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सही दिशा मिले तो युवा पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण में निभाएगी महत्वपूर्ण भूमिका

इको स्कूल्स ग्रीन फ्लैग प्रोग्राम के तहत भोपाल में आयोजित दो दिवसीय वार्षिक पुरस्कार समारोहरू पर्यावरण संरक्षण के लिए युवा रिपोर्टरों की पहल

भोपाल । इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय एवं पर्यावरण शिक्षा केंद्र के सहयोग से इको स्कूल्स ग्रीन फ्लैग प्रोग्राम के तहत पर्यावरण के लिए युवा रिपोर्टरों का दो दिवसीय वार्षिक पुरस्कार समारोह शैल कला सभागार में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में देश भर से आए 40 से अधिक शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया और अपने पर्यावरण संबंधी पहलों पर विचार विमर्श किया। भोपाल में आयोजित इस वार्षिक पुरस्कार समारोह ने यह साबित कर दिया कि हमारे देश के युवा पर्यावरण संरक्षण के प्रति कितने समर्पित और उत्साहित हैं। इको स्कूल्स ग्रीन फ्लैग प्रोग्राम और युवा रिपोर्टरों के प्रयासों ने एक बार फिर यह दिखा दिया कि जब सही दिशा और मार्गदर्शन मिलता है तो युवा पीढ़ी पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस तरह के कार्यक्रम न केवल पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में सहायक होते हैं बल्कि समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने में भी सक्षम होते हैं। 


कार्यक्रम का प्रारंभ

समारोह का शुभारंभ प्रतिभागियों द्वारा पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा से हुआ। प्रतिभागियों ने अपने-अपने स्कूलों और समुदायों में किए गए पर्यावरणीय प्रयासों को साझा किया। इस दौरान छात्रों और शिक्षकों ने अपने अनुभवों और सफलता की कहानियों को प्रस्तुत कियाए जो उनके प्रेरणादायक प्रयासों का प्रमाण थे।


संग्रहालय भ्रमण

कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय के पारंपरिक प्रौद्योगिकी पार्क का भ्रमण किया। यहां उन्होंने स्वदेशी ज्ञान और प्रौद्योगिकियों के बारे में जाना और बताया कि जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए इन प्रौद्योगिकियों को पुनर्जीवित करना कितना आवश्यक है। प्रतिभागियों ने समझा कि पारंपरिक ज्ञान और तकनीकें वर्तमान पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। 

वीथी संकुल अंतरंग भवन का भ्रमण

इसके बाद उपस्थित लोगों ने वीथी संकुल अंतरंग भवन का भ्रमण किया जिसमें भारत भर से संकलित की गई कलाकृतियां, बर्तन, वेशभूषा और आदिवासी संस्कृति पर प्रदर्शित प्रदर्शनियों का अवलोकन किया। इस भ्रमण ने प्रतिभागियों को भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहराई से परिचित कराया और उन्हें यह समझने में मदद की कि किस प्रकार हमारी सांस्कृतिक धरोहर पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकती है।


विशेषज्ञ सत्र

विशेषज्ञ सत्र में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सुनील उमराव ने मीडिया की भूमिका पर चर्चा की और बताया कि कैसे मीडिया पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को बढ़ावा दे सकता है। डॉ. तपस बिस्वास ने फोटोग्राफी पर विस्तार से जानकारी दी और प्रतिभागियों को सिखाया कि कैसे फोटोग्राफी के माध्यम से पर्यावरणीय मुद्दों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है। इन सत्रों ने प्रतिभागियों को अपने कौशल को निखारने और पर्यावरणीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के नए तरीकों को जानने का अवसर प्रदान किया।

प्रस्तुतियां और पुरस्कार वितरण

इसके पश्चात सभी प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां दीं, जिसमें उन्होंने अपने परिसरों में पर्यावरण जागरूकता और कार्रवाई में किए गए प्रभावशाली कार्यों को प्रदर्शित किया। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को यह दिखाया कि कैसे छोटे-छोटे प्रयास बड़े परिवर्तन ला सकते हैं और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

कार्यक्रम के अंतिम सत्र में टिकाऊ जीवन और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के प्रति समर्पित छात्रों और शिक्षकों को मान्यता दी गई। ग्रीन फ्लैग पुरस्कार विजेताओं और पर्यावरण के लिए युवा रिपोर्टर वाईआरई विजेताओं को सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके निरंतर प्रयासों और समर्पण का प्रमाण था जिन्होंने अपने समुदायों में पर्यावरणीय जागरूकता और संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए अथक परिश्रम किया। 


कार्यक्रम का समापन

समारोह का समापन उन छात्रों और शिक्षकों के सम्मान के साथ हुआ जिन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने उत्कृष्ट कार्यों के माध्यम से एक सकारात्मक प्रभाव डाला है। इस कार्यक्रम ने न केवल पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति जागरूकता बढ़ाई बल्कि छात्रों और शिक्षकों को प्रेरित किया कि वे अपने प्रयासों को जारी रखें और अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव लाएं।

इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय और पर्यावरण शिक्षा केंद्र के इस पहल ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति युवा पीढ़ी के उत्साह और समर्पण को बढ़ावा दिया है। यह कार्यक्रम इस बात का प्रमाण है कि जब युवा और शिक्षित लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए एकजुट होते हैं तो वे बड़े परिवर्तन ला सकते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे समाज में पर्यावरणीय जागरूकता और स्थायित्व के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया जा सकता है। 

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