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मैनिट की नेथी लेह्या श्री ने SPARC इंडो-ताइवान,यूएस कार्यशाला में सेमीकंडक्टर विनिर्माण में प्राप्त की विशेष उपलब्धि

भारत के युवा तकनीकी क्षेत्र में विश्वस्तरीय मानकों को प्राप्त करने की रखते क्षमता

भोपाल। मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) भोपाल की बीटेक तृतीय वर्ष की छात्रा नेथी लेह्या श्री ने सेमीकंडक्टर विनिर्माण प्रौद्योगिकी में अपनी उत्कृष्टता को एक नए आयाम पर पहुंचा दिया है। उन्होंने हाल ही में इंडो-ताइवान/यूएस SPARC कार्यशाला में भाग लिया, जो कि सेमीकंडक्टर विनिर्माण तकनीकों के सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देने के लिए एक प्रतिष्ठित कार्यक्रम है।

कार्यशाला की संरचना और उद्देश्य

SPARC (Scheme for Promotion of Academic and Research Collaboration) इंडो-ताइवान/यूएस कार्यशाला का आयोजन आईआईटी हैदराबाद द्वारा किया गया था, जिसमें नेथी लेह्या श्री ने पूरे भारत से चयनित 25 छात्रों में से एक के रूप में भाग लिया। इस कार्यशाला का उद्देश्य सेमीकंडक्टर विनिर्माण की सूक्ष्म-निर्माण तकनीकों पर छात्रों को गहन प्रशिक्षण देना था। कार्यशाला तीन चरणों में विभाजित थी, जो छात्रों को व्यापक ज्ञान और व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए डिजाइन की गई थी।


पहला चरण: ऑनलाइन परिचय

कार्यशाला का पहला चरण सूक्ष्म-निर्माण तकनीकों का ऑनलाइन परिचय था। इस चरण में, छात्रों को सेमीकंडक्टर निर्माण के मूल सिद्धांतों से परिचित कराया गया। ऑनलाइन माध्यम से सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ वीडियो ट्यूटोरियल्स और इंटरएक्टिव सेशन के जरिए छात्रों को इन तकनीकों के बुनियादी सिद्धांत समझाए गए।

दूसरा चरण: व्यावहारिक प्रशिक्षण

दूसरे चरण में, छात्रों को आईआईटी हैदराबाद में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस चरण में, छात्रों को सेमीकंडक्टर निर्माण की वास्तविक प्रक्रियाओं से अवगत कराया गया और उन्हें विभिन्न उपकरणों और तकनीकों का प्रयोग करने का अवसर दिया गया। नेथी लेह्या श्री ने इस चरण में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जिससे उन्हें तीसरे और सबसे महत्वपूर्ण चरण में भाग लेने का अवसर मिला।

तीसरा चरण: ताइवान में एडवांस ट्रेनिंग

कार्यशाला का तीसरा चरण ताइवान के त्ज़े-चियांग फाउंडेशन ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (TCFST) में आयोजित किया गया। यह चरण 22 जुलाई से 02 अगस्त तक चला, जिसमें छात्रों को सूक्ष्म-निर्माण प्रक्रियाओं पर गहन प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस चरण में, छात्रों को सफाई, ऑक्सीकरण, फोटोलिथोग्राफी, नक्काशी और जमाव सहित कई महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं पर प्रशिक्षण दिया गया।

प्रशिक्षण के दौरान, छात्रों को एक वेफ़र प्रदान किया गया और उन्हें इन प्रक्रियाओं का प्रयोग करके वेफ़र पर काम करना पड़ा। इस प्रक्रिया के दौरान, छात्रों को सेमीकंडक्टर निर्माण की बारीकियों को समझने और उनमें महारत हासिल करने का अवसर मिला। यह प्रशिक्षण नेथी लेह्या श्री के लिए बेहद उपयोगी साबित हुआ, क्योंकि उन्होंने सेमीकंडक्टर निर्माण की तकनीकों में गहन समझ प्राप्त की और इसके छोटे-छोटे व्यावहारिक विवरणों में विशेषज्ञता हासिल की। 

भारत सरकार का समर्थन और वित्तीय सहयोग

इस अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन के दौरान, नेथी लेह्या श्री को सेमीकंडक्टर निर्माण की गहन समझ प्रदान की गई, जिसमें तकनीकों में महारत हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण व्यावहारिक छोटे विवरणों पर जोर दिया गया। विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि यह प्रशिक्षण पूरी तरह से भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था। इसने यह सुनिश्चित किया कि प्रतिभाशाली छात्र वित्तीय बाधाओं के बिना इस महत्वपूर्ण अवसर से लाभान्वित हो सकें।

नेथी लेह्या श्री की सफलता और भविष्य की संभावनाएं

नेथी लेह्या श्री की इस उपलब्धि ने न केवल मैनिट भोपाल को गौरवान्वित किया है, बल्कि यह भारत के शैक्षणिक और तकनीकी क्षेत्र के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है। सेमीकंडक्टर विनिर्माण प्रौद्योगिकी में उनकी विशेषज्ञता और इस कार्यशाला में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन ने उन्हें भविष्य के लिए एक मजबूत आधार प्रदान किया है।

उनकी यह उपलब्धि अन्य छात्रों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी और उन्हें उच्च स्तर के तकनीकी ज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेगी। नेथी लेह्या श्री की यह सफलता न केवल उनकी व्यक्तिगत यात्रा का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि यह सेमीकंडक्टर विनिर्माण के क्षेत्र में भारत की बढ़ती संभावनाओं का भी प्रतीक है।

नेथी लेह्या श्री की इस उपलब्धि से यह स्पष्ट होता है कि भारत के युवा तकनीकी क्षेत्र में विश्वस्तरीय मानकों को प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं। उनका यह अनुभव उन्हें भविष्य में सेमीकंडक्टर उद्योग में महत्वपूर्ण योगदान देने में सक्षम बनाएगा। मैनिट भोपाल और उनके सहपाठियों के लिए यह एक गर्व का क्षण है, और यह दर्शाता है कि समर्पण, कठिन परिश्रम, और उचित मार्गदर्शन से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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