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मानव संग्रहालय: मानव जाति के विकास का जीवंत दस्तावेज

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, भोपाल की विशेषताओं, इसके स्थापना दिवस और इसके आयोजित होने वाले 48वें स्थापना दिवस समारोह के बारे में विस्तार से बताया है। संग्रहालय में मौजूद विविध प्रदर्शनियों और गतिविधियों का वर्णन करते हुए इसकी शैक्षणिक महत्व को भी उजागर किया गया है।

भोपाल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय, जो भोपाल के श्यामला हिल्स पर स्थित है, न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे भारत के सबसे बड़े मानव विज्ञान संग्रहालयों में से एक है। यह संग्रहालय 21 मार्च 2024 को अपनी स्थापना के 47 साल पूरे करने जा रहा है और 48वें वर्ष में प्रवेश करेगा। 200 एकड़ के विशाल क्षेत्रफल में फैला यह संग्रहालय मानव जाति के विकास की अनूठी कहानी कहता है।

संग्रहालय की खूबसूरती इसकी मुक्ताकाश प्रदर्शनियों और अंतरंग दीर्घाओं में निहित है, जो मानव जाति के काल और स्थान की विविधता को दर्शाती हैं। इसके आठ मुक्ताकाश प्रदर्शनी और 12 अंतरंग दीर्घाएं मानवीय संस्कृति और धरोहर के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती हैं। संग्रहालय में आयोजित होने वाले शैक्षणिक कार्यक्रम, क्षेत्रीय सांस्कृतिक त्यौहार, व्याख्यान और कला शिविर जैसी गतिविधियां इसे शिक्षाप्रद और मनोरंजक बनाती हैं।

संग्रहालय का संदर्भ ग्रंथालय, जिसमें 30 हजार से अधिक किताबें हैं, विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं, डिजाइनरों और फिल्म निर्माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है। मानव विज्ञान और पुरातत्व से संबंधित इस अनमोल संग्रह को अब ऑनलाइन भी उपलब्ध कराया गया है, जो घर बैठे जानकारी प्राप्त करने का अवसर देता है।

नौ ओपन एयर प्रदर्शनियां, जैसे कि जनजातीय आवास, तटीय गांव, रेगिस्तानी गांव, हिमालयी गांव, रॉक कला विरासत, और पारंपरिक प्रौद्योगिकी पार्क विभिन्न मानवीय और प्राकृतिक परिवेशों में मानव जीवन की झलक प्रदान करती हैं।

संग्रहालय की स्थापना 1977 में हुई थी और इसका उद्घाटन 21 अप्रैल 1979 को हुआ था। संग्रहालय न केवल अपनी स्थापना के दिन बल्कि पूरे वर्ष भर विभिन्न सांस्कृतिक और शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है।

संग्रहालय के 48वें स्थापना दिवस पर छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति पर केंद्रित विशेष आयोजन 21 से 23 मार्च तक किया जाएगा, जो इसकी सांस्कृतिक विविधता और गहराई को और भी प्रमुखता से प्रस्तुत करेगा।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय मानव जाति के विकास की गाथा को न केवल संरक्षित करता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक जीवंत शिक्षा का स्रोत भी बनता है। यह संग्रहालय शिक्षा, शोध, और मनोरंजन का एक अनूठा संगम है, जो हमें मानव सभ्यता की अमूल्य धरोहर से परिचित कराता है।
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