भोपाल। मध्य प्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर प्रदेश के 16 आध्यात्मिक स्थलों पर भव्य आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय में 23 से 25 अगस्त तक शाम 7 बजे से श्रीकृष्ण पर्व का आयोजन हुआ, जिसमें दूसरे दिन का कार्यक्रम विशेष रूप से यादगार रहा। इस दिन मथुरा और वृंदावन के कलाकारों ने अपने मनमोहक प्रस्तुतियों से श्रोताओं को कृष्ण भक्ति में सराबोर कर दिया।
दूसरे दिन की शाम का आरंभ मथुरा की वंदना श्री और उनके साथी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत भगवान श्रीकृष्ण की महारास लीला से हुआ। इस प्रस्तुति ने दर्शकों को भक्ति रस में डुबो दिया और उन्हें आत्मा के परमात्मा से मिलन की अनुभूति कराई। यह लीला प्रकृति और प्रेम के संदेश को भी प्रकट करती है। महारास लीला में भगवान श्रीकृष्ण की वंशी की मधुर ध्वनि ने समस्त गोपियों को आह्वान किया, जो जीवात्माओं को भगवान की ओर आकर्षित करती है। इस लीला ने भक्तों के अभिमान का मान मर्दन किया और यह संदेश दिया कि प्रत्येक आत्मा का दिव्य स्वरूप परमात्मा में ही समाहित है।
इसके पश्चात वृंदावन के प्रसिद्ध माधवास रॉक बैंड ने अपनी प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बैंड ने अपने अनोखे अंदाज में पारंपरिक भजनों को फ्यूजन और कीर्तन के साथ मिलाकर पेश किया, जिससे श्रोताओं को कृष्ण भक्ति का एक नया अनुभव प्राप्त हुआ। माधवास रॉक बैंड ने अपने भजनों के माध्यम से श्रीराम-श्रीकृष्ण के प्रति आस्था और भक्ति का सजीव चित्रण किया।
कार्यक्रम में प्रस्तुत भजनों में "नमस्ते नरसिंहाय प्रह्लादाह्लाद-दायिने" (भगवान नरसिंह आरती), "मेरे बांके बिहारी लाल तू इतना ना करियो श्रृंगार", "मेरे झोपड़ी के भाग आज खुल जाएंगे राम आएंगे", "गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो", और "मीठे रस से भरो री, राधा रानी लागे" जैसे भजनों ने समां बांध दिया। इन भजनों के माध्यम से भक्तों को भक्ति और समर्पण का नया एहसास हुआ।
कार्यक्रम का आयोजन प्रमुख सचिव, संस्कृति एवं पर्यटन शिवशेखर शुक्ला और संस्कृति संचालनालय के संचालक एनपी नामदेव द्वारा किया गया। उन्होंने कलाकारों का स्वागत किया और इस भव्य आयोजन की शुरुआत की।
प्रस्तुति के दौरान बैंड के प्रमुख गायक नंदरानी, नवकिशोर और उनके साथियों ने मंच पर गगनदीप सिंह, अंकुर बहल, लक्ष्मी, जाह्नवी, की-बोर्ड पर गोपी, गिटार पर नीलेश, ड्रम पर हरिचरण दास, मृदंग पर सनातन और परकशन पर रवि के साथ संगत की।
भोपाल के इस विशेष आयोजन ने श्रोताओं को कृष्ण भक्ति के अनूठे रंग में रंग दिया और जन्माष्टमी के पर्व को यादगार बना दिया। कार्यक्रम का समापन संपूर्ण प्रार्थना और भजनों के साथ हुआ, जिसमें दर्शकों ने भक्ति रस का भरपूर आनंद लिया।
इस प्रकार भोपाल में आयोजित श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व ने न केवल भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का जीवंत चित्रण किया, बल्कि भक्ति, संगीत और अध्यात्म के संगम से भरे इस अनूठे आयोजन ने दर्शकों के मन में एक अमिट छाप छोड़ी।
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