भोपाल। हॉकी मेरा पहला प्यार था और अपने देश के लिए हॉकी खेलना चाहता था। लेकिन गरीबी ने हॉकी छीनकर मुझे माइक थमा दिया, क्योंकि कभी हाथ में चोट लग गई तो कभी घुटने की हड्डी सरक गई इनसे तीन-तीन महीने का प्लास्टर चढ़ जाता था और घर पर बैठे रहते थे। न कोई पांच पैसे देने वाला था और न सरकार कोई सहायता मिलती तो मजबूरन हॉकी छोड़ी। फिर मुशायरों में जाना शुरू किया और रचनाएं पढ़ीं। उसके बाद हमारे नसीब से एक अच्छा शो आया द र्ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज, जिसने मुझे और मेरे जैसे कई हास्य कलाकारों को पहचान दिलाई। यह कहना है मशहूर कॉमेडियन एहसान कुरैशी का। वे शुक्रवार को उर्दू अकादमी द्वारा आयोजित 'जश्न ए उर्दूज् कार्यक्रम में शामिल होने भोपाल पहुंचे थे। इस दौरान इंडिया न्यूज विस्टाा से विशेष बातचीत में उन्होंने अपने सफर और निजी जीवन पर खुलकर चर्चा की।
कॉमेडी सिखाने का
कोई संस्थान नहीं
एहसान ने कहा
आपने इंजीनियर और डॉक्टर बनाने के लिए यूनिवर्सिटी और कॉलेज देखे हैैं, लेकिन कॉमेडी सिखाने के लिए कोई संस्थान नहीं है। क्योंकि हास्य कलाकार बचपन
से पैदा होता है, सिर्फ उसे पॉलिश की जरुरत होती है। वहीं
उन्होंने कॉमेडी शो में जजेस की भूमिका पर कहा कि जज शो को जीवंत बनाते हैैं। पहले
जब हमारे शो में सिद्धू दिल खोलकर हंसते थे तो हम कलाकारों का हौसला भी बढ़ता था, लेकिन जब नए लाफ्टर चैलेंज में जज बदले और यूट्यूबर कॉमेडियन को बैठाया तो शो
भी नीरस सा हो गया था। हालांकि बाद में उन्हें हटा दिया गया था।
हॉकी मेरा पहला प्यार
हॉकी एक खेल है जो दिलों को छूने वाला है, और कई युवा इसे अपने दिल की गहराइयों से जोड़ते हैं। इसका नाम एक सुनहरे दौर में रहा है, जब भारत के हॉकी खिलाड़ी दुनिया को अपनी क्षमता और साहस से प्रभावित कर रहे थे। एक ऐसा हॉकी प्रेमी था जिसने अपने सपनों की ओर बढ़ते हुए गरीबी के बावजूद उन्हें त्याग दिया। शुरूआत में, एहसान कुरैशी का सपना था कि वह अपने देश के लिए हॉकी खेलेंगे। लेकिन गरीबी ने उनके सपनों को एक अच्छूती तरीके से तोड़ दिया। हर बार जब उनके हाथ चोट लगती, तो कभी घुटने की हड्डी सरक जाती, जिससे उन्हें तीन-तीन महीने का प्लास्टर लगना पड़ता था। इसके कारण उन्हें हॉकी खेलने में बाधा होती रही। ऐसी स्थिति में उन्हें न तो कोई सहायता मिलती थी और न ही कोई पांच पैसे देने वाला था। इसके परिणामस्वरूप, मजबूरन उन्हें हॉकी छोड़ना पड़ा। फिर उन्होंने मुशायरों में अपनी कला का परिचय देना शुरू किया और रचनाएं पढ़ीं। यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें एक नए दिशा में जाने का साहस दिया।उनके लिए बड़ी बदलाव लाने वाला पल था ‘द र्ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ यह शो ने न केवल उन्हें बल्कि उनके जैसे कई हास्य कलाकारों को भी एक पहचान दिलाई। इस शो ने उन्हें एक प्लेटफॉर्म प्रदान किया जहां वे अपनी हंसी और मजाक से लोगों को मनोरंजन प्रदान कर सकते थे।
एहसान कुरैशी का सफर
‘जश्न-ए-उर्दू’ कार्यक्रम में शामिल होने पर उन्होंने बताया, आपने इंजीनियर और डॉक्टर बनाने के लिए यूनिवर्सिटी और कॉलेज देखे हैं, लेकिन कॉमेडी सिखाने के लिए कोई संस्थान नहीं है। क्योंकि हास्य कलाकार बचपन से पैदा होता है, सिर्फ उसे पॉलिश की जरुरत होती है। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत के दिनों की बातें बताते हुए कहा, पहले जब हमारे शो में सिद्धू दिल खोलकर हंसते थे, तो हम कलाकारों का हौसला भी बढ़ता था, लेकिन जब नए लाफ्टर चैलेंज में जज बदले और यूट्यूबर कॉमेडियन को बैठाया तो शो भी नीरस सा हो गया था। हालांकि बाद में उन्हें हटा दिया गया था। इस साहसिक कथा के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन की चुनौतियों के बावजूद, अगर हमारी मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास मजबूत हो, तो हम किसी भी स्थिति से निपट सकते हैं। एहसान कुरैशी की कहानी हमें यह सिखाती है कि सपनों को पूरा करने के लिए हमें अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करना चाहिए और हालातों को अपने फव्वारे में बदलने की क्षमता होनी चाहिए।
मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास से किया लक्ष्य प्राप्त
इसके अलावा, एहसान कुरैशी की कड़ी मेहनत, संघर्ष, और आत्मविश्वास ने उन्हें उनके लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल बनाया। आज वे एक मशहूर कॉमेडियन हैं, जो लोगों को हंसी में डालने का कला सिखाते हैं और उन्हें मनोरंजन का एक नया दृष्टिकोण प्रदान करते हैं। इस रूपरेखा के माध्यम से हम देख सकते हैं कि एहसान कुरैशी का सफर कैसे गरीबी और चुनौतियों के बावजूद एक नए सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा। इसके साथ ही, उनकी कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हंसी और मजाक में भी बहुत बड़ा जीवन हो सकता है, जो हमें सकारात्मक दृष्टिकोण और साहस प्रदान कर सकता है।
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