भोपाल। कोटरा स्थित सरस्वती विद्या मंदिर उ.मा. विद्यालय में विद्या भारती मध्यभारत प्रांत द्वारा प्रांतीय विज्ञान मेला का आयोजन किया गया। इस मेले में ग्वालियर, शिवपुरी, राजगढ़, भोपाल और नर्मदापुरम जैसे पांच विभागों के विज्ञान के छात्रों ने भाग लिया। यह आयोजन न केवल छात्रों को अपने वैज्ञानिक कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि उनमें वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस विज्ञान मेले में मध्य भारत प्रांत के 150 से अधिक विद्यालयों के लगभग 230 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। विज्ञान प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्रों में वैज्ञानिक सोच का विकास किया जा रहा है।
विधायक सबनानी ने किया समारोह का उद्घाटन
विज्ञान मेले का उद्घाटन विधायक भगवानदास सबनानी ने किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान के अध्यक्ष मोहनलाल गुप्त ने की। इसके अलावा विद्या भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री निखिलेश महेश्वरी, कार्यकारिणी सदस्य विवेक वर्मा मुरैना और प्रांतीय संयोजक साजेंद्र द्विवेदी भी विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल हुए।
मुख्य अतिथि का संबोधन
भगवानदास सबनानी ने अपने उद्घाटन संबोधन में सरस्वती शिशु मंदिर के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा यह विज्ञान मेला छात्रों में वैज्ञानिक सोच के विकास में सहायक है। यहां उपस्थित छोटे-छोटे वैज्ञानिक अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं और हो सकता है कि भविष्य में ये छात्र नासा या अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों में वैज्ञानिक बनें। उन्होंने छात्रों को उनकी सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं और इस आयोजन के आयोजकों को भी धन्यवाद दिया।
विद्या भारती के संगठन मंत्री का संदेश
विद्या भारती के प्रांतीय संगठन मंत्री निखिलेश महेश्वरी ने अपने वक्तव्य में भारतीय ज्ञान परंपरा की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने सदियों पहले ही विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में महान उपलब्धियां हासिल की थीं। जब दुनिया जीवन जीना सीख रही थी, तब भारत चिकित्सा, विज्ञान और निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी था। भारत के गौरवशाली इतिहास का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे भारतीय वैज्ञानिक उपलब्धियों को पश्चिमी देशों ने अपने आविष्कारों के रूप में प्रस्तुत किया। उन्होंने वायुयान निर्माण की टेक्नोलॉजी और रामसेतु जैसे उदाहरणों का उल्लेख करते हुए भारत की प्राचीन वैज्ञानिक प्रगति पर प्रकाश डाला।
छात्रों की भागीदारी और विज्ञान प्रतियोगिता
इस विज्ञान मेले में मध्य भारत प्रांत के 150 से अधिक विद्यालयों के लगभग 230 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। विज्ञान प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्रों में वैज्ञानिक सोच का विकास किया जा रहा है। ये प्रतियोगिताएं छात्रों के लिए एक ऐसा मंच हैं जहां वे अपने नवाचार और रचनात्मकता का प्रदर्शन कर सकते हैं। इस आयोजन के संयोजक, साजेंद्र द्विवेदी ने कहा कि इस विज्ञान मेले का उद्देश्य छात्रों को विज्ञान के प्रति रुचि जगाना और उन्हें प्रोत्साहित करना है ताकि वे भविष्य में वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान दे सकें।
विशेष उपलब्धियां और कार्यक्रम का समापन:
इस तीन दिवसीय विज्ञान मेले में विभिन्न प्रतियोगिताएं, प्रदर्शनी और कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। कार्यक्रम के अंत में विजेता छात्रों को सम्मानित किया जाएगा और उन्हें विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इस आयोजन के माध्यम से विद्या भारती का उद्देश्य छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना और उन्हें भविष्य के वैज्ञानिक चुनौतियों के लिए तैयार करना है।
अतिथियों का स्वागत और आभार
कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का स्वागत सरस्वती विद्या मंदिर के प्राचार्य कल्याण सिंह चंदेल ने किया। स्थानीय विद्यालय समिति के कोषाध्यक्ष आशीष कारोलिया और अन्य प्राचार्यों ने भी अतिथियों का अभिनंदन किया। पीयूष राठौड़ ने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन मीनू चंदेल ने किया।
वैज्ञानिक सोच और नवाचारों को मिलेगा बढ़ावा
प्रांतीय विज्ञान मेला जैसे कार्यक्रम न केवल छात्रों में वैज्ञानिक सोच और नवाचार को बढ़ावा देते हैं, बल्कि उन्हें अपने भविष्य के करियर के लिए प्रेरित भी करते हैं। ऐसे आयोजनों के माध्यम से न केवल विज्ञान का प्रचार-प्रसार होता है, बल्कि छात्रों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने और अपने विचारों को साकार करने का अवसर मिलता है। इस विज्ञान मेले के माध्यम से सरस्वती विद्या मंदिर और विद्या भारती ने छात्रों के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
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