भोपाल। विश्व प्रसिद्ध कहानीकार मुंशी प्रेमचंद का जन्मदिन द राइजिंग सोसायटी ऑफ आर्ट एंड कल्चर ने उनकी कहानियों का पाठ कर मनाया। इस मौके पर प्रेमचंद की दो मार्मिक कहानियां खून सफेद और कजाकी का पाठ किया गया। खून सफेद का पाठ रजनीश परमार और आरती ने किया जबकि कजाकी का पाठ प्रदीप ने किया। दोनों कहानियों ने श्रोताओं के दिलों को छू लिया और उन्हें समाज की कड़वी सच्चाइयों से रूबरू कराया। प्रेमचंद की कहानियां आज भी समाज में व्याप्त विभाजन और अन्याय की ओर इशारा करती हैं। इस आयोजन ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि प्रेमचंद की लेखनी कितनी सशक्त और कालजयी है। उनके जन्मदिन पर इस तरह की साहित्यिक गतिविधियां समाज में सोच और संवेदनशीलता को बढ़ावा देती हैं।
खून सफेद की संवेदनशील कथा
खून सफेद एक गरीब किसान जादोराय की कहानी है, जिसकी जिंदगी बाढ़ में सब कुछ खोने के बाद पूरी तरह बदल जाती है। मजबूर होकर जादोराय अपनी बीवी देवकी और बेटे साधो के साथ गांव छोड़कर मजदूरी की तलाश में निकल पड़ता है। भूख और अभाव की स्थिति में, साधो को खाने के लिए कुछ नहीं मिल पाता। एक जगह उन्हें मजदूरी का काम मिलता है और देवकी रोटियां बनाने लगती है। इस दौरान, साधो एक पारदी समूह के सरदार से मिलता है, जो उसे बिस्किट और केले देता है।
साधो, जिसने पहले कभी इतने अच्छे खाने का स्वाद नहीं चखा था। बार-बार उस पारदी समूह के पास जाने लगता है। तीसरे दिन रात को पारदियों का डेरा वहां से चला जाता है और साधो भी उनके साथ चला जाता है। जादोराय और देवकी अपने बेटे को ढूंढते हैं, लेकिन साधो नहीं मिलता। चौदह साल बीत जाते हैं और इस दौरान देवकी एक भी दिन अपने बेटे को याद किए बिना नहीं रहती।
चौदह साल बाद साधो लौट आता है। पूरे गांव के लोग जादोराय के यहां इकट्ठा हो जाते हैं। देवकी अपने बेटे को देखकर रो पड़ती है। साधो अपनी मां-बाप को अपनी कहानी बताता है, लेकिन गांव का एक आदमी जादोराय से कहता है कि अब साधो को अपने घर में नहीं रख सकता क्योंकि वह पारदी बन गया है और बिरादरी उसे स्वीकार नहीं करेगी।
मां देवकी जिद पर अड़ जाती है लेकिन गांव वाले अड़ जाते हैं कि साधो का खाना-पीना घर के बाहर ही होगा। साधो यह बात मानने से इंकार कर देता है कि वह अपने माता-पिता और भाई-बहन से मिल नहीं सकता, उनके साथ खा नहीं सकता, उन्हें गले नहीं लगा सकता। वह वापस चला जाता है। जादोराय रोती आंखों से कहता है हमारा खून ही सफेद हो गया है जो बिरादरी की वजह से अपने सगे बेटे को अपने साथ अपने घर में नहीं रख सकता।
कजाकी की दिल छू लेने वाली कहानी
दूसरी कहानी कजाकी में एक पोस्टमैन और बच्चे के निश्चल प्रेम की संवेदनशील कहानी है। इस कहानी के पाठ से भी दर्शकों की आंखें नम हो गईं।
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