भोपाल। हिंदी दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा राष्ट्रीय हिंदी सम्मान अलंकरण और अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन रविंद्र भवन स्थित अंजनी सभागार में किया गया, जहां देश और विदेश के हिंदी सेवियों और प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस भव्य समारोह के मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव थे, जबकि विशेष अतिथि के रूप में संस्कृति, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दी। इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला और संस्कृति संचालक एनपी नामदेव भी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के आरंभ में देश और विदेश में हिंदी की सेवा करने वाले विद्वानों और लेखकों को विभिन्न राष्ट्रीय हिंदी सम्मानों से अलंकृत किया गया। राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान 2022 नई दिल्ली स्थित डिजिटल इंडिया भाषिणी संस्थान को प्रदान किया गया, जबकि 2023 का सम्मान अमकेश्वर मिश्रा (भोपाल) को मिला। इसके साथ ही राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान 2022 टोरंटो (कनाडा) की डॉ. हंसा दीप और 2023 का सम्मान डॉ. अनुराग शर्मा (पेंसिलवेनिया, अमेरिका) को प्रदान किया गया। राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान 2022 श्रीलंका की अतिला कोतलावल और 2023 का सम्मान चेक गणराज्य की दागमार मारकोवा को दिया गया।
राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान 2022 मुंबई के डॉ. कृष्ण कुमार मिश्र और 2023 का सम्मान नई दिल्ली के देवेंद्र मेवाड़ी को प्रदान किया गया। इसके अलावा राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान 2022 पुणे के डॉ. दामोदर खड़से और 2023 का सम्मान पटियाला के डॉ. मनमोहन सहगल को दिया गया। प्रशस्ति वाचन संस्कृति संचालक एनपी नामदेव द्वारा किया गया और आभार प्रदर्शन प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला ने किया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हिंदी दिवस के इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि मध्य प्रदेश सरकार हिंदी के प्रोत्साहन के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि हिंदी एक प्रमुख भाषा है और राज्य में डॉक्टरों और इंजीनियरों समेत अन्य विद्यार्थियों को हिंदी में पढ़ाई करने की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि भविष्य में MBA सहित अन्य पाठ्यक्रमों को भी हिंदी में पढ़ाने की योजनाएं बन रही हैं, ताकि छात्रों को उनके मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिल सके।
मुख्यमंत्री ने हिंदी के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हिंदी ने एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने हिंदी के विकास और इसके सफर को भी याद किया, जिसमें अवधी से लेकर आज तक यह भाषा निरंतर विकास की ओर अग्रसर है।
राज्यमंत्री धर्मेंद्र सिंह लोधी ने हिंदी को अधिकाधिक बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव हिंदी के उपयोग को प्राथमिकता देते हैं और संस्कृति विभाग हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि आज के समय में हिंदी में अनेक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं और विद्यार्थियों के लिए हिंदी भाषा में शिक्षा प्राप्त करने के कई अवसर मौजूद हैं।
राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान 2022 से अलंकृत डॉ. हंसा दीप ने अपने उद्बोधन में कहा कि वे मध्य प्रदेश में ही पली-बढ़ी हैं और अपने राज्य में सम्मानित होकर गर्व महसूस कर रही हैं। उन्होंने मध्य प्रदेश की कला, संस्कृति और साहित्य को सर्वोच्च बताया और संस्कृति विभाग का आभार व्यक्त किया।
राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान 2022 से सम्मानित अतिला कोतलावल (श्रीलंका) ने अपनी 24 साल की हिंदी सेवा यात्रा को चुनौतीपूर्ण बताया और कहा कि उन्हें इस कार्य में भारत से हमेशा सहयोग मिला। उन्होंने भोपाल की साफ-सुथरी सड़कों और शहर की सुंदरता की प्रशंसा की और कहा कि हिंदी उनकी पहचान, गौरव और सम्मान है।
अलंकरण के बाद अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें देशभर के प्रख्यात कवियों ने हिस्सा लिया। इस कवि सम्मेलन का संचालन डॉ. राहुल अवस्थी ने किया। कवि सम्मेलन में अमन अक्षर (इंदौर), अनु सपन (भोपाल), सुदीप भोला (जबलपुर), रामकिशोर उपाध्याय (ग्वालियर) समेत कई प्रसिद्ध कवियों ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कवि सुदीप भोला ने अपनी कविता "जय जय जय जय जय हिंदी" से हिंदी प्रेमियों को भावविभोर कर दिया, जबकि रामकिशोर उपाध्याय ने "भारतेंदु भारत माता के भाल का चंदन" कविता से सभागार में देशभक्ति का ज्वार उत्पन्न किया। श्वेता सिंह (बड़ोदरा) और मनु वैशाली (नई दिल्ली) की कविताओं ने भी दर्शकों के बीच गहरी छाप छोड़ी।
कवि सम्मेलन में उपस्थित सभी कवियों ने हिंदी की महिमा और इसके महत्व पर जोर दिया। कविताओं के माध्यम से हिंदी भाषा के प्रति सम्मान और गौरव की भावना को प्रकट किया गया। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी साहित्यकारों और कवियों को सम्मानित किया गया और पूरे आयोजन ने हिंदी के प्रचार-प्रसार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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