भोपाल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के तटीय गांव मुक्ताकाश प्रदर्शनी स्थल पर मलयाली समुदाय द्वारा "ओणम पर्व" पूरे हर्षोल्लास और पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ मनाया गया। इस उत्सव की शुरुआत भद्रकाली अम्मलंब में दीप प्रज्वलन से की गई, जो शुभारंभ का प्रतीक है। इसके बाद सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिसमें स्नेक बोट वल्लमकली बोट रेस पर अनुष्ठान और सर्प कावु में पूजा-अर्चना शामिल थी।
संग्रहालय के निदेशक प्रो. अमिताभ पांडे ने इस अवसर पर कहा कि भोपाल के युनाइटेड मलयाली एसोसिएशन के सहयोग से यह पर्व आयोजित किया गया है। उन्होंने संग्रहालय और समुदाय के बीच इस सांस्कृतिक समन्वय के लिए धन्यवाद व्यक्त किया और इसे भारतीय संस्कृति के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा ओणम केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह सर्वधर्म समभाव और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह राजा बलि की आराधना का दिन है, जो समाज में प्रेम, भाईचारे और सामाजिक समरसता का संदेश देता है।
यूनाइटेड मलयाली एसोसिएशन के अध्यक्ष ओडी जोसफ ने ओणम पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह त्योहार हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में मनाया जाता है, जो मलयालम कैलेंडर के अनुसार वर्ष का पहला महीना होता है जिसे 'चिंगम' कहा जाता है। ओणम मलयाली संस्कृति का प्रमुख पर्व है, जो कृषि और नई फसल के आगमन का प्रतीक है।
कार्यक्रम की शुरुआत पुक्कलम (फूलों की रंगोली) बनाने से हुई, जो भद्रकाली मंदिर और घरों के सामने बनाई जाती है। इसे सामूहिक अनुष्ठान के रूप में संपन्न किया गया, जिसमें मलयाली समुदाय के हर वर्ग के लोगों ने भाग लिया। पुक्कलम न केवल सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि यह एक धार्मिक अनुष्ठान भी है, जो देवी के प्रति श्रद्धा और समाज में एकजुटता का प्रतीक है।
इस अनुष्ठान के बाद सामूहिक प्रसाद (ओनसद्या) का आयोजन किया गया, जिसमें पारंपरिक मलयाली व्यंजनों की स्वादिष्ट थाली परोसी गई। ओनसद्या एक भव्य भोज होता है, जो केले के पत्ते पर परोसा जाता है और इसमें विभिन्न प्रकार की स्वादिष्ट डिशेज होती हैं, जो ओणम पर्व का एक अभिन्न हिस्सा है। भोज में शामिल होने वाले लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं, जो सामाजिक समरसता और सामूहिकता का प्रतीक है।
संग्रहालय के निदेशक प्रो. अमिताभ पांडे ने मलयाली समुदाय की इस सहभागिता की सराहना की और कहा कि ऐसे आयोजनों से भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को जीवंत बनाए रखने में सहायता मिलती है। उन्होंने कहा ओणम का यह पर्व समाज में भाईचारे, प्रेम और एकता को बढ़ावा देता है। यह भारत की सांस्कृतिक विविधता का उत्कृष्ट उदाहरण है और इसे हम सबको मिलकर संरक्षित करना चाहिए।
यूनाइटेड मलयाली एसोसिएशन के सांस्कृतिक सचिव ने बताया कि इस आयोजन के माध्यम से भोपाल के मलयाली समुदाय को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जुड़ने का अवसर मिला। इस तरह के आयोजन न केवल संस्कृति के संरक्षण में मदद करते हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़े रखने में भी सहायक होते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान उपस्थित दर्शकों को ओणम पर्व के महत्व और इसके धार्मिक और सामाजिक पहलुओं से अवगत कराया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे, जिनमें विभिन्न आयु वर्ग के लोग शामिल थे। कार्यक्रम में रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन भी किया गया, जिसमें पारंपरिक मलयाली नृत्य और संगीत की झलक देखने को मिली।
कार्यक्रम के समापन पर युनाइटेड मलयाली एसोसिएशन के अध्यक्ष ओडी जोसफ ने सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया और इस त्योहार की सफलता के लिए सहयोग देने वाले सभी सदस्यों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और आने वाली पीढ़ियों तक इसे पहुंचाने का एक प्रयास है। हम उम्मीद करते हैं कि आने वाले वर्षों में भी हम इसी उत्साह और सामूहिकता के साथ ओणम पर्व मनाते रहेंगे।
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