भोपाल। मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा प्रदेश के जनजातीय चित्रकारों को एक विशेष मंच प्रदान करने के उद्देश्य से लिखंदरा प्रदर्शनी दीर्घा में प्रतिमाह आयोजित की जाने वाली शलाका नामक प्रदर्शनी सह विक्रय में इस बार भील समुदाय की प्रसिद्ध चित्रकार शिवाबाई भाबोर की कृतियों का प्रदर्शन किया जा रहा है। यह 51वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी 3 जुलाई से शुरू होकर 30 जुलाई तक चलेगी और यह मंगलवार से रविवार तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी। शिवाबाई भाबोर का जन्म मध्य प्रदेश के जनजातीय बहुल झाबुआ जिले के एक छोटे से गांव झेर में हुआ था। पारंपरिक खेती किसानी के परिवार में पली बढ़ी शिवाबाई का बचपन जंगल पहाड़ों और प्रकृति की गोद में गुजरा। गांव या आसपास में स्कूल न होने के कारण औपचारिक शिक्षा से वंचित रहीं लेकिन भीली परंपराओं और संस्कारों का गहरा प्रभाव उनके जीवन में पड़ा।
कला में यात्रा की शुरुआत
शिवाबाई का विवाह वर्ष 2004 में शेरसिंह भाबोर से हुआ जो स्वयं एक प्रतिष्ठित भीली चित्रकार हैं। विवाह के बाद ही उन्होंने अपने पति के सान्निध्य में भीली चित्रकला की बारीकियों को समझा और सीखा। शिवाबाई निरंतर अपने पति के चित्रकर्म में सहायता करती रही हैं और उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन में उन्होंने अपनी कला को विकसित किया।
शिवाबाई की कला में जंगल, पशु-पक्षी, पर्यावरण और अपने जातीय संस्कारों का अद्वितीय मिश्रण देखने को मिलता है। उनकी कृतियां प्रकृति के साथ एक गहरा संबंध दर्शाती हैं और भीली संस्कृति की झलक प्रस्तुत करती हैं। शिवाबाई की कला में पारिवारिक रिश्ते और परंपराओं का महत्व भी साफ झलकता है। प्रसिद्ध भीली चित्रकार पद्मश्री भूरी बाई और लाडो बाई उनके पारिवारिक रिश्ते में हैं और उनसे शिवाबाई को अत्यधिक प्रेरणा मिली है।
राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
शिवाबाई भाबोर ने दिल्ली, जयपुर सहित कई प्रमुख चित्रकला प्रदर्शनियों में भाग लिया है। उनके चित्रों ने कला प्रेमियों और समीक्षकों का ध्यान आकर्षित किया है। उनकी कृतियों में प्राचीन भीली परंपराओं और आधुनिक कला के तत्वों का सुंदर सामंजस्य देखने को मिलता है। शिवाबाई अपने चार बच्चों को भी इस कला की परंपरा विरासत में सौंपने की इच्छा रखती हैं, ताकि भीली चित्रकला की धरोहर भविष्य में भी जीवित रहे।
शलाका प्रदर्शनी एक विशेष पहल
मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय द्वारा आयोजित शलाका प्रदर्शनी जनजातीय चित्रकारों को एक मंच प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस प्रदर्शनी के माध्यम से न केवल चित्रकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है बल्कि उनकी कृतियों की बिक्री भी संभव होती है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य जनजातीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देना और कलाकारों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है।
51वीं शलाका प्रदर्शनी में शिवाबाई भाबोर के चित्र किए प्रदर्शित
51वीं शलाका चित्र प्रदर्शनी में शिवाबाई भाबोर द्वारा बनाए गए चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। उनके चित्रों में भीली जीवनशैली, प्रकृति और पारंपरिक संस्कारों का गहरा प्रभाव देखने को मिलेगा। यह प्रदर्शनी कलाकारों और कला प्रेमियों के लिए एक अद्वितीय अवसर है, जहां वे शिवाबाई की कला को करीब से देख सकेंगे और समझ सकेंगे।
शिवाबाई अपनी सफलता का संपूर्ण श्रेय अपने पति शेरसिंह भाबोर को देती हैं। उनके अनुसार शेरसिंह की सतत प्रेरणा और मार्गदर्शन ने ही उनकी कला को सुघड़ और उत्कृष्ट बनाया है। वर्तमान में शिवाबाई और उनके पति भोपाल में रहकर ही अपने चित्रकर्म में संलग्न हैं।
शलाका प्रदर्शनी जनजातीय कला और संस्कृति को नई ऊंचाइयां प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। शिवाबाई भाबोर की प्रदर्शनी सह विक्रय न केवल उनकी कला को मान्यता दिलाएगी, बल्कि भीली संस्कृति और परंपराओं को भी नई पहचान दिलाएगी। इस प्रदर्शनी के माध्यम से शिवाबाई की कला को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और उनके कला के प्रति समर्पण और मेहनत को सराहा जाएगा।
मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय का यह प्रयास न केवल जनजातीय चित्रकारों को प्रोत्साहित करेगा, बल्कि प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित और संजोएगा। इस प्रदर्शनी में भाग लेकरए कला प्रेमी और आम जनता भीली चित्रकला की अद्वितीयता और सुंदरता का अनुभव कर सकेंगे।
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