खजुराहो

खजुराहो नृत्य समारोह भारतीय संस्कृति को संरक्षित और संवर्धित करने का समारोह : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

विश्व प्रसिद्ध खजुराहो के मंदिर की आभा में "50वां खजुराहो नृत्य महोत्सव" का हुआ शंखनाद, सात दिवस तक विभिन्न नृत्य शैलियों के सुप्रसिद्ध कलाकार प्रस्तुत करेंगे भारतीय संस्कृति की सुदीर्घ परंपरा

खजुराहो। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग एवं उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के साझा प्रयासों और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन छतरपुर के सहयोग से यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल खजुराहो में विश्वविख्यात "50वां खजुराहो नृत्य महोत्सव" का शुभारंभ 20 फरवरी को पश्चिम मंदिर समूह की आभा में शंखनाद हुआ। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बतौर मुख्य अतिथि, सांसद खजुराहो वीडी शर्मा, विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, साथ ही राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार ) संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। शुभारंभ अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन विभाग शिवशेखर शुक्ला एवं संचालक संस्कृति एनपी नामदेव भी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि खजुराहो नृत्य समारोह भारतीय संस्कृति को संरक्षित और संवर्धित करने का समारोह है। खजुराहो के मंदिर 1000 वर्ष से पुराने गौरवशाली इतिहास को गर्व और गौरव से प्रदर्शित करते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि खजुराहो नृत्य समारोह के माध्यम से भारतीय संस्कृति की गौरवशाली परंपरा से विश्व परिचित हो रहा है। आने वाले समय में इसे और अधिक भव्य और दिव्य स्वरूप में आयोजित किया जाएगा। संस्कृति पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने भारतीय सनातन संस्कृति के महत्व को बताते हुए खजुराहो नृत्य समारोह के योगदान को रेखांकित किया। 

सांसद खजुराहो वीडी शर्मा ने कहा की खजुराहो अध्यात्म और कला की धरती है। उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. यादव का खजुराहो को जनजातीय और लोक कलाओं के प्रशिक्षण के लिए देश का पहला गुरुकुल देने के लिए खजुराहो की जनता की तरफ से आभार व्यक्त किया। प्रमुख सचिव संस्कृति और पर्यटन शिव शेखर शुक्ला ने खजुराहो नृत्य समारोह के अब तक के गौरवशाली इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर वन तथा पर्यावरण राज्यमंत्री दिलीप अहिरवार, क्षेत्रीय विधायक, स्थानीय प्रशासन और संबंधित अधिकारी सहित बड़ी संख्या में कला प्रेमी उपस्थित रहे। मुख्यमंत्री डॉ.यादव ने खजुराहो नृत्य समारोह के विभिन्न पहलुओं पर आधारित पुस्तक 'सोपान' एवं कॉफी टेबल बुक बुंदेलखंड का लोकार्पण भी किया।


मुख्यमंत्री द्वारा आदिवर्त संग्रहालय का अवलोकन 

वहीं मुख्‍यमंत्री डॉ.मोहन यादव, सांसद लोकसभा खजुराहो विष्णुदत्त शर्मा, राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) संस्कृति, पर्यटन एवं धा‍र्मिक न्‍यास धर्मस्‍व विभाग धर्मेन्‍द्र सिंह लोधी, प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन शिव शेखर शुक्ला, संचालक संस्कृति एनपी नामदेव ने आदिवर्त संग्रहालय में बने जनजातीय आवासों का अवलोकन किया एवं संग्रहालय परिसर में बन रहे गुरुकुल का भूमि पूजन भी किया।

मध्यप्रदेश राज्य रूपंकर कला पुरस्कार 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मध्यप्रदेश राज्य रूपंकर कला पुरस्कार भी प्रदान किए। इसके अंतर्गत कमता बाई, भोपाल को भील पित्थोरा-गातला देव के लिए देवकृष्ण जटाशंकर जोशी पुरस्कार, रोशनी श्याम, भोपाल को हिरण और बच्चे के लिए मुकुन्द सखाराम भाण्ड पुरस्कार, झुमुक दास मानिकपुरी, भोपाल को अनटाइटल—6 के लिए सैयद हैदर रज़ा पुरस्कार, अनूप शिवहरे, ग्वालियर को अनटाइटल्ड के लिए दत्तात्रेय दामोदर देवलालीकर पुरस्कार, बलवन्त सिंह भदौरिया, ग्वालियर को सिटी स्केप-1 के लिए जगदीश स्वामीनाथन पुरस्कार, उमेन्द्र वर्मा, ग्वालियर को शिव साधना-1 के लिए विष्णु चिंचालकर पुरस्कार, अनुराग जडिया, ग्वालियर को यात्रा-2 के लिए नारायण श्रीधर बेन्द्रे पुरस्कार, दिव्या व्यास, खरगोन को भये प्रगट कृपाला के लिए रघुनाथ कृष्णराव फड़के पुरस्कार, शिखा गोयल और देवास को वाय आई एम सो क्युरियस के लिए लक्ष्मीशंकर राजपूत पुरस्कार प्रदान किया गया। 


पद्मश्री रंजना गौहर एवं साथी कलाकरों ने दी नृत्य प्रस्तुति 

50वें खजुराहो नृत्य महोत्सव के शुभारंभ अवसर पर पद्मश्री रंजना गौहर की कोरियोग्राफी में ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति में सबसे पहले भगवान काशी विश्वेश्वर के प्रति अथाह प्रेम एवं भक्ति भाव को प्रकट किया गया। इस प्रस्तुति में प्रदर्शित किया गया कि यदि हम भगवान काशी विश्वेश्वर से प्रेम करते हैं तो जन्म और मृत्यु के चक्र को समझ सकते हैं। इस प्रस्तुति में पवित्र मां गंगा को भी परिलक्षित किया गया, साथ ही त्रिशूल की भी महिमा की गई। यह प्रस्तुति राग आसावरी में निबद्ध थी और ताल खेमता में प्रस्तुत की गई। इसके बाद राग पहाड़ी और ताल जाति में सखी हे केशी मथन मुदरम की प्रस्तुति दी गई। तत्पश्चात रास रंग की प्रस्तुति राग मिश्र खमाज ताल एकताली खेमता में दी गई। इस प्रस्तुति में गायन सरोज मोहंती, मर्दल पर प्रफुल मंगराज, बांसुरी पर धीरज पाण्डेय, वायलिन पर अग्निमित्र बेहेरा और खोल, मंगीरा पर प्रदीप्त मोहराना थे।


सुधाना शंकर एवं साथी कलाकरों ने दी भरतनाट्यम की प्रस्तुति 

पद्मश्री रंजना गौहर की ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति के पश्चात सुधाना शंकर एवं साथी, नई दिल्ली की भरतनाट्यम की प्रस्तुति हुई। इस प्रस्तुति में सर्वप्रथम देवी स्तुति की गई, जिसमें स्त्री का सौंदर्य और सिद्धांत दर्शाए गए, साथ ही बताया की एक स्त्री किसी भी राक्षस को खत्म करने के लिए सक्षम हैं। इसके बाद उन्होंने द्रौपदी और मुरली नाद सुनायो प्रस्तुति दी। इस प्रस्तुति में गायन में सुजेश मेनन, वायलिन पर मंगला वैद्यनाथन और मृदंगम पर प्रजेश नायर ने साथ दिया।

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