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विदेशी कलाकारों का शास्त्रीय और भजन गायन, समझाया जीवन में योग का प्रभाव

रवींद्र भवन में सहजयोग द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम योगधारा का आयोजन

भोपाल। वसुधैव कुटुम्बकम् एवं सर्वे सन्तु सुखिन: के मूल संस्कारों और विचारों से पोषित भारतीय दर्शन में हर द्वन्द की समाप्ति का समाधान निहित है। विश्व शांति का संदेश देने वाले भारत की सांस्कृतिक चेतना से जो जुड़ जाए उसके भीतर भी इन्हीं विचारों का सृजन स्वत: हो जाता है। शनिवार की शाम रवींद्र भवन के हंसध्वनि सभागार में हमारे उत्कृष्ट संस्कारों के अद्भुत दर्शन हुए जब सहजयोग के सांस्कृतिक कार्यक्रम योगधारा में रुस और यूक्रेन के कलाकारों और योग साधकों ने न सिर्फ मंच साझा किया, बल्कि दोनों ने एक साथ रागदरबारी का आलाप किया, हारमोनियम से सुरों की सुगंध वातावरण में घोली और योग के वरदान पर चर्चा की। रुस और यूक्रेन की सेनाएं पिछले दो सालों से युद्ध के मैदान में एक-दूसरे के खिलाफ डटीं हैैं। परंतु रुस की ऐना और यूक्रेन की ऐलेना आज भी एक साथ योग की धारा में प्रवाहित हैैं और एक ही सांगीतिक समूह से जुड़ी हैैं। शनिवार को उन्होंने शास्त्रीय गायन और भजनों की मधुर प्रस्तुति दी। इनके साथ पांच अन्य देशों सहित भारतीय कलाकारों ने भी सांस्कृतिक मंच को अपनी कलाओं से रोशन किया। साथ ही योग के माध्यम से आत्मसाक्षात्कार के सुगम प्रभावों को साझा किया।

श्रीमाता निर्मला देवी की डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के साथ हुआ कार्यक्रम का शुभारंभ 

सहजयोग की सांस्कृतिक संध्या का शुभारंभ श्रीमाता निर्मला देवी की डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के साथ हुआ, जिसमें उनके पूरी जीवन यात्रा और सहजयोग की शुरुआत के साथ विश्वभर में इसके प्रसार को दिखाया गया। इसके बाद योगधारा के अंतर्गत कई विदेशी सहज योगियों द्वारा संगीत एवं नृत्य प्रस्तुतियां हुईं। शुरुआत विदेशी नृत्यांगनाओं के कथक से हुई, जिसमें उन्होंने गणेश वंदना को साकार किया। इसके बाद भजन प्रस्तुति हुईं, जिसमें रुस और यूक्रेन के अलावा फ्रांस, ऑस्ट्रिया और हंगरी सहित विभिन्न देशों के कलाकारों ने भगवान के भजन गाए। इसके बाद शास्त्रीय संगीत के कार्यक्रम में कलाकारों ने गायन के साथ वाद्ययंत्रों से मधुर धुनें प्रवाहित कीं। साथ ही सेल्फ रियलाइजेशन सेशन हुए, जिसमें सभी ने योग पर चर्चा की और ध्यान के सही तरीकों को समझाया।


 योग हमारे मन में लाता है शांति   

रुस की ऐना 1996 में और यूक्रेन की ऐलेना 2001 में सहजयोग से जुड़ी थीं। उन्होंने बताया कि हमारी पहली मुलाकात 2008 में हुई थी, जब हम शिविर के लिए भारत आए थे। तब से एक दूसरे से दोस्ती हुई और आज हम दोनों करीबी मित्र हैैं। ऐना ने बताया कि जब हम आध्यात्म से जुडते हैैं तो हमारे लिए विश्व सिर्फ एक होता है, जिसमें प्रेम और करुणा है। श्रीमाता जी ने कहा था कि जब हम आत्मसाक्षात्कार करते हैैं तो मन में करुणा का भाव उत्पन्न होता है, जो हमारी क्षमाशीलता को बढ़ाता है। यदि सभी तक योग पहुंच जाए तो सारी लड़ाईयां रुक जाएं। ऐलेना कहती हैैं कि रुस और यूक्रेन के कल्चर में काफी समानता है और हम एक दूसरे का काफी सम्मान करते हैैं।  आत्मसाक्षात्कार से ये जाना है कि योग पहले हमारे मन में शांति लाता है, जिससे आसपास का वातावरण भी हम शांत रख सकते हैैं। इस जंग की समाप्ति के लिए जरुरी है कि हम अपने भीतर को देखें और जानें कि हमारा अंतिम लक्ष्य युद्ध या जमीन नहीं है।

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