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विश्व हिंदी शिखर सम्मान 2024' से सम्मानित हुए संतोष चौबे

सिंगापुर में हिंदी के वैश्विक प्रसार पर हुआ महत्वपूर्ण विचार-विमर्श

भोपाल। भारतीय उच्चायोग सिंगापुर और नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के सेंटर फॉर लैंग्वेज स्टडीज द्वारा 13 से 15 सितंबर तक आयोजित अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन का समापन भव्य समारोह के साथ संपन्न हुआ। इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति के प्रचार-प्रसार को वैश्विक स्तर पर विस्तार देने के लिए विशिष्ट अतिथियों और विद्वानों का संगम हुआ। इस अवसर पर संतोष चौबे, कुलाधिपति, रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और निदेशक, विश्व रंग, को 'विश्व हिंदी शिखर सम्मान 2024' से सम्मानित किया गया।

'विश्व हिंदी शिखर सम्मान 2024' का सम्मान

संतोष चौबे को यह प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मान हिंदी भाषा, साहित्य, संस्कृति और कलाओं के वैश्विक प्रचार-प्रसार में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रदान किया गया। सिंगापुर में भारतीय उच्चायुक्त डॉ. शिल्पक अंबुले, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव रवि जायसवाल, विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी, केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष सुरेंद्र दुबे, और संगम सिंगापुर की अध्यक्ष डॉ. संध्या सिंह ने श्री चौबे को यह सम्मान प्रदान किया।

सम्मान समारोह के दौरान संतोष चौबे ने उपस्थित अतिथियों को 'विश्व में हिंदी' पुस्तक और मॉरीशस में संपन्न विश्व रंग के प्रकाशन भेंट किए। यह उल्लेखनीय है कि श्री चौबे के प्रयासों के तहत विश्व रंग ने हिंदी साहित्य और कला के प्रति एक नई जागरूकता और दृष्टिकोण को बढ़ावा दिया है, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।

दक्षिण पूर्व एशिया में हिंदी का विकास

यह अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन "दक्षिण पूर्व एशिया में हिंदी - विकास की अभिनव दिशाएं" विषय पर आयोजित किया गया था। इसमें हिंदी भाषा के शिक्षण और प्रचार में नवीनतम तकनीकों और चुनौतियों पर विस्तार से विचार-विमर्श हुआ। सम्मेलन के दौरान कई महत्वपूर्ण विषयों पर गहन चर्चाएं हुईं, जिनमें हिंदी शिक्षण की आधुनिक पद्धतियां, हिंदी व्याकरण का शिक्षण में अनुप्रयोग और शिक्षक प्रशिक्षण और नवीनीकरण प्रमुख रहे।

इसके अलावा, पड़ोसी देशों में हिंदी शिक्षण की स्थिति और संभावनाओं पर भी विचार किया गया। विशेष रूप से, छात्रों के समक्ष आने वाली चुनौतियों, कृत्रिम मेधा एआई के संभावनाओं और चुनौतियों, हिंदी शिक्षण में एआई के उपयोग और वेब-आधारित संसाधनों पर भी चर्चा की गई। इन विषयों ने सम्मेलन में उपस्थित विद्वानों और शिक्षाविदों को हिंदी के भविष्य और इसे वैश्विक मंच पर कैसे आगे बढ़ाया जा सकता है, इस पर सोचने के लिए प्रेरित किया।


हिंदी शिक्षण में कृत्रिम मेधा (एआई) का उपयोग

एक महत्वपूर्ण सत्र में 'कृत्रिम मेधा (एआई) और हिंदी शिक्षण' पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इस चर्चा में एआई के उपयोग से हिंदी भाषा शिक्षण में होने वाले संभावित लाभ और चुनौतियों को लेकर महत्वपूर्ण बिंदु उठाए गए। शिक्षकों और छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान के रूप में एआई का उपयोग एक अभिनव दिशा में देखा जा रहा है। इसमें स्वचालित अनुवाद, भाषा शिक्षण के लिए डिजिटल संसाधनों का विकास और ऑनलाइन शिक्षण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की संभावनाओं पर भी विचार किया गया।

एशियाई हिंदी संस्थानों के बीच सहयोग

सम्मेलन में 'एशियाई हिंदी संस्थानों के बीच सहयोग' पर भी विशेष चर्चा की गई। विभिन्न देशों में हिंदी शिक्षण के अनुभवों को साझा करने और सहयोग के माध्यम से इस भाषा के विकास को और भी प्रभावी बनाने के तरीकों पर विचार किया गया। यह पहल एशियाई देशों में हिंदी शिक्षण और इसके प्रसार के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।

प्रवासी साहित्य और भविष्य की दिशाएं

सम्मेलन में 'प्रवासी साहित्य' और इसके भविष्य पर भी रचनात्मक विचार-विमर्श हुआ। प्रवासी साहित्य ने पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक साहित्यिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। सम्मेलन में इस पर विस्तार से चर्चा की गई कि प्रवासी लेखक किस प्रकार से अपने अनुभवों और कहानियों के माध्यम से हिंदी साहित्य को एक नया आयाम दे रहे हैं। साथ ही हिंदी साहित्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी व्यापक बनाने के लिए प्रवासी साहित्य की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की गई।

सम्मेलन में भाग लेने वाले प्रतिष्ठित अतिथि और विद्वान

सम्मेलन में भारतीय उच्चायुक्त डॉ. शिल्पक अंबुले, विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव रवि जायसवाल, विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी, केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष सुरेंद्र दुबे, संगम सिंगापुर की अध्यक्ष डॉ. संध्या सिंह सहित अनेक प्रतिष्ठित विद्वान और साहित्यकार उपस्थित थे।

इस अवसर पर संतोष चौबे को 'विश्व हिंदी शिखर सम्मान' से सम्मानित करना इस बात का प्रतीक है कि हिंदी भाषा और साहित्य को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने में उनके योगदान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सराहा जा रहा है। उनके नेतृत्व में आयोजित 'विश्व रंग' जैसे कार्यक्रमों ने हिंदी साहित्य और कला के लिए एक वैश्विक मंच तैयार किया है, जो हिंदी के विकास और प्रसार के लिए प्रेरणादायक है।

संतोष चौबे को 'विश्व हिंदी शिखर सम्मान' के लिए बधाई

संतोष चौबे को 'विश्व हिंदी शिखर सम्मान–2024' प्राप्त करने के लिए साहित्य, कला और संस्कृति की विभिन्न सहयोगी संस्थाओं की ओर से बधाइयां दी जा रही हैं। विश्व रंग सचिवालय, टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र, प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र, टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र, रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, डॉ. सीवी रामन विश्वविद्यालय, आईसेक्ट विश्वविद्यालय और वनमाली सृजन पीठ जैसी संस्थाओं ने श्री चौबे के योगदान को सराहा है।

इस सम्मान ने हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और योगदान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी मान्यता दिलाई है। संतोष चौबे का यह सम्मान हिंदी भाषा के भविष्य के लिए एक नई प्रेरणा है, जो इसके वैश्विक प्रसार में मील का पत्थर साबित होगा।

अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रीय हिंदी सम्मेलन का समापन इस महत्वपूर्ण विचार के साथ हुआ कि हिंदी भाषा और साहित्य को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास और सहयोग आवश्यक हैं। हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए किए जा रहे इन प्रयासों ने एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की है, जो आने वाले वर्षों में हिंदी को और भी समृद्ध करेगी।

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