भोपाल। मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय में 11 अगस्त को नृत्य, गायन, और वादन पर केंद्रित एक विशेष सांस्कृतिक गतिविधि 'संभावना' का आयोजन हुआ। इस आयोजन में लोक कला की समृद्ध परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन किया गया, जिसमें चरण सिंह गोंड और उनके साथी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत 'तमूरा नृत्य-गायन' और अनुजा जोशी एवं उनके सहयोगियों द्वारा किए गए 'गणगौर नृत्य' ने दर्शकों का मन मोह लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत 'तमूरा नृत्य-गायन' से हुई, जो बुंदेलखंड की एक अति प्राचीन और महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहर है। तमूरा एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है, जिसका उपयोग मुख्यतः आंचलिक गायन परंपरा में किया जाता है। विशेष रूप से निर्गुण गीत गायन में तमूरा का महत्वपूर्ण स्थान है। बुंदेलखंड में निर्गुण गायन के साथ-साथ भगवान राम, शिव और कृष्ण की आराधना में भी इस वाद्य का उपयोग होता है। इसके अलावा, बुंदेली लोककथाओं और चरित्र नायकों जैसे लाला हरदोल की गाथाओं के गायन में भी तमूरा का महत्वपूर्ण योगदान है।
इस अवसर पर चरण सिंह गोंड और उनके साथी कलाकारों ने तमूरा पर लाला हरदोल की गाथा का गायन प्रस्तुत किया। इस अद्वितीय प्रस्तुति ने दर्शकों को बुंदेलखंड की सांस्कृतिक समृद्धि और इसके पारंपरिक संगीत के अनमोल धरोहर से अवगत कराया। तमूरा के साथ गाए गए निर्गुण गीत और गाथाएं दर्शकों के मन में गहरी छाप छोड़ गईं।
'संभावना' कार्यक्रम के अगले चरण में अनुजा जोशी और उनके साथियों ने 'गणगौर नृत्य' की प्रस्तुति दी। गणगौर नृत्य निमाड़ी जन-जीवन का गीति काव्य है और यह मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक परंपरा है। गणगौर का त्योहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया से नौ दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान गणगौर के रथ सजाए जाते हैं और ढोल-थाली जैसे वाद्य यंत्रों के साथ धूमधाम से गणगौर नृत्य किया जाता है।
अनुजा जोशी और उनके साथियों ने इस अवसर पर गणगौर नृत्य की एक मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसमें निमाड़ी जन-जीवन के गीतों और रथों के साथ किए जाने वाले इस नृत्य की झलक दिखाई दी। गणगौर नृत्य में महिला और पुरुष 'रनुबाई' और 'धणियर' सूर्यदेव के रथों को सिर पर रखकर नाचते हैं, जिससे निमाड़ की सांस्कृतिक विरासत की एक अद्वितीय तस्वीर सामने आती है। इस प्रस्तुति ने दर्शकों को निमाड़ की सांस्कृतिक गहराइयों से परिचित कराया और उन्हें वहां की समृद्ध परंपराओं से जोड़ दिया।
'संभावना' गतिविधि का आयोजन हर रविवार को मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय में किया जाता है। इस गतिविधि का उद्देश्य मध्य प्रदेश के विभिन्न लोकांचलों और जनजातियों की बहुमुखी कला परंपराओं को संरक्षित करना और उन्हें जनसामान्य के समक्ष प्रस्तुत करना है। इस विशेष आयोजन में, पांच प्रमुख लोकांचलों और सात प्रमुख जनजातियों की कला परंपराओं को देखने और समझने का अनूठा अवसर मिलता है।
इस बार के आयोजन में तमूरा और गणगौर नृत्य जैसे अद्वितीय प्रदर्शन के माध्यम से मध्य प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रचारित करने का प्रयास किया गया। यह आयोजन न केवल मध्य प्रदेश बल्कि देश के अन्य राज्यों के कला रूपों को भी एक मंच प्रदान करता है, जिससे देश की सांस्कृतिक विविधता का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से कराता परिचित
मध्य प्रदेश जनजातीय संग्रहालय के इस प्रयास को सराहा जाना चाहिए, जो न केवल लोक कलाओं को संरक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें एक व्यापक मंच प्रदान कर रहा है। 'संभावना' के माध्यम से सांस्कृतिक धरोहर का यह अनमोल खजाना सुरक्षित रह सकेगा और भविष्य की पीढ़ियों को इसके महत्व का ज्ञान हो सकेगा।
Subscribe to our newsletter for daily updates and stay informed
© indianewsvista.in. All Rights Reserved.