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तीन हास्य-व्यंग्य नाटकों के रंगारंग मंचन के साथ सिंधी ड्रामा फेस्टिवल का भव्य समापन

निर्देशक और कलाकार जूली तेजवानी को 'सुंदर अगनानी सम्मान-2024' से किया गया सम्मानित

भोपाल। भारत भवन में आयोजित द्वितीय अखिल भारतीय सिंधी नाट्य समारोह का समापन 29 सितंबर को तीन बेहतरीन हास्य-व्यंग्य नाटकों के मंचन के साथ हुआ। यह समारोह सिंधी रंगमंच और साहित्य को समर्पित था, जिसमें पूरे देश से सिंधी नाट्य दलों ने भाग लिया। इस आयोजन का उद्देश्य सिंधी भाषा और संस्कृति को संरक्षित करना और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाना था।

समारोह का आयोजन सिंधी रंग समूह, भोपाल और अगनानी परिवार द्वारा किया गया था, जिसे भारत भवन एवं सिंधी साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद के सहयोग से आयोजित किया गया। यह समारोह देशभर के सिंधी रंगमंच कलाकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ, जहां उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन किया और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।

'सुंदर अगनानी सम्मान-2024' का वितरण

समारोह की शुरुआत बेहद खास तरीके से हुई। उल्हास नगर की जानी-मानी निर्देशक और कलाकार जूली तेजवानी को इस वर्ष का प्रतिष्ठित 'सुंदर अगनानी सम्मान-2024' प्रदान किया गया। जूली तेजवानी को यह सम्मान उनके उत्कृष्ट नाट्य निर्देशन और सिंधी रंगमंच में योगदान के लिए दिया गया। यह पुरस्कार स्व. सुंदर अगनानी की स्मृति में स्थापित किया गया है, जिनका नाम सिंधी साहित्य और रंगमंच में आदरपूर्वक लिया जाता है। जूली तेजवानी को शॉल, सम्मान पत्र और प्रतीक चिन्ह देकर समारोह में सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उन्होंने सिंधी भाषा और नाटकों के प्रचार-प्रसार के प्रति अपना आभार व्यक्त किया और आगे भी इसी समर्पण के साथ काम करने का संकल्प लिया।

नाटकों का शानदार मंचन

सम्मान समारोह के बाद तीन हास्य-व्यंग्य प्रधान नाटकों का मंचन किया गया, जिनमें से हर नाटक ने दर्शकों को हंसी और विचारों से भरपूर संदेश दिए।


तोभां-तोभां भगवान बचाए (लेखक: ढोलण राही, निर्देशक: तुलसी सेतिया)

इस नाटक का मंचन नागपुर के सिंधुड़ी विंग के कलाकारों ने किया। यह नाटक एक साधारण व्यक्ति की जिंदगी में होने वाली हास्यप्रद और व्यंग्यात्मक घटनाओं पर आधारित था। ढोलण राही द्वारा लिखित यह नाटक दर्शकों को खूब गुदगुदाने में सफल रहा। नाटक के पात्रों ने अपनी अदाकारी से समाज की कमियों और त्रुटियों पर हास्यपूर्ण ढंग से प्रकाश डाला, जिसे दर्शकों ने भरपूर सराहा।

थोड़ो आहे, थोड़े जी घुरिजु आहे (निर्देशक: जय पंजवानी)

इंदौर के सिंधु नाटक परिषद के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत इस नाटक में मानव जीवन के छोटे-छोटे पल और उनके गहरे मायने को बड़े ही मजाकिया अंदाज में प्रस्तुत किया गया। जय पंजवानी के निर्देशन में कलाकारों ने यह दिखाया कि किस प्रकार हमारे जीवन में छोटे-छोटे क्षण हमें हंसी और खुशी देते हैं। नाटक के संवादों ने दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया, जबकि इसके अंत में दिए गए संदेश ने उन्हें विचारों में खो जाने पर मजबूर कर दिया।


गोपूअ जी लव स्टोरी (लेखक: केपी सक्सेना, सिंधी अनुवाद: सुरेश पारवानी, निर्देशक: कविता ईसरानी)

समारोह के समापन पर भोपाल के सिंधु दर्पण संत हिरदाराम नगर के कलाकारों ने 'गोपूअ जी लव स्टोरी' का मंचन किया। यह नाटक एक साधारण व्यक्ति की प्रेम कहानी पर आधारित था, जिसे बड़े ही हास्यपूर्ण तरीके से प्रस्तुत किया गया। कविता ईसरानी के निर्देशन में यह नाटक दर्शकों को खूब हंसाने में सफल रहा। केपी सक्सेना द्वारा लिखे इस नाटक का सिंधी अनुवाद सुरेश पारवानी ने किया था, जिसने नाटक में सिंधी समाज की संस्कृति और जीवन शैली को बखूबी दर्शाया।

सिंधी नाटकों का पुनरुत्थान और भोपाल का योगदान

समारोह के दौरान यह बात भी सामने आई कि स्वतंत्रता के बाद विस्थापन के कारण सिंधी नाटकों के मंचन में करीब 15-20 वर्षों का विराम लग गया था। लेकिन वर्ष 1970 के बाद सिंधी नाटकों का पुनरुत्थान हुआ और अब पूरे भारत में यह नाटक फिर से मंचित किए जा रहे हैं। भोपाल इस पुनरुत्थान का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है, जहां हर साल 8-10 सिंधी नाटकों का मंचन किया जाता है। रविंद्र भवन, भारत भवन और शहीद भवन जैसे प्रतिष्ठित स्थलों पर इन नाटकों का प्रदर्शन होता है, जो दर्शकों को सिंधी भाषा और संस्कृति से जोड़ता है।


समारोह की विशेषताएं और महत्व

द्वितीय अखिल भारतीय सिंधी नाट्य समारोह की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसमें हास्य-व्यंग्य प्रधान नाटकों को मंचित किया गया, जो न केवल दर्शकों का मनोरंजन करने में सफल रहे, बल्कि समाज में व्याप्त विभिन्न मुद्दों पर भी व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। इस तरह के आयोजन न केवल सिंधी भाषा के प्रचार-प्रसार में सहायक होते हैं, बल्कि यह युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ समापन 

समारोह का समापन उत्साह और ऊर्जा से भरा हुआ था। इसमें शामिल कलाकारों, निर्देशकों और दर्शकों ने इस आयोजन को एक सफल प्रयास के रूप में देखा। सिंधी रंगमंच को एक बार फिर से उभरते हुए देखना, खासकर हास्य-व्यंग्य प्रधान नाटकों के माध्यम से, एक सुखद अनुभव था। समारोह में नए कलाकारों और निर्देशकों ने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि सिंधी नाटकों का भविष्य उज्ज्वल है। इस आयोजन ने न केवल भोपाल, बल्कि पूरे भारत के सिंधी समुदाय को एकजुट किया और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में सफल रहा।

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