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अंतरिक्ष विज्ञान की खोज करने की, एक हजार विद्यार्थियों को मिली प्रेरणा

आंचलिक विज्ञान केंद्र में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का भव्य आयोजन

भोपाल। आंचलिक विज्ञान केंद्र में शुक्रवार को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर एक भव्य और ज्ञानवर्धक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में छात्रों और आम जनता के लिए कई गतिविधियों का आयोजन किया गया, जो न केवल उन्हें भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की उपलब्धियों से परिचित कराने के लिए थे, बल्कि उन्हें विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति और भी प्रेरित करने के लिए तैयार किए गए थे।

इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण एक लोकप्रिय विज्ञान व्याख्यान था, जिसका विषय था “भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम: अतीत, वर्तमान एवं भविष्य।” इस व्याख्यान को टीआईएफआर, मुंबई के खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी विभाग के वैज्ञानिक और प्रोफेसर (सेवानिवृत्त) प्रोफेसर मयंक वाहिया ने प्रस्तुत किया। प्रो. वाहिया, जो एक प्रसिद्ध और अनुभवी वक्ता के रूप में जाने जाते हैं, ने अपने आकर्षक और जानकारीपूर्ण प्रस्तुतीकरण के माध्यम से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा संचालित भारतीय अंतरिक्ष अन्वेषण कार्यक्रम की अद्वितीय यात्रा को दर्शाया।

प्रो. मयंक वाहिया का प्रेरणादायक व्याख्यान

प्रो. मयंक वाहिया के व्याख्यान में इसरो के विकास और उसके विभिन्न सफल मिशनों की कहानी को प्रस्तुत किया गया। उन्होंने चंद्रयान, मंगलयान और अन्य प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों पर विस्तार से चर्चा की, जो भारत को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में विश्व स्तर पर अग्रणी बनाने में सहायक रहे हैं। प्रो. वाहिया ने न केवल मिशनों की तकनीकी और वैज्ञानिक उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, बल्कि उन्होंने इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कड़ी मेहनत और समर्पण की भी सराहना की, जिन्होंने इन मिशनों को संभव बनाया।


इस व्याख्यान के दौरान, प्रो. वाहिया ने श्रोताओं से संवाद भी किया और उनके सवालों के जवाब दिए। छात्रों के बीच भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में कैरियर की संभावनाओं के बारे में भी कई सवाल पूछे गए, जिनका प्रो. वाहिया ने बड़े उत्साह के साथ जवाब दिया। उन्होंने छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया और इस क्षेत्र में भारत के बढ़ते अवसरों के बारे में बताया।

व्याख्यान में भाग लेने वालों की भारी संख्या

इस व्याख्यान में भोपाल और आसपास के क्षेत्रों के लगभग 648 छात्र और शिक्षक शामिल हुए। 20 से अधिक संस्थानों से आए ये छात्र और शिक्षक बड़े ध्यान से व्याख्यान को सुनते रहे और प्रो. वाहिया द्वारा साझा की गई जानकारी को आत्मसात करते रहे। इसके अतिरिक्त, आम जनता के लोग भी इस व्याख्यान में शामिल हुए और उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के बारे में अपने ज्ञान का विस्तार किया।

लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंच

आंचलिक विज्ञान केंद्र ने इस कार्यक्रम को अधिकतम छात्रों तक पहुंचाने के उद्देश्य से इसे लाइव स्ट्रीमिंग के माध्यम से भी प्रसारित किया। विशेष रूप से उन स्कूलों में, जहां विज्ञान केंद्र का भ्रमणशील विज्ञान प्रदर्शनी कार्यक्रम (विज्ञान प्रदर्शनी बस) चल रहा है, वहां के छात्रों ने इस व्याख्यान का लाइव अनुभव किया। धार, खंडवा और नरसिंहपुर जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के 400 से अधिक छात्रों ने इस ऑनलाइन प्रसारण के माध्यम से इसरो की गौरवशाली यात्रा के बारे में सीखा। इन छात्रों ने विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति नई रुचि और जिज्ञासा प्राप्त की।


अन्य प्रमुख गतिविधियां

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के अवसर पर केवल व्याख्यान ही नहीं, बल्कि अन्य कई महत्वपूर्ण और रोचक गतिविधियां भी आयोजित की गईं। इनमें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की यात्रा पर आधारित एक फिल्म शो, भारत के चंद्रयान मिशन पर एक प्रश्नोत्तरी और "मेक एंड टेक" रॉकेट निर्माण कार्यशाला शामिल थे।

फिल्म शो: इस कार्यक्रम के अंतर्गत एक विशेष फिल्म का प्रदर्शन किया गया, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की यात्रा पर आधारित थी। इस फिल्म में दर्शकों को इसरो के विभिन्न मिशनों के इतिहास और उनकी सफलता की कहानी को बड़े ही रोचक तरीके से दिखाया गया। इस शो में बच्चों ने बड़ी रुचि से फिल्म को देखा और इसके माध्यम से उन्होंने अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में बहुत कुछ सीखा।

प्रश्नोत्तरी: भारत के चंद्रयान मिशन पर आधारित एक विशेष प्रश्नोत्तरी भी आयोजित की गई, जिसमें छात्रों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। इस प्रश्नोत्तरी में चंद्रयान मिशन के विभिन्न पहलुओं पर सवाल पूछे गए थे, जिनका जवाब देकर छात्रों ने अपनी ज्ञान की परीक्षा दी। इस प्रश्नोत्तरी ने छात्रों को अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति और भी अधिक जिज्ञासु बना दिया।


रॉकेट निर्माण कार्यशाला: मेक एंड टेक रॉकेट निर्माण कार्यशाला में छात्रों को खुद अपने हाथों से रॉकेट बनाने का मौका मिला। इस कार्यशाला ने छात्रों को न केवल वैज्ञानिक सिद्धांतों को समझने में मदद की, बल्कि उन्हें अपनी रचनात्मकता और तकनीकी कौशल को भी प्रदर्शित करने का अवसर मिला। इस कार्यशाला ने बच्चों को विज्ञान के प्रति और अधिक उत्साहित कर दिया।

कार्यक्रम का समापन 

इस पूरे कार्यक्रम में लगभग 1000 छात्रों ने भाग लिया, जो इस आयोजन की सफलता का प्रमाण है। आंचलिक विज्ञान केंद्र ने इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से छात्रों और आम जनता को विज्ञान के प्रति प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 


भविष्य में भी विज्ञान केंद्र ऐसे आयोजन करता रहेगा, ताकि छात्रों को विज्ञान और अंतरिक्ष के प्रति जागरूक किया जा सके और वे भारत के भविष्य के अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने की दिशा में अग्रसर हों। इस कार्यक्रम ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत के युवा अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी अपना परचम लहराने के लिए तैयार हैं और इसके लिए उन्हें सही दिशा में प्रेरित करने की आवश्यकता है। 

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