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भारत भवन में 28 सितंबर से शुरू होगा 'द्वितीय अखिल भारतीय सिंधी नाट्य समारोह'

समारोह में छह हास्य-व्यंग्य प्रधान नाटकों का किया जाएगा मंचन

भोपाल। भारत भवन में 28 सितंबर से द्वितीय अखिल भारतीय सिंधी नाट्य समारोह का दो दिवसीय आयोजन किया जा रहा है। यह समारोह सिंधी साहित्य और संस्कृति को समर्पित है, जिसमें देशभर के प्रतिष्ठित सिंधी नाट्य समूह हिस्सा लेंगे। इस साल के आयोजन में भोपाल के सिंधी रंग समूह और सिंधु दर्पण संस्थाओं के साथ-साथ जयपुर, मुंबई, इंदौर और नागपुर के नाट्य दल भी शामिल हो रहे हैं। इस विशेष समारोह में कुल छह हास्य-व्यंग्य प्रधान नाटकों का मंचन किया जाएगा, जो दर्शकों को हंसी और मनोरंजन के साथ-साथ सिंधी भाषा और साहित्य की सुंदरता से परिचित कराएंगे।

स्व. सुंदर अगनानी की स्मृति में हो रहा आयोजन
यह दो दिवसीय समारोह जाने-माने लेखक स्व. सुंदर अगनानी, जयपुर की स्मृति में आयोजित किया जा रहा है। स्व. सुंदर अगनानी के योगदान को सम्मानित करने के उद्देश्य से इस समारोह का संयोजन सिंधी रंग समूह द्वारा किया गया है। इस समारोह के संयोजक मनोहर अगनानी ने बताया कि हर दिन तीन हास्य नाटक प्रस्तुत किए जाएंगे, जो शाम 6 बजे से शुरू होंगे। यह आयोजन सिंधी साहित्य अकादमी द्वारा भारत भवन के सहयोग से किया जा रहा है, जिससे सिंधी संस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार को और बल मिलेगा।

सम्मानित होंगे प्रतिभाशाली निर्देशक
समारोह के विशेष आकर्षण में से एक है "स्व. सुंदर अगनानी सम्मान-2024" का वितरण, जो इस साल मुंबई की प्रतिभाशाली ड्रामा डायरेक्टर जूली तेजवानी को दिया जाएगा। इस सम्मान का उद्देश्य सिंधी नाटकों के विकास और संरक्षण में उत्कृष्ट योगदान देने वाले कलाकारों को प्रोत्साहित करना है। इस समारोह में न केवल अनुभवी निर्देशकों और कलाकारों को सम्मानित किया जाएगा, बल्कि नए उभरते कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिलेगा।

सिंधी नाटकों का पुनरुत्थान
स्वतंत्रता के बाद विस्थापन के कारण सिंधी नाटकों के मंचन पर करीब 15-20 वर्षों का विराम लग गया था। लेकिन वर्ष 1970 के बाद, सिंधी नाटकों का मंचन फिर से पूरे भारत में शुरू हुआ। भोपाल विशेष रूप से सिंधी नाटकों के मंचन का प्रमुख केंद्र बन गया है। यहां रविंद्र भवन, भारत भवन और शहीद भवन जैसे प्रतिष्ठित स्थानों पर हर साल 8-10 सिंधी नाटकों का मंचन होता है, जिससे इस भाषा और संस्कृति को फिर से जीवंत किया जा रहा है।

सिंधी भाषा के नाटकों के इस पुनरुत्थान में अखिल भारत सिंधी बोली साहित्य सभा और केंद्र व राज्य की साहित्य अकादमी का विशेष सहयोग रहा है। इस तरह के आयोजनों से न केवल सिंधी साहित्य और नाट्य परंपरा को सहेजने का काम किया जा रहा है, बल्कि नए दर्शकों और कलाकारों को भी इससे जोड़ने का प्रयास हो रहा है। इस साल भी समारोह में कई नए आर्टिस्ट और दर्शक शामिल होंगे, जो सिंधी नाटकों के समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर से रूबरू होंगे।

समारोह के महत्व पर विशेष जोर
यह समारोह सिंधी भाषा और संस्कृति के संरक्षण और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। हास्य-व्यंग्य प्रधान नाटक न केवल मनोरंजन करेंगे, बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं पर भी व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण से प्रकाश डालेंगे। साथ ही इस आयोजन से सिंधी भाषा के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ेगी और यह नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में सहायक होगा।

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