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मध्य प्रदेश की जर्जर सड़कों का व्हाईट टॉपिग से किया जाएगा उन्नयन

पेंच रिपयरिंग के लिए जेट पेचर, वेलोसिटी पेचर और इंफ्रारेड तकनीक किया जा रहा उपयोग, पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता आरके मेहरा ने नई तकनीक दी जानकारी

भोपाल। बारिश के कारण राजधानी समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों की सड़कें अत्यधिक खराब हो चुकी हैं, जिससे यात्रा में असुविधा और सुरक्षा की चिंताएं उत्पन्न हुई हैं। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने इन समस्याओं को दूर करने के लिए नई और उन्नत मरम्मत तकनीकों का उपयोग करने का निर्णय लिया है। बुधवार को प्रेस वार्ता के दौरान, पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता आरके मेहरा ने बताया कि विभाग अब व्हाईट टापिंग तकनीक का उपयोग करेगा, ताकि भविष्य में शहरी मार्ग बार-बार क्षतिग्रस्त न हों और सड़कों की दीर्घकालिक मजबूती सुनिश्चित की जा सके।

नई मरम्मत तकनीकें: - जेट पेचर, वेलोसिटी पेचर और इंफ्रारेड 

पीडब्ल्यूडी ने सड़कों की मरम्मत के लिए नई तकनीकों को अपनाया है। इनमें जेट पेचर, वेलोसिटी पेचर, और इंफ्रारेड तकनीक शामिल हैं। इन तकनीकों के माध्यम से लगभग 600 किलोमीटर की लंबाई में मार्गों का विस्तृत मेंटनेंस किया जाएगा। 

वेलोसिटी पेचर : रायसेन, सीहोर और सागर संभाग में 222 किलोमीटर के क्षेत्र में इसका उपयोग किया जा रहा है। यह तकनीक विशेष रूप से गड्ढों की मरम्मत के लिए प्रभावी मानी जाती है।

जेट पेचर और इंफ्रारेड : भोपाल संभाग में 186 किलोमीटर में जेट पेचर तकनीक और भिंड, मुरैना, दतिया, ग्वालियर में लगभग 211 किलोमीटर में इंफ्रारेड तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इन तकनीकों के माध्यम से सड़कों को पुनः सुरक्षित और आरामदायक बनाया जाएगा।

लोक पथ एप : शिकायत दर्ज करने का नया तरीका

जर्जर सड़कों की शिकायतों के लिए लोक निर्माण विभाग ने एक नया लोक पथ मोबाइल एप लॉन्च किया है। इस एप के माध्यम से कोई भी व्यक्ति लगभग 40 हजार किलोमीटर सड़कों पर गड्ढों की फोटो अपलोड कर सकता है और शिकायत दर्ज कर सकता है। 6 अगस्त तक इस एप के जरिए 1868 शिकायतें प्राप्त की गई हैं, जिनमें से 1662 का समाधान किया जा चुका है। यह एप नागरिकों को सड़कों की स्थिति में सुधार लाने में सक्रिय रूप से शामिल होने का एक प्रभावी तरीका प्रदान करता है।

पेवर ब्लाॅक और कांक्रीट मिक्स से मरम्मत

बारिश के कारण खराब हुई सड़कों की मरम्मत के लिए 10 एमएम के पेवर ब्लाॅक, जो एम-40 कांक्रीट से बने हैं, इनका उपयोग किया जा रहा है। यह प्रक्रिया राष्ट्रीय राजमार्ग और एनएचएआई द्वारा भी अपनाई जा रही है। इसके साथ ही, कांक्रीट मिक्स से मरम्मत का कार्य भी किया जा रहा है, जिससे सड़क की मजबूती और दीर्घकालिक उपयोगिता सुनिश्चित हो सके।

राजधानी में सड़क की स्थिति

राजधानी में बारिश के कारण तीन प्रतिशत सड़कें खराब हो गई हैं, जिनमें गड्ढे उत्पन्न हो गए हैं। पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता संजय मस्के ने बताया कि शहर में पीडब्ल्यूडी के अधीन केवल 14 मार्गों के 22 किलोमीटर लंबाई में लगभग 523 वर्गमीटर में गड्ढे हुए हैं। इन गड्ढों में से छह सड़कों की मरम्मत का कार्य पूरा किया जा चुका है और शेष सड़कों पर मरम्मत का कार्य जारी है। पीडब्ल्यूडी के अधीन कुल 573 किलोमीटर सड़कें हैं, जिनमें से 400 किलोमीटर परफार्मेंस गारंटी के अंतर्गत हैं और 173 किलोमीटर साधारण मरम्मत के अंतर्गत हैं। 

इन सभी उपायों और नई तकनीकों के जरिए, पीडब्ल्यूडी ने सड़कों की स्थिति में सुधार लाने और नागरिकों को सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का अनुभव प्रदान करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य में सड़कों की गुणवत्ता में सुधार हो और गड्ढों की समस्याएं कम हों।

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