम ने श्रोताओं को एक अद्वितीय संगीतमय अनुभव प्रदान किया, जहां उन्होंने न केवल प्रचलित फिल्मी गीतों का आनंद लिया, बल्कि भारतीय संगीत की विभिन्न तालों के बारे में भी जानकारी प्राप्त की। कार्यक्रम में शामिल हुए दर्शकों ने कलाकारों की सराहना की और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका हौसला बढ़ाया।

इस प्रकार, सिम्फनी और तरंग सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित इस संगीत कार्यक्रम ने शहर के संगीत प्रेमियों को एक यादगार और सुरीली शाम का अनुभव कराया। यह कार्यक्रम न केवल एक सांस्कृतिक आयोजन था, बल्कि भारतीय संगीत की समृद्ध परंपरा का एक अद्वितीय प्रदर्शन भी था। शहीद भवन के रंगमंच पर प्रस्तुत इस कार्यक्रम ने श्रोताओं के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी और उन्हें संगीत की मिठास में सराबोर कर दिया।

कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा कि इस तरह के संगीत कार्यक्रमों का आयोजन भविष्य में भी किया जाएगा, जिससे संगीत प्रेमियों को भारतीय संगीत की समृद्ध धरोहर के बारे में जागरूक किया जा सके और उन्हें इस सुरीली धरोहर का आनंद प्राप्त हो सके। इस संगीतमय शाम ने यह सिद्ध कर दिया कि भारतीय संगीत में तालों का महत्व कितना अधिक है और कैसे ये तालें गीतों को सुरीला और प्रभावी बनाती हैं। 


इस प्रकार, यह संगीत कार्यक्रम न केवल मनोरंजन का स्रोत था, बल्कि एक शैक्षिक अनुभव भी था, जिसने श्रोताओं को भारतीय संगीत की गहराई और उसके विविध रूपों के बारे में जानकारी दी। सिम्फनी और तरंग सांस्कृतिक मंच का यह प्रयास सराहनीय है और यह निश्चित रूप से संगीत प्रेमियों के दिलों में लंबे समय तक यादगार बना रहेगा।

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