भोपाल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय में 23 अगस्त को शाम 4 बजे से 'आदिवासी खगोल विज्ञान' विषय पर एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया जा रहा है। इस व्याख्यान का आयोजन संग्रहालय लोकरुचि व्याख्यान माला के अंतर्गत किया गया है, जिसका उद्देश्य वैज्ञानिक और सांस्कृतिक विषयों पर जनमानस को जागरूक करना है। इस कार्यक्रम में खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी के विशेषज्ञ, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) के प्रोफेसर मयंक वाहिया मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संग्रहालय के निदेशक प्रो अमिताभ पांडे करेंगे।
प्रो मयंक वाहिया की विशेष योग्यता और योगदान:
प्रोफेसर मयंक वाहिया ने 1984 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से खगोल भौतिकी में पीएचडी पूरी की। 2018 तक टीआईएफआर में अपने शोध कार्य को जारी रखते हुए उन्होंने खगोल भौतिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे पिछले चार दशकों से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से जुड़े हुए हैं। उन्होंने चार अंतरिक्ष दूरबीनों के निर्माण और संचालन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इनमें से एक दूरबीन अमेरिकी वेहिकल के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजी गई थी, जबकि दूसरी रूसी अंतरिक्ष यान से और शेष भारतीय उपग्रहों पर सफलतापूर्वक भेजी गई।
आदिवासी खगोल विज्ञान और भारतीय स्पेस प्रोग्राम पर चर्चा:
इस व्याख्यान में प्रोफेसर वाहिया आदिवासी खगोल विज्ञान के विषय में अपने शोध निष्कर्षों को साझा करेंगे। वे बताएंगे कि कैसे प्राचीन और आदिवासी समाजों ने खगोल विज्ञान को समझा और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया। इसके साथ ही वे भारत के स्पेस प्रोग्राम के बारे में भी विस्तार से चर्चा करेंगे, जिसमें इस कार्यक्रम की शुरुआत, इसकी वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डालेंगे। उनके व्याख्यान में यह भी बताया जाएगा कि भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम का विश्व के अन्य देशों के साथ कैसे तालमेल है और इसके क्या मायने हैं।
प्रोफेसर वाहिया का विविध और व्यापक अनुभव:
प्रोफेसर मयंक वाहिया ने खगोल विज्ञान और विज्ञान के इतिहास पर भी गहन शोध किया है। पिछले दो दशकों से वे मेगालिथिक और रॉक आर्ट, आदिवासी खगोल विज्ञान और प्राचीन ग्रंथों में खगोल विज्ञान पर अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने भारत में खगोल विज्ञान और जूनियर साइंस ओलंपियाड कार्यक्रमों की शुरुआत की और इन कार्यक्रमों का मार्गदर्शन किया। वे कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अकादमियों के फेलो भी हैं और वर्तमान में डेक्कन कॉलेज, पुणे की गवर्निंग काउंसिल में शामिल हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद की विभिन्न सलाहकार समितियों के सक्रिय सदस्य रहे हैं।
कार्यक्रम का महत्व
यह व्याख्यान न केवल विज्ञान प्रेमियों के लिए बल्कि उन सभी के लिए महत्त्वपूर्ण है जो खगोल विज्ञान और आदिवासी संस्कृति के संगम को समझना चाहते हैं। प्रोफेसर वाहिया के व्याख्यान से भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के विविध आयामों और आदिवासी खगोल विज्ञान की समृद्ध धरोहर पर नई दृष्टि प्राप्त होगी।
खगोल विज्ञान के प्रति जागरूकता
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा आयोजित इस व्याख्यान माला का उद्देश्य समाज में विज्ञान और खगोल विज्ञान के प्रति जागरूकता फैलाना है। प्रोफेसर मयंक वाहिया के इस विशेष व्याख्यान से आदिवासी खगोल विज्ञान और भारतीय स्पेस प्रोग्राम पर गहन जानकारी प्राप्त होगी। इस अवसर पर सभी विज्ञान प्रेमी और छात्र उपस्थित होकर इस महत्वपूर्ण विषय पर अपने ज्ञान को और समृद्ध कर सकते हैं।
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