भोपाल। शहीद भवन में लोक गुंजन नाट्य संस्था की ओर से नाटक खाज्या नायक का मंचन किया गया। इस नाटक का लेखक और निर्देशन प्रवीण चौबे ने किया। डेढ़ घंटे के नाटक में कलाकारों ने अभिनय के जौहर दिखाया। नाटक का आरंभ सेंधवा महाराष्ट्र बार्डर की एक मराठी सूत्रधार से होता है। जो 1857 के क्रांतिकारी खाज्या नायक के बारे में दर्शकों को बताती है कि खाज्या नायक, गुमान सिंह का बेटा है और पिता की मृत्यु के बाद उसे सेंधवा घाट का नायक बनाया जाता है। सेंधवा घाट पर खाज्या नायक गस्त करता हुआ। विद्रोही भीलों को वहां से भगाने का प्रयास करता है, इस बात से अंग्रेजी सरकार खुश हो जाती है और उसे 100 रुपये का इनाम देने का एलान करती है। खाज्या नायक अपनी नौकरी बड़ी ईमानदारी से करता है लेकिन एक दिन थकान की वजह से वह सो जाता है। तभी विद्रोही भील अंग्रेजी सरकार और उनकी छावनी में रखा खजाना और हथियार लूट लेते हैं, जिसके कारण खाज्या नायक को सस्पेंड कर दिया जाता है। खाज्या नायक के मन में पहले से विद्रोही भीलों के प्रति प्यार अपनी जाति के प्रति सम्मान चल ही रहा था, इस बीच निलंबित होने पर वह भी विद्रोही भीलों के साथ हो जाता है। अंग्रेजी सरकार को सबक सिखाने के लिए नित नए प्रयास करता है, ताकि आदिवासी जनमानस का सम्मान उनके विरुद्ध हो रहे शोषण को मिटा सके।
200 साथियों के साथ अंग्रेज
छावनी पर करता है आक्रमण
खाज्या नायक अपने 200 साथियों के साथ अंग्रेज छावनी में आक्रमण करता है, जिसमें लेफ्टिनेंट एटकिंस को गंभीर रूप से घायल कर मार देता है। सिलावद और धाबा बावड़ी के भीमा नायक को खाज्या की बहन से प्रेम हो जाता है और इस बात की जानकारी भीमा के चाचा मोवासिया को पता चलती है। मोवासिया भीमा की मां से बात कर खाज्या से भीमा के लिए उसकी बहन का रिश्ता मांगने जाता है और विवाह के लिए दोनों राजी होते हैं। भीमा का ब्याह खाज्या की बहन के साथ हो जाता है, खाज्या द्वारा की गई लूटपाट और अंग्रेजों को परेशान और उनको सबक सिखाने की बात से भीमा भी उनके साथ हो जाता है। दोनों मिलकर फिर से एक बार अंग्रेज छावनी में आक्रमण कर देते हैं। एक दिन दोनों पहाड़ी पर युद्ध की योजना बना रहे होते हैं, तभी एक रोहिद्दीन नाम का युवक काम की तलाश में खाज्या के पास आता है और खाज्या उसे अपने दल में शामिल कर लेता है। लेकिन छल के साथ रोहिद्दीन खाज्या को नदी किनारे बंदूक की गोली से देता है।
दर्शकों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण पहलुओं से रूबरू
नाटक में दिखाए गए सांस्कृतिक और ऐतिहासिक माध्यमों के माध्यम से दर्शकों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण पहलुओं से रूबरू कराया जाता है। खाज्या नायक की उदाहरणीय कहानी ने यह सिद्ध किया है कि भारतीय इतिहास में छिपी अनगिनत शूरवीरों की कहानियां हमें भूपर्व पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए हमेशा तैयार हैं। नाटक का संगीत और रंगमंच के इफैक्ट्स की मधुरता से भरी गई, इस नाटक ने दर्शकों को उन दिनों की राजनीतिक और सांस्कृतिक वातावरण में ले जाकर उनके सामाजिक और राष्ट्रीय जागरुकता को बढ़ावा दिया है।
इतिहास में छिपी वीरता को याद करना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण
नाटक का संदेश है
कि भारतीय इतिहास में छिपी वीरता को याद करना हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है और हमें
इस वीरता का आदर करना चाहिए। खाज्या नायक की शौर्यगाथा ने हमें यह सिखाया है कि जब
भी देश और जनता की आजादी को खतरे में देखते हैं, तो उन्हें समर्थन के लिए खड़ा होना चाहिए। नाटक खाज्या नायक
ने साकारात्मकता और देशभक्ति की भावना को मजबूती से उकेरा है और दर्शकों को एक
अद्वितीय सांस्कृतिक अनुभव प्रदान किया है। इस नाटक के माध्यम से हम अपने देश के
महान संग्रामी योद्धाओं की वीरता और उनके प्रेरणादायक कार्यों को समझ सकते हैं,
जो हमें एक और सीख देते हैं कि अपने देश के लिए
किये गए समर्पणशील कार्यों से ही हम असली हीरो बन सकते हैं।
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