भोपाल। स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय जनयोद्धा नाट्य समारोह की चौथी शाम शहीद भवन में बलिदान नाटक का मंचन हुआ। राजस्थान की चारण जाति के वीर योद्धा थे, केसरी सिंह बारहठ जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा खोलकर उन्हें देश से भागने के लिए मजबूर कर दिया और देश को एक नई दिशा दी। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं कवि केसरी सिंह बारहठ और उनके परिवार द्वारा देश की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले वीर सेनानियों की हुंकार आज भी राजस्थान में सुनाई पड़ती है। राजस्थान के लोकनाट्य लेखक अर्जुन देव चारण द्वारा लिखित नाटक बलिदान में कलाकारों द्वारा बहुत ही खूबसूरती से अभिनय किया। मंगलवार शाम 6.30 बजे रंग निर्देशक अनिरुद्ध वानकर द्वारा निर्देशित मराठी नाटक क्रांतिवीर बाबूराव शेडमाके का मंचन होगा।
राजस्थानी व गुजराती में भी करते हैं मंचन...
नाटक के निर्देशक
अभिषेक मुद्गल ने बताया कि देश के विभिन्न मंचों पर सराहे गए नाटक बलिदान का यह 22 वां मंचन हो रहा है। राजस्थानी, गुजराती एवं हिंदी भाषा में नाटक की प्रस्तुति
की जाती रही है। रंग मस्ताने समूह जयपुर
की प्रस्तुति में 15 से अधिक
कलाकारों ने सक्रिय भूमिका अदा की। नाटक में केसरी सिंह की भूमिका में राहुल पारीक,
बुजुर्ग केसरी सिंह के रूप में गिरीश यादव,
प्रवीण, देव स्वामी, निखिल जैन,
अक्ष शर्मा, विवेक झक्कर,
दिव्यांश, राहुल पारेख, सुमित सिलान, अमित चौधरी,
सुधांशु, अंकित शर्मा, गरिमा, श्वेता खत्री का अभिनय
सराहनीय रहा। मंच सज्जा गिरीश यादव, प्रकाश व्यवस्था सावन जांगीर, सुधांशु शुक्ला
एवं अमित चौधरी के कर्ण प्रिय संगीत ने नाटक को रोचकता प्रदान की।
चारण जाति के शूरवीर
केसरी सिंह बारहठ ने अपने बलिदान से राजस्थान को एक नई दिशा दिखाई और उनकी वीरता आज भी राजस्थान में महात्मा गांधी विचारों के साथ महत्वपूर्ण रूप से याद की जाती है। इस नाटक में भी उनकी महानता को साकार किया गया है, जिससे युवा पीढ़ी उनसे प्रेरित हो सकती है। नाटक के निर्देशक अभिषेक मुद्गल ने बताया कि बलिदान नाटक का मूल आधार राजस्थान के लोकनाट्य लेखक अर्जुन देव चारण द्वारा रचित है। इस नाटक में केसरी सिंह बारहठ की भूमिका में राहुल पारीक ने अद्वितीय अभिनय किया। नाटक ने उनकी वीरता, साहस, और देशभक्ति को एक नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है।
मंच पर चमकते कलाकार
रंगमस्ताने समूह जयपुर की प्रस्तुति में 15 से अधिक कलाकारों ने इस नाटक में सक्रिय भूमिका अदा की है। इसमें गिरीश यादव, प्रवीण, देव स्वामी, निखिल जैन, अक्ष शर्मा, विवेक झक्कर, दिव्यांश, राहुल पारेख, सुमित सिलान, अमित चैधरी, सुधांशु, अंकित शर्मा, गरिमा, और श्वेता खत्री ने अपने अभिनय के माध्यम से नाटक को रोचक बनाया। नाटक के निर्देशक अभिषेक मुद्गल ने बताया कि इस नाटक का 22 वां मंचन हुआ। इसमें राजस्थानी, गुजराती, और हिंदी भाषा में प्रस्तुत किया जा चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि नाटक में न केवल क्रांतिकारी बारहठ की वीरता को दिखाया गया है, बल्कि राष्ट्र के लिए उनके साहस और समर्पण की भावना भी उजागर हुई है। इसके माध्यम से, उन्होंने महान बलिदानी को नए समृद्धि भरे दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया है और उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है।
संगीत और मंच सजावट
मंच सज्जा गिरीश यादव, प्रकाश व्यवस्था सावन जांगीर, सुधांश शुक्ला, और अमित चौधरी के कारण प्रायोजनी से बहुत ही शानदार बना था। संगीत ने नाटक को रोचकता प्रदान की और दर्शकों को एक नए स्तर पर ले जाने में मदद की। नाटक बलिदान में केसरी सिंह के बलिदान की सार्थक कविता ने दर्शकों के दिलों को छू लिया। इसमें विशेष रूप से राहुल पारीक के अद्वितीय अभिनय ने नाटक को और भी महका दिया।
नाटक ने इतिहास को किया जीवंत
इस अद्भुत
राष्ट्रीय जनयोद्धा नाट्य समारोह के माध्यम से, राजस्थान ने अपने शूरवीरों को समर्थन और सम्मान की एक
अद्वितीय प्लेटफॉर्म प्रदान किया है। बलिदान नाटक ने न केवल इतिहास को जीवंत किया
है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी
अपने शूरवीरों के प्रति समर्पित करने की भावना प्रदान की है। इस समारोह से हम यह
सीखते हैं कि राजस्थान न सिर्फ राजा-महाराजा के लिए नहीं, बल्कि उसके शहीदों के लिए भी गर्वित है और उनकी कड़ी मेहनत
और बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि देता है।
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