भोपाल। बहुकला केन्द्र भारत भवन में मंगलवार को 42वें वर्षगांठ समारोह का शुभारंभ हुआ। समारोह के पहले दिन संगीत की दो सभाएं हुईं। समारोह का आगाज वरिष्ठ नृत्यांगना बिंदु जुनेजा द्वारा निर्देशित ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति से हुआ। इसके बाद अहमदाबाद की पदश्री, पद्मभूषण वरिष्ठ कोरियोग्राफर कुमुदिनी लाखिया द्वारा परिकल्पित और निर्देशित कथक नृत्य नाटिका अतः किम् की प्रस्तुति हुई। इससे पहले वरिष्ठ शिल्पकार भगवान रामपुरे के शिल्प और गोंड कलाकार वेकंटरमन सिंह श्याम के चित्रों की प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। यह प्रदर्शनी कला प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बनी। समारोह का शुभारंभ संस्कृति एवम पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने किया। इस अवसर पर संस्कृति संचालक एनपी नामदेव, भारत भवन न्यासी राजीव वर्मा सहित बड़ी संख्या में कला प्रेमी उपस्थित हुए।
समारोह में आज
आठ दिवसीय इस समारोह के दूसरे दिन 14 फरवरी को तीन संगीत की सभाएं होंगी। शाम 6.20 बजे रोशन और कंचन का मुसाधा गायन, शाम 7 बजे गौतम काले का गायन होगा। वहीं, शाम 7.40 बजे बेगम परवीन सुल्ताना की प्रस्तुति होगी।
भारत भवन देंगे नया स्वरूप
इस अवसर पर संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने कहा कि भारत भवन मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि देश का सर्वश्रेष्ठ संस्थान है। यह कला संस्थान वर्षों से संस्कृति को संरक्षित करने का काम कर रहा है जो प्रसंशनीय है। संस्कृति मंत्री ने स्वामी विवेकानंद जी का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वामी जी ने पूरे विश्व में समावेशी सोच की बात की जो हम सभी को गौरवान्वित करती है। उन्होंने कहा कि जब पिछले दिनों भारत भवन भ्रमण पर आया तो इसे करीब से जाना और हमने तय किया है कि हम आने वाले समय में इसे नया स्वरूप देने का कार्य करेंगे। इससे पहले भारत भवन के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ला ने बहुकला केंद्र की 42 वर्ष की सफल यात्रा पर प्रकाश डाला।
ओडिसी में दिखाई श्रीराम के वृतांतों का प्रदर्शन
प्रस्तुति की शुरुआत बिंदु जुनेजा के निर्देशन में शिष्याओं द्वारा प्रस्तुत नृत्य आराधना से हुई। इसमें कल्याण एवं वैदेही फगरे ने ओडिसी नृत्य शैली में मंगलाचारण पेश किया। इस प्रस्तुति में नृत्यांगनाओं ने इष्टदेव श्री जगन्नाथ के ब्रम्हादारू रूप को बड़ी ही खुबसूरती के साथ मंच पर प्रस्तुत किया। प्रस्तुति के अगले क्रम में राग भीमपलास के तराने पर आधारित बसंत विलास की प्रस्तुति हुई। इसमें नृत्यांगनाओं ने वसंत ऋतु के वैभव तथा उल्लास को कदमताल और भाव-भंगिमाओं के माध्यम से दर्शकों के सामने पेश किया। प्रस्तुति के अंत में नृत्यांगनाओं ने श्रीराम प्रेमाष्टकम् के माध्यम से भगवान श्रीराम के जीवन के विभिन्न वृतांतों को प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में पखावज पर प्रशांत महाराणा, बांसुरी पर अभय फगरे, सितार पर अनिरुद्ध जोशी, गायन पर सारंग फगरे ने की।
6 रचनाओं में प्रस्तुत किया कथक नृत्य नाटिका
समारोह की अगली प्रस्तुति अहमदाबाद की वरिष्ठ कथक कोरियोग्राफर कुमुदिनी लाखिया द्वारा परिकल्पित एवं निर्देशित कथक नृत्य नाटिका अतः किम् की प्रस्तुति हुई। यह प्रस्तुति प्रस्तुति कदम्ब सेंटर फॉर डांस के कलाकारों ने दी। रुपांशी कश्यप के संयोजन में हुई इस प्रस्तुति में 7 नृत्यांगनाओं ने कुमुदिनी लाखिया की 6 अलग-अलग कथक रचनाओं को बड़ी ही सूझबूझ के साथ मंच पर प्रस्तुत किया। प्रस्तुति में नृत्यांगनाओं ने कोरियोग्राफर लाखियया द्वारा अलग-अलग समय पर तैयार की गई रचनाओं को 60 मिनट की प्रस्तुति के माध्यम से मंच पर प्रदर्शित किया। प्रस्तुति की शुरुआत नृत्यांगनाओं ने गतगीत ताल धमार से की। यह रचना 80 के दशक में तैयार की गई जिसरी विशेषता है कि इसमें कथक को एब्सट्रेक्ट फॉर्म में प्रदर्शित किया गया। इसके बाद नृत्यांगनाओं ने वर्ष 2000-2010 में तैयार समन्वय रचना, वर्ष 2015 में तैयार रचना आकार, आजादी के 50 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर तैयार रचना स्वर्ण की प्रस्तुति के बाद नृत्यांगनाओं ने लाखिया द्वारा वर्ष 2018 में तैयार रचना को प्रस्तुत किया। प्रस्तुति का समापन नृत्यांगनाओं ने तराने के साथ किया जो राग दरबारी पर केन्द्रित था इसे कुमुदिनी लाखिया ने वर्ष 2006-07 में तैयार किया था।
चित्रों में दिखाई गोंड कला और संस्कृति
रंगदर्शनी दीर्घा में वरिष्ठ गोंड कलाकार वेंकटरमन सिंह श्याम के 26 चित्रों को प्रदर्शनी किया गया। प्रदर्शनी में कलाकार श्याम ने गोंड कला, संस्कृति, रीति रिवाज संग जीवन के रंगों को समेटे हुए चित्रों की मनमोहक श्रंखला प्रदर्शित की।
60 से अधिक शिल्पों ने किया मंत्रमुग्ध
वरिष्ठ शिल्पकार भगवान रामपुरे ने शिल्प कला का अद्भुद प्रदर्शन किया। प्रदर्शनी में 60 से अधिक आर्ट वर्क प्रदर्शित हैं। इनमें भगवान गणेश, भगवान बौद्ध, कृष्ण राधा, रॉयल बुद्धा की सीरीज, सहित गुलजार और ओशो के आर्ट प्रदर्शित है। कलाकार भगवान ने ओंकारेश्वर में तैयार गुरु आदि शंकराचार्य की 108 फीट की प्रतिमा की प्रतिकृति प्रदर्शित की जो कलाप्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनी।
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