भोपाल। मध्य प्रदेश ने एक बार फिर सोयाबीन उत्पादन में देश में अपना शीर्ष स्थान प्राप्त कर लिया है, जो प्रदेश की कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति का प्रतीक है। भारत सरकार द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश ने 5.47 मिलियन टन सोयाबीन का उत्पादन किया है, जिससे यह देश का सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक राज्य बन गया है। यह उपलब्धि राज्य के किसानों की कड़ी मेहनत, सरकार की प्रभावी नीतियों और कृषि में किए गए आधुनिक सुधारों का परिणाम है।
मध्य प्रदेश का देश के कुल सोयाबीन उत्पादन में 41.92 प्रतिशत का योगदान है, जो इसे एक महत्वपूर्ण उत्पादक राज्य के रूप में स्थापित करता है। यह वृद्धि प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन के लिए उपयुक्त जलवायु, आधुनिक तकनीकों के उपयोग और किसानों की परिश्रम का नतीजा है।
महाराष्ट्र, जो पिछले कुछ वर्षों से शीर्ष स्थान पर था, इस साल 5.23 मिलियन टन उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर आ गया है और देश के कुल उत्पादन में उसका योगदान 40.01 प्रतिशत है। वहीं, राजस्थान 1.17 मिलियन टन उत्पादन के साथ तीसरे स्थान पर है, जिसका योगदान 8.96 प्रतिशत है।
मध्य प्रदेश के लिए यह सफलता विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले दो वर्षों में राज्य सोयाबीन उत्पादन में महाराष्ट्र से पिछड़ गया था। वर्ष 2022-23 में महाराष्ट्र 5.47 मिलियन टन उत्पादन के साथ पहले स्थान पर था, जबकि मध्य प्रदेश 5.39 मिलियन टन के साथ दूसरे स्थान पर रहा। इसी प्रकार, वर्ष 2021-22 में भी महाराष्ट्र ने 6.20 मिलियन टन उत्पादन के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया था और मध्यप्रदेश 4.61 मिलियन टन के साथ दूसरे स्थान पर था।
यह स्थिति प्रदेश के किसानों और कृषि विभाग के लिए चुनौतीपूर्ण थी। इस दौरान राज्य के कृषि विशेषज्ञों, किसानों और सरकार ने मिलकर नई रणनीतियों पर काम किया। बेहतर बीज, आधुनिक तकनीक और समय पर जल प्रबंधन ने इस परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मध्य प्रदेश में सोयाबीन उत्पादन में यह उछाल केवल उत्पादन तक सीमित नहीं है। प्रदेश में सोयाबीन का रकबा भी 2022-23 की अपेक्षा 2023-24 में 1.7 प्रतिशत बढ़ा है। 2022-23 में सोयाबीन का क्षेत्रफल 5975 हजार हेक्टेयर था, जो 2023-24 में बढ़कर 6679 हजार हेक्टेयर हो गया। इस वृद्धि ने न केवल उत्पादन में बढ़ोतरी की, बल्कि राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया।
इस क्षेत्रफल वृद्धि के साथ, सोयाबीन का उत्पादन भी 2022-23 के 6332 हजार मैट्रिक टन से बढ़कर 2023-24 में 6675 हजार मैट्रिक टन हो गया। यह सुधार राज्य की कृषि उत्पादकता में एक सकारात्मक संकेत है, जो भविष्य में और भी बेहतर परिणाम की उम्मीद जगाता है।
हालांकि मध्य प्रदेश ने सोयाबीन उत्पादन में फिर से शीर्ष स्थान प्राप्त कर लिया है, लेकिन पिछले वर्षों में प्रदेश के सोयाबीन उत्पादन और क्षेत्रफल में कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। उदाहरण के लिए, 2018-19 की तुलना में 2019-20 में सोयाबीन के क्षेत्रफल में 14.30 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। 2018-19 में सोयाबीन का क्षेत्रफल 5019 हजार हेक्टेयर था, जो 2019-20 में बढ़कर 6194 हजार हेक्टेयर हो गया।
इसके बावजूद, 2019-20 में सोयाबीन का उत्पादन 2018-19 के 5809 हजार मैट्रिक टन से घटकर 3856 हजार मैट्रिक टन हो गया, जो 33.62 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है। यह गिरावट उस समय के प्रतिकूल मौसम, पानी की कमी और कीट प्रकोप जैसी चुनौतियों का परिणाम थी। लेकिन इन चुनौतियों से निपटने के लिए राज्य सरकार और किसानों ने मिलकर कई सुधारात्मक कदम उठाए।
मध्य प्रदेश की इस सफलता से यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार और किसानों ने इन वर्षों में जो मेहनत की है, वह रंग लाई है। राज्य में सोयाबीन उत्पादन की स्थिरता बनाए रखने के लिए भविष्य में भी कई कदम उठाए जा रहे हैं। बेहतर बीज, समय पर उर्वरक उपलब्धता, सिंचाई की उचित व्यवस्था और कीट नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
प्रदेश की सरकार भी किसानों को नई तकनीकियों और उन्नत कृषि विधियों के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही है। किसानों को प्रशिक्षण देने, फसल बीमा योजनाओं का लाभ पहुंचाने और बाजार तक उनकी पहुंच बढ़ाने के प्रयासों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन न केवल स्थिर रहे, बल्कि लगातार बढ़ता भी रहे, सरकार विभिन्न कृषि योजनाओं का कार्यान्वयन कर रही है।
मध्य प्रदेश का सोयाबीन उत्पादन में फिर से शीर्ष पर आना राज्य की आर्थिक समृद्धि और कृषि क्षेत्र में हो रही प्रगति का प्रतीक है। यह राज्य के किसानों के लिए गर्व की बात है, जो अपनी मेहनत और समर्पण से इस सफलता को संभव बना सके।
यह सफलता न केवल राज्य के किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक होगी, बल्कि इससे प्रदेश की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। राज्य सरकार की नई योजनाएं और किसानों की मेहनत, इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
आने वाले वर्षों में, अगर इसी तरह से राज्य सरकार और किसानों का सहयोग बना रहा, तो मध्य प्रदेश न केवल सोयाबीन बल्कि अन्य कृषि उत्पादों में भी नए आयाम छू सकता है। सोयाबीन उत्पादन में यह पुनरुत्थान राज्य के किसानों के लिए एक नई उम्मीद और प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरा है, जो उन्हें भविष्य में और भी बड़ी सफलताओं की ओर ले जाएगा।
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