भोपाल। 10वें रंग त्रिवेणी नाट्य उत्सव 2024 के दूसरे दिन दो जुलाई को शहीद भवन में सघन सोसायटी फॉर कल्चरल एवं वेलफेयर के तत्वावधान में नाटक 'हसीना मान जाएगी' का मंचन किया गया। इस नाटक के लेखक पियर द बोमार्शिये हैं और इस नाटक का निर्देशन संजय मेहता ने किया है। रंगशीर्ष संस्था के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत इस नाटक ने दर्शकों का दिल जीत लिया। 10वें रंग त्रिवेणी नाट्य उत्सव में 'हसीना मान जाएगी' का मंचन निश्चित रूप से इस उत्सव का एक प्रमुख आकर्षण रहा। नाटक की कहानी, कलाकारों का शानदार प्रदर्शन और मंच परे की टीम की मेहनत ने इस नाटक को एक अविस्मरणीय अनुभव बना दिया। भोपाल के शहीद भवन में आयोजित इस नाटक ने दर्शकों के दिलों को छू लिया और उन्हें एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया। इस प्रकार, 'हसीना मान जाएगी' नाटक ने रंग त्रिवेणी नाट्य उत्सव 2024 में एक नया मील का पत्थर स्थापित किया और दर्शकों के बीच इसकी एक अमिट छाप छोड़ी।
नाटक की कहानी
'हसीना मान जाएगी' नाटक की कहानी बबन खां नामक एक कंजूस और स्वार्थी आदमी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो रोशनी नाम की खूबसूरत लड़की का सरपरस्त है। बबन खां की कोशिश है कि किसी भी तरह रोशनी की शादी उससे हो जाए। दूसरी तरफ, नवाब आलमपुर रोशनी के दीवाने हैं और वे भी उससे शादी करना चाहते हैं। रोशनी भी नवाब से आंखों-आंखों में इश्क कर बैठती है।
कलाकारों का अभिनय
नाटक में संजय मेहता ने बबन खां का किरदार निभाया, जबकि मोहम्मद फैजान ने फखरू का, रीना बिष्ट ने रोशनी का और रूपेश तिवारी ने नवाब आलमपुर का किरदार निभाया। अन्य प्रमुख किरदारों में प्रेम प्रकाश अष्ठाना, हरीश शर्मा, अतुल शुक्ला, ऋषभ बन्द्रेले, अथर्व राय, आसिम अहमद, सौरभ राजपूत और विंश पटीदार ने अपनी-अपनी भूमिकाओं में जान डाल दी।
कहानी का रोमांच
नाटक में दिखाया गया कि रोशनी, बबन खां की कैद में है, जहां से लाख कोशिश करने के बावजूद भी वह आजाद होने का रास्ता नहीं सूझ पाती। नवाब आलमपुर अपने दोस्त फखरू की मदद से रोशनी को बबन खां की कैद से आजाद कर लेता है और उससे शादी रचाने में कामयाब हो जाता है। हालांकि, नवाब और रोशनी की मुश्किलें यहां भी खत्म नहीं होतीं। नाटक की कहानी अपने चटपटे वार्तालाप और हास्य स्थितियों से दर्शकों को गुदगुदाने में सफल रही।
मंच परे की टीम
मंच परे की टीम में भी कुछ अद्वितीय प्रतिभाओं का योगदान रहा। मंच व्यवस्थापक आसिम अहमद, मंच परिकल्पना संजय मेहता, और मंच निर्माण में अतुल, सौरभ, राजपूत, प्रवेश और राहुल ने बेहतरीन काम किया। मंच सामग्री की देखरेख अथर्व, ऋषभ, अभय, राय और हरीश ने की। वेशभूषा की जिम्मेदारी मोहम्मद फैजान, प्रिया, अंकिता और गायत्री ने निभाई। संगीत निर्देशन सुधीर गुप्ता ने किया, जबकि संगीत संचालन मोहम्मद रहीमुद्दीन ने संभाला। वाद्ययंत्रों का संचालन प्रशांत श्रीवास्तव ने किया। रूप सज्जा सीमा मौरे ने की और प्रचार-प्रसार का काम कार्तिक, आयुष और सौरभ श्रीवास्तव ने संभाला।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
नाटक ने दर्शकों के बीच भारी उत्साह और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सफलता हासिल की। कहानी की गहराई, कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन, और मंच परे की टीम की मेहनत ने इस नाटक को यादगार बना दिया। दर्शकों ने नाटक के हास्य और संदेश दोनों को सराहा।
नाटक का संदेश
'हसीना मान जाएगी' नाटक न केवल मनोरंजन प्रदान करता है, बल्कि यह उन लोगों की ओर भी इशारा करता है, जो किसी तरह के शोषण में विश्वास रखते हैं। नाटक ने दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि कैसे समाज में कंजूस और स्वार्थी लोग दूसरों के जीवन को प्रभावित करते हैं और कैसे प्रेम और साहस से इन समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है।
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