भोपाल। कोलार और होशंगाबाद रोड को जोड़ने वाला बावड़ियाकलां ब्रिज, जिसे महज चार साल पहले 2020 में बनाया गया था, वर्तमान में गंभीर निर्माण दोषों के कारण चर्चा में है। यह ब्रिज, जो लाखों लोगों के लिए दैनिक आवागमन का प्रमुख मार्ग है, अब खस्ताहाल स्थिति में पहुंच चुका है। पुल पर ज्वाइंट खुलने, सड़कों पर बार-बार गड्ढों का उभरना और पुल का उखड़ना जैसी समस्याएं सामने आई हैं, जिससे पुल की निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
कांग्रेस की शिकायत और जांच की मांग
मंगलवार को जिला कांग्रेस कमेटी भोपाल के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष राहुल सिंह राठौड़ ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मुख्य अभियंता आरके मेहरा को ज्ञापन सौंपकर इस पुल के निर्माण में हुई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच की मांग की। राठौड़ ने बताया कि 2020 में 22 करोड़ रुपये की लागत से बने इस ब्रिज की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। शिकायत में उल्लेख किया गया कि पुल के स्पैन में कई जगह ज्वाइंट खुल चुके हैं, जिससे पुल की संरचनात्मक मजबूती कमजोर हो गई है।
बावड़ियाकलां ब्रिज कोलार रोड, होशंगाबाद रोड, दानिश कुंज और कई अन्य महत्वपूर्ण इलाकों को जोड़ता है। इन क्षेत्रों में रहने वाले हजारों लोग इस ब्रिज से गुजरते हैं, लेकिन पुल की कमजोर हालत के कारण यहां से गुजरना अब खतरे से खाली नहीं है। राठौड़ ने इस बात पर जोर दिया कि पुल के उखड़ने और बार-बार गड्ढे बनने की समस्याओं के कारण हादसे की संभावना लगातार बनी रहती है।
राठौड़ ने अपनी शिकायत में कहा कि पुल के निर्माण में गंभीर अनियमितताएं की गई हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस पुल को वर्क ऑर्डर के अनुसार नहीं बनाया गया है और इसमें गुणवत्ता के मानकों की अवहेलना की गई है। पुल के निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्रियों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाए गए हैं। राठौड़ ने कहा कि बार-बार उखड़ने और हिलने वाले इस पुल को निर्माण के समय पूरी तरह से गुणवत्तारहित और गलत तरीके से तैयार किया गया था।
राठौड़ ने पीडब्ल्यूडी से इस पुल के निर्माण कार्य की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि जब करोड़ों रुपये खर्च कर पुल का निर्माण किया गया है, तो इस प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होना गंभीर लापरवाही और भ्रष्टाचार का संकेत देती हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस पुल के निर्माण में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार सिद्ध होते हैं, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसके साथ ही, पुल के पुनर्निर्माण के लिए ठोस कदम उठाए जाने चाहिए ताकि यह भविष्य में सुरक्षित और स्थायी बना रहे।
पुल की खराब स्थिति को लेकर स्थानीय निवासियों में भी नाराजगी है। रोजाना इस पुल का इस्तेमाल करने वाले लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। निवासियों का कहना है कि प्रशासन को इस पुल की स्थिति पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और इसे सुरक्षित बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए।
बावड़ियाकलां ब्रिज की स्थिति पर कांग्रेस के आरोप प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाते हैं। 22 करोड़ रुपये की लागत से बने इस पुल की गुणवत्ता और निर्माण कार्य की निगरानी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह मामला न केवल भोपाल के लिए, बल्कि पूरे प्रदेश में निर्माण कार्यों की पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक गंभीर मुद्दा बन गया है।
अब यह देखना होगा कि पीडब्ल्यूडी और प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाते हैं। क्या जांच के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और क्या पुल का पुनर्निर्माण किया जाएगा? यह मुद्दा न केवल भोपाल के निवासियों की सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और पारदर्शिता का भी महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगा।
निर्माण की गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल
भोपाल का बावड़ियाकलां ब्रिज एक महत्वपूर्ण यातायात मार्ग है, जिसकी वर्तमान स्थिति ने स्थानीय निवासियों और कांग्रेस को चिंतित कर दिया है। चार साल में ही इस पुल का खराब हो जाना प्रशासन की कार्यप्रणाली और निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। कांग्रेस द्वारा की गई जांच की मांग और प्रशासन से अपेक्षित कार्रवाई भविष्य में ऐसे मामलों में सुधार और जवाबदेही सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
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