भोपाल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (आईजीआरएमएस) ने इस वर्ष गणेश चतुर्थी के अवसर पर एक विशेष पहल की है। संग्रहालय के प्रतिरूपण अनुभाग द्वारा इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया गया है, जिन्हें आम जनता के लिए उचित मूल्य पर विक्रय के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। इन पर्यावरण-संवेदनशील प्रतिमाओं का उद्देश्य गणेश चतुर्थी के पर्व को मनाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा देना है।
गणेश चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर गणपति की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं और पूजा-अर्चना के बाद उन्हें जल में विसर्जित किया जाता है। हालांकि पारंपरिक गणेश प्रतिमाएं अक्सर प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) और रासायनिक रंगों से बनाई जाती हैं, जो विसर्जन के बाद जल स्रोतों को दूषित करती हैं और पर्यावरण के लिए हानिकारक होती हैं।
इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं इस समस्या का समाधान प्रदान करती हैं। ये प्रतिमाएं मिट्टी, नीम, आंवला, जामुन और चंदन के बीजों से बनाई जाती हैं, जो पानी में जल्दी घुल जाती हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचातीं। इसके अतिरिक्त इन मूर्तियों को प्राकृतिक और कच्चे रंगों से सजाया जाता है, जिससे जल स्रोतों में कोई रासायनिक प्रदूषण नहीं होता। इस प्रकार, इको-फ्रेंडली गणपति न केवल एक धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि वे पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देते हैं।
विक्रय और उपलब्धता
आईजीआरएमएस द्वारा निर्मित इन इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं को संग्रहालय के प्रवेश द्वार नंबर 01 के पास स्थित इंटरप्रिटेशन सेंटर से प्राप्त किया जा सकता है। ये प्रतिमाएं दो आकारों में उपलब्ध हैं। छोटी मूर्ति की कीमत 100 रुपए और बड़ी मूर्ति की कीमत 200 रुपए है। इन प्रतिमाओं की कीमतें काफी सस्ती रखी गई हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग इन्हें खरीदकर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकें।
यदि किसी को इन प्रतिमाओं के बारे में अधिक जानकारी चाहिए या खरीदने में कोई सहायता चाहिए, तो वे प्रतिरूपण अनुभाग के अधिकारी संजय सप्रे से मोबाइल नंबर 9009510860 पर संपर्क कर सकते हैं। सप्रे ने बताया कि गणेश चतुर्थी के पर्व के दौरान लोग इको-फ्रेंडली गणपति को काफी पसंद कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह पहल पर्यावरण के प्रति लोगों की जागरूकता को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।
इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं के निर्माण में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है। इन प्रतिमाओं में नीम, आंवला, जामुन और चंदन के बीज डाले गए हैं, जो विसर्जन के बाद जल में मिलकर नए पौधों के रूप में विकसित हो सकते हैं। इस पहल के माध्यम से संग्रहालय न केवल प्रदूषण को कम करने का प्रयास कर रहा है, बल्कि पर्यावरण के पुनर्निर्माण में भी योगदान दे रहा है।
गणेश चतुर्थी जैसे महत्वपूर्ण पर्व के दौरान पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैलाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं और यदि वे इको-फ्रेंडली प्रतिमाओं का उपयोग करते हैं, तो इससे न केवल जल स्रोतों की शुद्धता बनी रहेगी, बल्कि भूमि में भी पौधों का विकास संभव होगा। इस प्रकार, ये प्रतिमाएं एक स्थायी विकास की दिशा में कदम उठाने का प्रतीक हैं।
हर साल गणेश चतुर्थी के दौरान इको-फ्रेंडली गणपति की मांग बढ़ रही है। लोग पारंपरिक मूर्तियों के बजाए इन प्रतिमाओं को चुन रहे हैं, क्योंकि वे न केवल भगवान गणेश की पूजा का प्रतीक हैं, बल्कि पर्यावरण के प्रति एक जिम्मेदार विकल्प भी हैं। संग्रहालय द्वारा विक्रय के लिए उपलब्ध कराई गई इन प्रतिमाओं की सादगी और पर्यावरणीय महत्व ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
सप्रे ने बताया कि इस साल इको-फ्रेंडली प्रतिमाओं की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। लोग अब पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं और वे समझ रहे हैं कि उनके छोटे-छोटे कदम भी पर्यावरण को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इको-फ्रेंडली गणपति का उपयोग न केवल जल स्रोतों को सुरक्षित रखता है, बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण को सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का निर्माण और उनका विक्रय न केवल एक समयिक आवश्यकता है, बल्कि यह एक लंबे समय तक चलने वाला प्रयास भी है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय इस दिशा में एक प्रमुख भूमिका निभा रहा है और वह लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए लगातार प्रयासरत है।
इस प्रकार की पहल से न केवल गणेश चतुर्थी के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक अवसरों पर भी पर्यावरणीय जिम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करेगा। यदि इस प्रकार की जागरूकता बढ़ती रही, तो भविष्य में हमारे पर्यावरण को सुरक्षित और स्वस्थ रखना संभव हो सकेगा।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का निर्माण और उनका विक्रय पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल के माध्यम से संग्रहालय ने पर्यावरण के प्रति लोगों की जिम्मेदारी को बढ़ावा देने की कोशिश की है।
इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं का उपयोग न केवल धार्मिक आस्था का सम्मान करता है, बल्कि यह पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को भी दर्शाता है। इस गणेश चतुर्थी पर, यदि हम सभी इस पहल को अपनाएं और इको-फ्रेंडली प्रतिमाओं का उपयोग करें, तो यह निश्चित रूप से हमारे पर्यावरण को सुरक्षित रखने में सहायक सिद्ध होगा।
पर्यावरण संरक्षण के इस प्रयास में भाग लेकर हम सभी एक स्वच्छ और स्वस्थ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। आईजीआरएमएस की इस पहल को समर्थन देना एक छोटा सा प्रयास हो सकता है, लेकिन इसका प्रभाव हमारे पर्यावरण पर बहुत बड़ा हो सकता है। आइए, इस गणेश चतुर्थी पर इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं को अपनाकर हम सभी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक कदम उठाएं।
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