भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरुवार को दिल्ली में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से उनके कार्यालय में मुलाकात की, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई। विशेषकर नदी जोड़ो परियोजनाओं पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री ने केन-बेतवा लिंक परियोजना और अन्य जल प्रबंधन योजनाओं को लेकर महत्वपूर्ण सुझाव दिए और राज्य की स्थिति से अवगत कराया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बैठक के दौरान केंद्रीय मंत्री को बताया कि मध्य प्रदेश राज्य नदी जोड़ो अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश संयुक्त रूप से महत्वाकांक्षी केन-बेतवा लिंक परियोजना पर कार्य कर रहे हैं। यह परियोजना विश्व में अपने प्रकार की अद्वितीय है और इसका उद्देश्य बुंदेलखंड क्षेत्र के 10 जिलों में सिंचाई और पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करना है।
डॉ. यादव ने इस क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि बुंदेलखंड ने कभी भी अपनी संप्रभुता दिल्ली सल्तनत या मुगल शासकों के अधीन नहीं की, लेकिन पानी की कमी के कारण यह क्षेत्र संसाधनहीन हो गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में केन-बेतवा परियोजना के माध्यम से इस क्षेत्र का सर्वांगीण विकास संभव होगा। यह परियोजना न केवल पानी की समस्या को हल करेगी, बल्कि कृषि और स्थानीय विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया कि राज्य को दौधन बांध एवं लिंक नहर के भू-अर्जन और पुनर्विस्थापन के लिए केंद्र से प्राप्त होने वाली शेष 1150 करोड़ रुपए की राशि शीघ्र जारी की जाए। इस पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री पाटिल ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और जल्द से जल्द राशि जारी करने का आश्वासन दिया।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बैठक में अनुरोध किया कि स्वीकृत केन-बेतवा लिंक परियोजना के अंतर्गत वर्तमान में प्रावधानित दमोह-पन्ना उद्वहन सिंचाई योजना से 90,100 हेक्टेयर सिंचाई के स्थान पर लगभग 2,50,000 हेक्टेयर की मध्य प्रदेश की पत्ने और ब्यरमा सिंचाई परियोजना को शामिल किया जाए। इस संबंध में संशोधित डीपीआर राज्य शासन द्वारा भेजी जा रही है, जिस पर केंद्रीय मंत्री ने सकारात्मक विचार करने का आश्वासन दिया।
बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने राजस्थान के साथ भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 70,000 करोड़ रुपए की पार्वती-कालीसिंध चंबल परियोजना के संबंध में भी विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश ऐसा पहला राज्य है जो समीपवर्ती राज्यों के साथ नदियां जोड़ने के अलावा अंतर्राज्यीय नदियों को जोड़ने पर भी विचार कर रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि कान्ह और गंभीर नदियों को जोड़ने का प्रारंभिक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे केंद्रीय मंत्री ने सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की है।
मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश ने 21 में से 17 योजनाओं को सबसे पहले पूरा कर लिया है। इस उपलब्धि के लिए केंद्रीय मंत्री पाटिल ने प्रदेश सरकार की सराहना की।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उज्जैन में वर्ष 2028 में आयोजित होने वाले सिंहस्थ पर्व के संबंध में घाट निर्माण और नदी सफाई से संबंधित प्रस्ताव भी केंद्रीय मंत्री पाटिल को प्रस्तुत किए। उन्होंने बताया कि इस महत्त्वपूर्ण धार्मिक आयोजन के लिए राज्य सरकार पूरी तैयारी कर रही है और केंद्र सरकार से सहयोग की अपेक्षा रखती है। केंद्रीय मंत्री ने इस पर भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और राज्य सरकार को हरसंभव सहयोग देने का आश्वासन दिया।
इस मुलाकात से यह स्पष्ट हुआ कि मध्य प्रदेश सरकार जल प्रबंधन और सिंचाई योजनाओं को लेकर गंभीर है और केंद्रीय सरकार के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सुझावों की सराहना की और राज्य की परियोजनाओं के लिए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
इस बैठक से न केवल जल प्रबंधन और नदी जोड़ो परियोजनाओं में तेजी आएगी, बल्कि बुंदेलखंड क्षेत्र का विकास भी सुनिश्चित होगा। इसके अलावा अन्य राज्यों के साथ मिलकर नदियों को जोड़ने की योजनाओं में भी मध्य प्रदेश की सक्रिय भूमिका को केंद्र ने सराहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की इस पहल से राज्य के जल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा और यह क्षेत्र विकास की नई ऊंचाइयों को छुएगा।
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