भोपाल। विश्व भर में हर साल 20 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य हमारे निकटतम खगोलीय पड़ोसी, चंद्रमा के संसाधनों की खोज और उनके उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। इस वर्ष आंचलिक विज्ञान केंद्र ने इस खास मौके पर क्या हम चंद्रमा पर उपनिवेश स्थापित करने के लिए तैयार हैं विषय पर एक विशेष कार्यशाला और चंद्रमा के रहस्य और चमत्कार नामक फिल्म की स्क्रीनिंग का आयोजन किया। आंचलिक विज्ञान केंद्र के क्यूरेटर साकेत सिंह कौरव ने बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्रों के खनिज समृद्ध स्थायी रूप से छायादार क्रेटरों पर केंद्रित था। इस कार्यक्रम में छात्रों को चंद्रमा के बारे में गहन जानकारी दी गई और उनके अंदर विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति रुचि उत्पन्न करने का प्रयास किया गया।
चंद्रमा पर मानव कॉलोनी का महत्वाकांक्षी मॉडल
कार्यशाला के दौरान चंद्रमा पर मानव कॉलोनी का एक महत्वाकांक्षी मॉडल प्रदर्शित किया गया। इस मॉडल ने दर्शाया कि कैसे मानव भविष्य में चंद्रमा पर उपनिवेश स्थापित कर सकते हैं और वहां के संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। इस मॉडल के माध्यम से छात्रों को चंद्रमा की सतह, इसके भूभाग और क्रेटरों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
एनाग्लिफ तकनीक का अनुभव
कार्यशाला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था एनाग्लिफ तकनीक का उपयोग। प्रतिभागी छात्रों ने कुछ किट विकसित की जो उन्हें एनाग्लिफ तकनीक के माध्यम से चंद्रमा की सतह का थ्री डी दृश्य देखने में मदद करती है। यह तकनीक छात्रों के लिए बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक साबित हुई।
आवश्यक सामग्री और मार्गदर्शन
आंचलिक विज्ञान केंद्र ने कार्यशाला के प्रतिभागियों को सभी आवश्यक सामग्री, मार्गदर्शन और सहायता प्रदान की। किट तैयार करने के लिए आवश्यक सभी सामग्री केंद्र द्वारा दी गई थी और प्रतिभागियों को इन्हें घर पर उपयोग के लिए भी दिया गया। इसके साथ ही प्रतिभागियों को भागीदारी के प्रमाण पत्र भी प्रदान किए गए।
छात्रों और शिक्षकों की सहभागिता
इस हैंड्स ऑन कार्यशाला में कुल 27 छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया। सभी ने इस अनुभव को अत्यंत रोचक और ज्ञानवर्धक पाया। प्रतिभागियों ने चंद्रमा के बारे में अनेक नई जानकारियां प्राप्त कीं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सोचने का अवसर मिला।
फिल्म स्क्रीनिंग में देखे चंद्रमा के रहस्य और चमत्कार
कार्यशाला के बाद चंद्रमा के रहस्य और चमत्कार विषय पर एक फिल्म की स्क्रीनिंग की गई। इस फिल्म ने चंद्रमा के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया और छात्रों को इसके बारे में और अधिक जानने की प्रेरणा दी। फिल्म शो की स्क्रीनिंग में कुल 75 छात्रों ने भाग लिया और उन्होंने इसे अत्यंत रोचक और शिक्षाप्रद पाया।
प्रतिभागियों के अनुभव
कार्यशाला और फिल्म स्क्रीनिंग में भाग लेने वाले छात्रों ने अपने अनुभव साझा किए। छात्रा रिया ने कहा, मुझे इस कार्यशाला में भाग लेकर बहुत अच्छा लगा। मैंने चंद्रमा के बारे में बहुत कुछ नया सीखा और एनाग्लिफ तकनीक के माध्यम से चंद्रमा की सतह को थ्री-डी में देखने का अनुभव बहुत रोचक था। छात्र आदित्य ने कहा मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम चंद्रमा पर उपनिवेश स्थापित कर सकते हैं। इस कार्यशाला ने मुझे चंद्रमा के बारे में जानकारी दी और मुझे भविष्य में वैज्ञानिक बनने की प्रेरणा दी।
शिक्षकों की प्रतिक्रिया
कार्यशाला में भाग लेने वाले शिक्षकों ने भी इस कार्यक्रम की सराहना की। शिक्षक मीनाक्षी ने कहा आंचलिक विज्ञान केंद्र ने इस कार्यशाला के माध्यम से छात्रों के अंदर विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति रुचि उत्पन्न करने का अद्भुत प्रयास किया है। इस प्रकार की कार्यशालाएं छात्रों को प्रेरित करती हैं और उनके ज्ञान में वृद्धि करती हैं।
कार्यशाला और फिल्म स्क्रीनिंग से छात्र हुए प्रेरित
अंतर्राष्ट्रीय चंद्रमा दिवस के अवसर पर आंचलिक विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित यह कार्यशाला और फिल्म स्क्रीनिंग न केवल छात्रों के लिए एक रोचक अनुभव साबित हुई बल्कि उनके ज्ञान और रुचियों में भी वृद्धि की। इस कार्यक्रम में छात्रों को चंद्रमा के बारे में जानकारी दी और उन्हें भविष्य में वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए प्रेरित किया। ऐसे आयोजन छात्रों के अंदर विज्ञान के प्रति रुचि जगाने और उन्हें प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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