भोपाल। वैशाली नगर स्थित कुक्कुट भवन में रविवार को स्वरांजली कल्चरल सोशल वेलफेयर सोसायटी द्वारा 'सुरों के सम्राट' कार्यक्रम के अंतर्गत स्वरांजली म्यूजिक कॉम्पीटीशन का फाइनल राउंड आयोजित किया गया। इस संगीत प्रतियोगिता ने न केवल शहर बल्कि अन्य क्षेत्रों से भी संगीत प्रेमियों और प्रतिभाशाली कलाकारों को एक मंच पर लाकर, उनकी कला को निखारने का अवसर प्रदान किया। यह प्रतियोगिता संगीत के क्षेत्र में उभरती हुई प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने और उनकी कला को पहचान दिलाने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी।
स्वरांजली म्यूजिक कॉम्पीटीशन की शुरुआत ऑनलाइन माध्यम से हुई, जिसमें भोपाल और अन्य शहरों से कुल 248 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता के क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल राउंड ऑनलाइन आयोजित किए गए थे, जिनमें सभी आयु वर्ग के कलाकारों ने अपनी गायन प्रतिभा का प्रदर्शन किया। इन राउंड्स के बाद फाइनल के लिए 26 प्रतिभागियों का चयन किया गया, जिन्होंने 31 अगस्त को निर्णायकों के समक्ष अपने गीतों की प्रस्तुति दी।
प्रतियोगिता का फाइनल राउंड उन प्रतिभागियों के लिए एक यादगार अवसर था, जिनमें से कई ने पहली बार इस तरह के मंच पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। यह प्रतियोगिता विशेष थी क्योंकि इसमें सामान्य और दिव्यांग दोनों ही प्रकार के कलाकार शामिल थे, जिन्होंने अपने-अपने गीतों के माध्यम से दर्शकों का दिल जीत लिया।
इस संगीत प्रतियोगिता के परिणामस्वरूप, पार्थवी जोशी ने प्रथम पुरस्कार जीता और उन्हें 5 हजार रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया। ईशान सोढ़ी ने द्वितीय स्थान प्राप्त कर 3 हजार रुपये का पुरस्कार जीता, जबकि भूषण मधुकर शेंडे ने तृतीय स्थान पर आकर 1 हजार रुपये का नकद पुरस्कार प्राप्त किया। प्रिशा मालवीय, लाभांश गौर और अक्षिका सिंग को सांत्वना पुरस्कार स्वरूप 500 रुपये के साथ सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त, प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी 248 प्रतिभागियों को विशेष अतिथि पूर्व सांसद आलोक संजर और डॉ. शशि किरण नायक की उपस्थिति में प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।
प्रतियोगिता के प्रथम पुरस्कार विजेता पार्थवी जोशी को एक और विशेष अवसर मिला उनके गीत की रिकॉर्डिंग और वीडियो शूटिंग एक पेशेवर स्टूडियो में की जाएगी। यह उनके करियर के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जो उनकी गायन यात्रा को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक सिद्ध होगा।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में, संगीत के दिग्गज कलाकारों को श्रद्धांजलि देते हुए, दिव्यांग और सामान्य कलाकारों ने अपने-अपने गीतों के माध्यम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित दिव्यांग कलाकार डॉ. दिव्यता जैन गर्ग ने एक राधा एक मीरा..., गीत की मनमोहक प्रस्तुति दी, जो श्रोताओं के दिलों में गूंज उठी। तुषार सोहनी ने हमें तुमसे प्यार कितना..., गीत गाकर अपने अद्वितीय सुरों का प्रदर्शन किया। दिव्यांग कलाकार राजू यादव ने तेरे चेहरे में वो जादू है..., गीत की प्रस्तुति देकर अपनी गायन कला का लोहा मनवाया। बांसुरी वादक सुमित कोल्हे ने पंख होते तो उड़ आती रे..., की धुन पर श्रोताओं को अपने सुरों की दुनिया में ले गए, जबकि मृत्युंजय पांडे ने एहसान तेरा होगा मुझपर..., गीत की अद्भुत प्रस्तुति देकर समां बांध दिया।
संगीत के क्षेत्र में रियाज का महत्व, गीतों का चयन और गले की तैयारी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर कार्यशाला का आयोजन भी इस कार्यक्रम का एक प्रमुख हिस्सा था। इस कार्यशाला में प्रसिद्ध कलाकार राजेश भट्ट और डॉ. अश्वीना रांगणेकर ने संगीत प्रेमियों को मार्गदर्शन दिया। उन्होंने अपने अनुभवों और ज्ञान को साझा करते हुए, प्रतिभागियों को संगीत में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए जरूरी टिप्स दिए। यह कार्यशाला न केवल कलाकारों के लिए लाभदायक सिद्ध हुई, बल्कि इसने उनकी संगीत साधना को भी नई दिशा प्रदान की।
इस कार्यक्रम का आयोजन स्वरांजली कल्चरल सोशल वेलफेयर सोसायटी की अध्यक्ष प्रियंका जैन के नेतृत्व में हुआ, जिन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य सभी आयु वर्ग के दिव्यांग और सामान्य संगीतकारों को एक मंच प्रदान करना था, ताकि वे अपनी प्रतिभा को समाज के सामने ला सकें और इस क्षेत्र में आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें। प्रियंका जैन ने कहा हमारा लक्ष्य है कि हम समाज के हर वर्ग को संगीत के माध्यम से जोड़ सकें और उन्हें अपने हुनर को निखारने का अवसर दें।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व सांसद आलोक शर्मा, डॉ. शशि किरण नायक, सुनील अग्रवाल, डॉ. एसपी ठाकुर और डॉ. उषा ठाकुर की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी गरिमामय बना दिया। उन्होंने प्रतियोगिता में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया और स्वरांजली कल्चरल सोशल वेलफेयर सोसायटी के इस प्रयास की सराहना की।
कार्यक्रम का समापन एक बेहद सकारात्मक और उत्साहजनक माहौल में हुआ, जहां सभी प्रतिभागियों, अतिथियों और दर्शकों ने संगीत के इस अनूठे संगम का भरपूर आनंद लिया। इस कार्यक्रम ने न केवल कलाकारों को प्रोत्साहित किया, बल्कि समाज को भी यह संदेश दिया कि संगीत सभी के लिए है, चाहे वे सामान्य हों या दिव्यांग।
स्वरांजली कल्चरल सोशल वेलफेयर सोसायटी ने भविष्य में और भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाई है, जिनसे अधिक से अधिक प्रतिभाशाली कलाकारों को मंच प्रदान किया जा सके। इस तरह के आयोजन न केवल कलाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत होते हैं, बल्कि समाज में समरसता और एकजुटता का भी प्रतीक बनते हैं।
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