भोपाल। संस्कार भारती कार्यालय में एक विशेष नाट्य संगोष्ठी का आयोजन रविवार को किया गया, जिसका विषय था 'भारतवर्ष की लोकमाता देवी अहिल्याबाई होलकर की भूमिका'। यह कार्यक्रम संस्कार भारती मध्यभारत प्रांत की CYGB (क्रिएटिव युवा ग्लोरियस भारत) विधा द्वारा संयोजित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक हिम्मत गोस्वामी और निखिल खत्री थे, जो संस्कार भारती के सक्रिय और उत्साही सदस्य हैं। संगोष्ठी का उद्देश्य देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन, उनके सामाजिक दृष्टिकोण और भारत की संस्कृति में उनके योगदान को समझना और समाज के सामने प्रस्तुत करना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ, जिसमें उपस्थित सभी प्रमुख अतिथियों ने मिलकर दीप जलाकर कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की। इसके बाद सभी अतिथियों का शाल और श्रीफल से सम्मान किया गया, जो भारतीय संस्कृति में अतिथि सत्कार का प्रतीक है। इस सम्मान समारोह के बाद संगोष्ठी की औपचारिक चर्चा का दौर शुरू हुआ।
इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध उपन्यासकार, नाटककार और लेखिका रंजना चितले ने शिरकत की। उन्होंने देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन और उनके समाजिक योगदान पर गहन शोध किया है। अपने वक्तव्य में, उन्होंने देवी अहिल्याबाई के महान व्यक्तित्व, उनके शासनकाल और उनकी समाजिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। रंजना ने बताया कि अहिल्याबाई होलकर केवल एक शक्तिशाली शासिका ही नहीं थीं, बल्कि समाज में महिलाओं के अधिकारों, धर्म और सामाजिक सुधारों की दिशा में भी उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा है। उनके शासनकाल में उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी प्रेरणादायक हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ रंगकर्मी संजय मेहता ने की, जिन्होंने भी देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन और उनके सामाजिक कार्यों पर गहराई से विचार व्यक्त किए। संजय ने न केवल उनके प्रशासनिक दृष्टिकोण को सराहा, बल्कि यह भी बताया कि कैसे उन्होंने अपने शासनकाल में समाज को एक नई दिशा दी। संजय ने कहा कि अहिल्याबाई ने न केवल धार्मिक स्थलों का संरक्षण किया, बल्कि समाज में कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए भी अद्वितीय कार्य किए।
कार्यक्रम के दौरान CYGB मध्यभारत के विधा संयोजक निखिल खत्री ने देवी अहिल्याबाई होलकर का लाइव पोट्रेट भी बनाया, जिसे दर्शकों ने सराहा। यह पोट्रेट देवी अहिल्याबाई की महानता और समाज के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है। निखिल खत्री ने अपने कला कौशल से देवी अहिल्याबाई की छवि को जीवंत कर दिया, जिससे उनकी अद्वितीयता और विरासत को दर्शकों के सामने रखा गया।
संस्कार भारती की अध्यक्षा अरुणा शर्मा और कार्यकारी अध्यक्ष प्रकाश गलगले ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने सभी उपस्थित जनों का आभार व्यक्त किया और बताया कि इस संगोष्ठी का उद्देश्य केवल देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन को समझना नहीं, बल्कि उनके विचारों को समाज में फैलाना है ताकि आज के युग में भी उनके आदर्शों को अपनाया जा सके।
इस कार्यक्रम में रंगमंच के विभिन्न कलाकारों ने देवी अहिल्याबाई की भूमिका को मंच पर जीवंत किया। मंच संचालन दीपिका पुरोहित ने किया, जिन्होंने कार्यक्रम को बेहद प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया। वरिष्ठ रंगकर्मी संजय मेहता ने देवी अहिल्याबाई के समाजिक दृष्टिकोण पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि कैसे अहिल्याबाई होलकर ने अपने जीवन में धर्म, राजनीति और समाज के सभी वर्गों के लिए काम किया। उनका योगदान केवल एक शासक के रूप में नहीं, बल्कि एक समाज सुधारक के रूप में भी अद्वितीय रहा है।
रंजना चितले ने अपने वक्तव्य में देवी अहिल्याबाई होलकर की जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अपने पति की मृत्यु के बाद भी अपने राज्य को उन्नति की ओर अग्रसर किया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य किए और अपने शासनकाल में न्याय और धर्म के मूल्यों को सर्वोच्च स्थान दिया।
इस संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक निरंजन पंडा और संस्कार भारती के सहमहामंत्री शेखर कराडकर ने भी उपस्थिति दर्ज की। शेखर कराडकर ने संस्कार भारती का ध्येय गीत प्रस्तुत किया, जो भारतीय संस्कृति और समाज के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इसके अलावा, लोककला विधा प्रमुख महिमा पांडे, प्रेम अष्ठाना, शिव कटारिया और रामचंद्र सिंह भी उपस्थित थे, जिन्होंने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।
कार्यक्रम के अंत में, अरुणा शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया और इस संगोष्ठी के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर का जीवन और उनके कार्य आज भी समाज के लिए प्रेरणादायक हैं। उनके द्वारा किए गए समाजिक कार्य और धार्मिक स्थलों का संरक्षण हमें यह सिखाता है कि कैसे हम अपनी संस्कृति और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा सकते हैं।
इस संगोष्ठी के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि देवी अहिल्याबाई होलकर की भूमिका केवल एक शासिका तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह एक समाज सुधारक, धार्मिक आस्था की प्रतीक और लोकमाता थीं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि कैसे समाज में सभी वर्गों को समान अधिकार और अवसर दिए जाने चाहिए।
सभी वर्गों के लिए प्रेरणा बनी संगोष्ठी
संस्कार भारती द्वारा आयोजित इस संगोष्ठी ने न केवल देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर प्रकाश डाला, बल्कि उनके आदर्शों को समाज में फैलाने का प्रयास भी किया। उनके द्वारा किए गए कार्य हमें आज भी यह सिखाते हैं कि कैसे एक सशक्त नेता और समाज सुधारक के रूप में समाज की उन्नति की जा सकती है। इस कार्यक्रम में विभिन्न विधाओं के कलाकारों, साहित्यकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी भागीदारी से इसे सफल बनाया।
यह संगोष्ठी समाज के सभी वर्गों के लिए एक प्रेरणा बनी और इसका उद्देश्य था कि आने वाली पीढ़ियां भी देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाएं।
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