आयकर

आयकर अपीलों में नए प्रावधानों और चुनौतियों पर हुई चर्चा

टैक्स ला बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित की गई कार्यशाला

भोपाल। अरेरा हिल्स स्थित राज्य कर भवन में टैक्स ला बार एसोसिएशन ने अपने सदस्यों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया, जिसमें आयकर से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों और उनके समाधान पर गहन चर्चा की गई। इस कार्यशाला को रिटायर्ड प्रिंसिपल चीफ कमिश्नर आयकर, आरके गुप्ता ने संबोधित किया और आयकर में प्रथम अपील के प्रावधान, अपील की तैयारी और व्यवसायी एवं अपील अधिकारी के अधिकारों पर विस्तार से जानकारी दी।

आरके गुप्ता ने कार्यशाला में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजीव बंसल के मामले में धारा 148 के तहत दिए गए फैसले पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस फैसले का व्यवसायियों के हित में बड़ा असर हुआ है। उन्होंने कहा कि 91,000 मामलों में से अधिकांश मामले प्रक्रियागत अनियमितताओं के कारण समाप्त हो जाएंगे, जिससे व्यापारियों को बड़ी राहत मिलेगी। इस प्रकरण ने आयकर में प्रक्रियागत सुधार की आवश्यकता को उजागर किया है, जो करदाताओं के हित में एक सकारात्मक कदम है।

अपील में देरी का मुद्दा और समाधान पर चर्चा

कार्यशाला में उपस्थित सदस्य पलाश खुरपिया ने अपील सुनवाई में देरी के मुद्दे को उठाया। इस पर आरके गुप्ता ने स्पष्ट किया कि अपील अधिकारियों की संख्या कम है और अपील में कई तरह की जानकारी और दस्तावेजों की आवश्यकता होती है, जिनकी जांच में समय लगता है। इसी कारण, अपीलों की सुनवाई में विलंब हो जाता है। गुप्ता ने सुझाव दिया कि इस समस्या के समाधान के लिए अपील अधिकारियों की संख्या में वृद्धि की जानी चाहिए, ताकि प्रक्रियाएं तेजी से पूरी हो सकें।

अपील में स्टे प्राप्त करने में सहूलियत

कार्यशाला के दौरान एक अन्य सदस्य ने अपील में डिमांड पर स्टे प्राप्त करने में हो रही कठिनाइयों का मुद्दा उठाया। इस पर गुप्ता ने जानकारी दी कि करदाता को अपने अधिकारों का पूर्ण उपयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि करदाता 20 प्रतिशत मांग राशि जमा करके स्टे प्राप्त कर सकते हैं, और यह उनका अधिकार है। इस जानकारी से कई व्यापारियों में आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता का संकल्प लिया।

फेसलेस अपील प्रणाली पर चर्चा

गुप्ता ने वर्तमान में आयकर अधिनियम में हो रहे बदलावों पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि अब अपीलों की सुनवाई फेसलेस तरीके से की जा रही है, परंतु न्याय के हित में इसे हाइब्रिड प्रणाली में बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि फेसलेस प्रणाली में अपील अधिकारियों के सामने सभी जानकारी और दस्तावेजों का अवलोकन करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। यही कारण है कि कई अपीलें वर्षों से लंबित हैं और उनके समाधान में विलंब हो रहा है। आरके गुप्ता ने सुझाव दिया कि हाइब्रिड प्रणाली, जिसमें फेसलेस और आमने-सामने की सुनवाई दोनों का समावेश हो, अपीलों की बेहतर समीक्षा और समय पर निष्पादन में सहायक हो सकती है।

आयकर अधिकारी के अधिकार 

गुप्ता ने आयकर अधिनियम के तहत आयकर अधिकारियों के अधिकारों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि आयकर अधिकारी को करदाता से किसी भी प्रकार की जानकारी मांगने और उस पर निर्णय लेने का अधिकार है, जो कि आयकर अधिनियम के अन्य अधिकारियों की तुलना में अधिक है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह भी बताया कि एक बार अपील प्रस्तुत होने के बाद उसे बिना उचित आधार के वापस नहीं लिया जा सकता।

कार्यशाला में विशेष सहभागिता

इस कार्यशाला में टैक्स ला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मृदुल आर्य, उपाध्यक्ष अंकुर अग्रवाल, कोषाध्यक्ष धीरज अग्रवाल, सहसचिव संदीप चौहान और वरिष्ठ सदस्य राकेश मंगल, अनिल जैन, हर्ष गुप्ता और अतुल गुप्ता समेत कई प्रतिष्ठित सदस्य उपस्थित रहे। कार्यशाला ने सभी सदस्यों को आयकर अपील प्रणाली में आ रही चुनौतियों और समाधान के बारे में जागरूक किया।

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