भोपाल। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IIIT) भोपाल ने विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण और दर्दनाक अध्याय को याद किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य उन लाखों लोगों की स्मृति को संजोना था, जिन्होंने 1947 के विभाजन के दौरान अपार कष्ट सहे और अपने जीवन को नए सिरे से शुरू करने के लिए संघर्ष किया। कार्यक्रम ने न केवल उस पीड़ा को श्रद्धांजलि दी बल्कि शांति और एकता की उम्मीदों को भी सशक्त किया।
कार्यक्रम की शुरुआत एक मार्मिक कविता पाठ से हुई, जिसमें IIIT भोपाल के छात्रों ने विभाजन के दौरान लोगों द्वारा महसूस की गई भावनाओं, संघर्षों और कहानियों को प्रस्तुत किया। प्रत्येक कविता ने उन असंख्य दर्दनाक अनुभवों को अभिव्यक्त किया, जिनसे लोगों को गुजरना पड़ा। विभाजन की त्रासदी के दौरान लोगों द्वारा महसूस की गई आशंकाओं, खोई हुई जड़ों और नए जीवन की खोज की कठिनाइयों को इन कविताओं के माध्यम से बेहद संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया गया। कविता पाठ ने दर्शकों को उस समय की भयावहता से रूबरू कराया और विभाजन के घावों को समझने का अवसर प्रदान किया।
इसके बाद एक चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने विभाजन की पीड़ा, सहनशीलता और शांति व एकता की उम्मीदों को कैनवास पर उतारा। प्रत्येक चित्र ने विभाजन के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाया, जैसे परिवारों का बिछड़ना, अपने घरों से बेघर होना और नई जगहों पर बसने के संघर्ष। छात्रों ने अपनी कला के माध्यम से उन भावनाओं और संघर्षों को जीवंत कर दिया, जिन्हें शब्दों में बयां करना कठिन होता है।
कुछ चित्रों ने उस समय की भयावहता को कैद किया, जबकि अन्य ने भविष्य के प्रति आशा और विश्वास को दर्शाया। इन चित्रों ने विभाजन के समय की जटिलताओं और उसके प्रभावों को एक अनूठे दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया, जिससे दर्शक उस समय की कठिनाइयों और उसके बावजूद भी उम्मीद की रोशनी को महसूस कर सके। यह प्रतियोगिता केवल एक कला का प्रदर्शन नहीं थी, बल्कि इतिहास को एक नई दृष्टि से समझने और उसे अनुभव करने का प्रयास था।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में निबंध लेखन प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें छात्रों ने विभाजन के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचार प्रस्तुत किए। इन निबंधों में विभाजन के ऐतिहासिक विश्लेषण से लेकर व्यक्तिगत अनुभवों तक के विभिन्न दृष्टिकोणों को उजागर किया गया। कुछ निबंधों ने विभाजन के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक प्रभावों पर प्रकाश डाला, जबकि अन्य ने व्यक्तिगत कहानियों के माध्यम से उस समय के दर्द और संघर्ष को सामने लाया।
छात्रों ने विभाजन की घटनाओं के प्रति अपनी समझ और संवेदनशीलता को अभिव्यक्त किया और इस बात पर जोर दिया कि इतिहास के इस दर्दनाक अध्याय से हमें क्या सीखना चाहिए। निबंध लेखन प्रतियोगिता ने छात्रों को विभाजन के प्रभावों पर विचार करने और अपने विचारों को सशक्त रूप से व्यक्त करने का एक मंच प्रदान किया। इसने उन्हें न केवल इतिहास के प्रति जागरूक किया, बल्कि उनके विचारशीलता और लेखन कौशल को भी प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम का समापन IIIT भोपाल की प्रोफेसर निशा सिंघल द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। अपने संबोधन में उन्होंने सभी प्रतिभागियों को इस महत्वपूर्ण अवसर को सफलतापूर्वक मनाने के लिए बधाई दी। प्रोफेसर सिंघल ने इस आयोजन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस न केवल हमारे इतिहास के एक दुखद अध्याय की याद दिलाता है, बल्कि यह हमें शांति, सहनशीलता और एकता के मूल्य भी सिखाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आयोजन हमें हमारे इतिहास के प्रति जागरूक रखते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हम उन गलतियों को दोहराने से बचें, जिन्होंने हमारे पूर्वजों को इतना कष्ट दिया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को उनकी अभूतपूर्व भागीदारी और संवेदनशीलता के लिए सराहा, जिसने इस कार्यक्रम को यादगार बना दिया।
दर्दनाक अनुभवों से मिलती है सीख
IIIT भोपाल में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का यह आयोजन न केवल इतिहास को याद करने का एक अवसर था, बल्कि यह एक ऐसा मंच था, जहां छात्रों ने अपनी रचनात्मकता, संवेदनशीलता और विचारशीलता का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम ने दर्शाया कि विभाजन जैसे कठिन और दर्दनाक अनुभवों से भी हम कुछ महत्वपूर्ण सीख सकते हैं और उन मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा पा सकते हैं, जो शांति और एकता की दिशा में हमारा मार्गदर्शन करते हैं।
कार्यक्रम ने सभी को इस बात का एहसास कराया कि इतिहास को याद रखना और उससे सीख लेना कितना महत्वपूर्ण है। विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस का यह आयोजन उन सभी लोगों के लिए एक श्रद्धांजलि था, जिन्होंने इस कठिन समय का सामना किया और उन संघर्षों के बावजूद भी आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
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