भोपाल। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व, उज्जैन में हर्षोल्लास और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। इस शुभ अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षास्थली सांदीपनी आश्रम पहुंचकर सपत्निक पूजा-अर्चना की और अभिषेक किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सांदीपनी आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के मौके पर आयोजित महाआरती में भी भाग लिया, जिससे इस पवित्र पर्व की महिमा और भी बढ़ गई।
सांदीपनी आश्रम, जहां भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी शिक्षा ग्रहण की थी, उज्जैन के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस पावन स्थल पर अपनी पत्नी के साथ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना की। इस विशेष पूजा का आयोजन आश्रम के पुजारी पंडित रूपम व्यास द्वारा किया गया, जिन्होंने विधिपूर्वक मुख्यमंत्री को पूजा की प्रक्रिया से अवगत कराया।
महाआरती के दौरान, सांदीपनी आश्रम का वातावरण भक्तिमय हो गया जब पुलिस बैंड ने सुमधुर कृष्ण भजनों की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव भी भक्ति में डूब गए और "छोटी-छोटी गईया - छोटे छोटे ग्वाल" भजन गाकर अपने भावनाओं का इजहार किया। उनकी इस भक्ति भावना से वहां उपस्थित सभी भक्तगण मंत्रमुग्ध हो गए। मुख्यमंत्री ने पुलिस बैंड की इस उत्कृष्ट प्रस्तुति से प्रभावित होकर प्रत्येक जवान को 10 हजार रुपये देने की घोषणा की, जिससे उनकी कला और समर्पण को प्रोत्साहन मिला।
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर सांदीपनी आश्रम में आयोजित कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद बालयोगी उमेशनाथ महाराज, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा और अन्य जनप्रतिनिधि तथा वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित थे। इस अवसर पर सांदीपनी आश्रम में सुप्रसिद्ध भजन गायिका इशिता विश्वकर्मा और उनके साथी कलाकारों द्वारा एक से बढ़कर एक सुमधुर भजनों की प्रस्तुति दी गई। इशिता विश्वकर्मा ने अपने गायन से पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया और उनके भजनों ने उपस्थित भक्तों को भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की याद दिला दी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव की मंशा के अनुरूप, उज्जैन में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को पूरे धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। उज्जैन के प्रमुख मंदिरों, जैसे गोपाल मंदिर, इस्कॉन मंदिर, श्रीकृष्ण मित्रविंदा मंदिर और सांदीपनी आश्रम को अत्यंत आकर्षक ढंग से सजाया गया था। इन मंदिरों की सजावट ने हर किसी का मन मोह लिया और भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।
मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा श्रीकृष्ण पर्व के तहत "श्रीकृष्ण कला की अभिव्यक्तियां" थीम पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में लोकप्रिय कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान किया। इन प्रस्तुतियों में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की लीलाओं, उनकी शिक्षाओं और उनके आदर्शों को कला के माध्यम से अभिव्यक्त किया गया, जिससे समस्त उपस्थित जनसमुदाय को भक्ति और ज्ञान का अनुभव हुआ।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर उज्जैन के सभी शासकीय और अशासकीय विद्यालयों और महाविद्यालयों में भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े प्रसंगों और दर्शन पर परिसंवाद के कार्यक्रम आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों में विद्यार्थियों और शिक्षकों ने मिलकर भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की घटनाओं पर चर्चा की और उनके शिक्षाओं को आधुनिक संदर्भ में समझने का प्रयास किया। इन परिसंवादों का मुख्य उद्देश्य था कि विद्यार्थियों को भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनके दर्शन से प्रेरणा मिल सके और वे उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतार सकें।
विद्यालयों में भगवान श्रीकृष्ण के बचपन की लीलाओं से लेकर उनके महाभारत के युद्ध में दिए गए गीता के उपदेश तक, सभी महत्वपूर्ण घटनाओं पर चर्चा की गई। विद्यार्थियों ने भी इन विषयों पर अपनी राय दी और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े प्रसंगों को नाट्य रूप में प्रस्तुत किया। इस प्रकार के आयोजनों ने न केवल विद्यार्थियों में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ाई, बल्कि उन्हें उनके जीवन से महत्वपूर्ण सीख भी मिली।
सांदीपनी आश्रम का ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा है। यह वही स्थल है जहां भगवान श्रीकृष्ण, उनके भाई बलराम और मित्र सुदामा ने शिक्षा प्राप्त की थी। यहां की पवित्र भूमि पर आज भी भगवान श्रीकृष्ण के चरणों के चिन्ह मौजूद हैं, जो इस स्थल को और भी पवित्र बनाते हैं। इस आश्रम का वातावरण शांत और आध्यात्मिक है, जो यहां आने वाले हर भक्त को एक नई ऊर्जा और शांति का अनुभव कराता है।
सांदीपनी आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने गुरु सांदीपनी से ज्ञान और शिक्षा प्राप्त की थी। यह आश्रम आज भी उन पवित्र शिक्षाओं का प्रतीक है, जो भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जीवन में अपनाई थीं। इस स्थल का दौरा करते हुए, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी इन शिक्षाओं का स्मरण किया और भगवान श्रीकृष्ण के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा ली।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हमें भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनके आदर्शों का अनुसरण करने की प्रेरणा देता है। इस दिन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है। उज्जैन में इस पर्व का आयोजन जिस भव्यता और श्रद्धा के साथ किया गया, उसने सभी के मन में भक्ति और श्रद्धा की भावना को और भी मजबूत कर दिया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा सांदीपनी आश्रम में की गई पूजा-अर्चना और महाआरती ने इस पर्व को और भी खास बना दिया। इस अवसर पर किए गए धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान किया और समाज को उनके आदर्शों के प्रति जागरूक किया।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के इस पर्व ने न केवल उज्जैन, बल्कि पूरे प्रदेश में भक्ति और हर्षोल्लास का माहौल बनाया। भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़ी शिक्षाओं और उनके दर्शन को समझने और अपनाने का यह अवसर समाज के हर वर्ग के लिए एक नई दिशा और प्रेरणा का स्रोत बना। इस पर्व ने हमें यह सिखाया कि भगवान श्रीकृष्ण के आदर्श और शिक्षाएं आज भी हमारे जीवन में उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी कि वे हजारों वर्ष पहले थीं।
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