भोपाल। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में प्रकृति, वन्यजीवों और पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक दिवसीय पक्षी अवलोकन एवं नेचर कैंप का आयोजन मंगलवार को किया गया। इस कार्यक्रम में शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नवीन अरेरा कॉलोनी के 35 छात्र-छात्राओं और एक शिक्षक ने भाग लिया। यह कैंप मध्य प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसमें विद्यार्थियों को वन्यजीव, जैव विविधता, पक्षी अवलोकन और पर्यावरण संरक्षण की महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।
तितलियों की जीवन यात्रा का अध्ययन
कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों को पक्षी विशेषज्ञ डॉ. सगीता राजगरी और वन्यजीव वैज्ञानिक डॉ. एस आर वाघमारे ने पक्षियों और तितलियों के जीवन चक्र, व्यवहार और पर्यावरण में उनकी भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी। पक्षी अवलोकन सत्र के दौरान विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का अवलोकन किया और उनके आवास, भोजन और प्रवासन के तरीकों के बारे में सीखा। विशेषज्ञों ने बताया कि पक्षियों की गतिविधियां पर्यावरण की सेहत की सूचक होती हैं और उनके संरक्षण से पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
तितलियों के जीवन चक्र की व्याख्या करते हुए डॉ. वाघमारे ने लार्वा, प्यूपा और वयस्क तितली के रूपांतरण को समझाया। विद्यार्थियों को तितलियों के लार्वा और प्यूपा दिखाकर यह बताया गया कि किस प्रकार वे जीवन के विभिन्न चरणों से गुजरती हैं और उनकी विविधता पारिस्थितिकी तंत्र के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। यह सत्र छात्रों के लिए खासा रोचक और जानकारीपूर्ण रहा, क्योंकि उन्होंने तितलियों और कीट-पतंगों की पारिस्थितिकी में भूमिका के बारे में सीखा।
रोचक गतिविधियों और खेलों के माध्यम से जागरूकता
वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण के प्रति छात्रों में रुचि पैदा करने के लिए विभिन्न रोचक गतिविधियों और खेलों का भी आयोजन किया गया। इनमें प्रश्नोत्तरी, पर्यावरण विषयक खेल और चर्चा शामिल थीं, जिसमें छात्रों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। खेलों के माध्यम से छात्रों को पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीवों की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग के बारे में जागरूक किया गया।
जैव विविधता के संरक्षण पर जोर
विशेषज्ञों द्वारा जैव विविधता और उसके संरक्षण के महत्व पर भी विशेष जोर दिया गया। विद्यार्थियों को बताया गया कि जैव विविधता ही हमारे पर्यावरण की रीढ़ है और इसका संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी समझाया कि कैसे मानव गतिविधियों के कारण वन्यजीवों के आवास नष्ट हो रहे हैं और इसे रोकने के लिए हमें कदम उठाने की आवश्यकता है।
प्रकृति की अनमोल धरोहर को बचाने के लिए छात्रों को प्रेरित करते हुए डॉ. सगीता राजगरी ने कहा, "प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है, और आज की युवा पीढ़ी को इसे समझना बहुत जरूरी है।" उन्होंने छात्रों को सुझाव दिया कि वे अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करके पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकते हैं, जैसे कि प्लास्टिक का कम उपयोग, ऊर्जा की बचत, और पानी की बर्बादी को रोकना।
पर्यावरण संरक्षण की शपथ
कार्यक्रम के अंत में, सभी प्रतिभागियों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए शपथ ली। यह शपथ छात्रों में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दिलाई गई। उन्होंने यह संकल्प लिया कि वे न केवल अपने पर्यावरण की रक्षा करेंगे, बल्कि अन्य लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करेंगे। इस शपथ के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि हर व्यक्ति के छोटे-छोटे प्रयास पर्यावरण संरक्षण में बड़ा योगदान दे सकते हैं।
वन विहार के अधिकारियों का योगदान
इस कार्यक्रम का संचालन वन विहार के अधिकारी मीना अवधेशकुमार शिवकुमार और अन्य अधिकारियों द्वारा किया गया। उन्होंने छात्रों को वन विहार की विशेषताओं और यहां के संरक्षण कार्यों के बारे में बताया। वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, जो कि भोपाल का एक प्रमुख पर्यावरणीय स्थल है, छात्रों के लिए एक जीवंत कक्षा के रूप में काम आया, जहां उन्होंने जीवित पारिस्थितिक तंत्र के बारे में सीखा।
प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का महत्व
इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को वन्यजीवों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना था। बच्चों को यह समझाया गया कि कैसे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हमारे जीवन के लिए आवश्यक है। विशेषज्ञों ने उन्हें जंगलों, वन्यजीवों और पक्षियों के महत्व को समझाते हुए बताया कि इनकी सुरक्षा के बिना मानव जीवन भी संकट में पड़ सकता है। वन्यजीव संरक्षण के साथ-साथ छात्रों को यह भी बताया गया कि कैसे वनों की कटाई, प्रदूषण और अन्य मानवीय गतिविधियां पर्यावरण के संतुलन को बिगाड़ रही हैं।
जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में बढ़ाते कदम
वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में आयोजित यह एक दिवसीय पक्षी अवलोकन एवं नेचर कैंप छात्रों के लिए न केवल ज्ञानवर्धक साबित हुआ, बल्कि उन्होंने पर्यावरण और वन्यजीवों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी समझा। इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों में पर्यावरणीय जागरूकता और संरक्षण की भावना विकसित करना अत्यंत आवश्यक है। ऐसे आयोजनों से छात्र न केवल वन्यजीवों और प्रकृति के महत्व को समझते हैं, बल्कि वे भविष्य के लिए एक जिम्मेदार नागरिक बनने की दिशा में कदम भी बढ़ाते हैं।
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