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सिंधी कलाकारों की अदाकारी ने जीता दर्शाकों का दिल, अखिल भारतीय सिंधी नाट्य समारोह का हंसी और व्यंग्य से शानदार आगाज

भारत भवन में रविवार शाम 6 बजे से तीन हास्य और व्यंग्य प्रधान नाटकों का होगा मंचन, स्व. सुंदर अगनानी रंगमंच सम्मान-2024 से जूली तेजवानी को किया जाएगा सम्मानित

भोपाल। भारत भवन में शनिवार को दो दिवसीय अखिल भारतीय सिंधी नाट्य समारोह की भव्य शुरुआत हुई, जिसका उद्घाटन लोकप्रिय हास्य नाटक "फैमिली नंबर वन" से किया गया। यह आयोजन सिंधी साहित्य अकादमी और भारत भवन के सहयोग से, देश के जाने-माने लेखक स्व. सुंदर अगनानी की स्मृति में आयोजित किया गया है। समारोह में देश के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और राजस्थान के प्रमुख नाट्य दलों ने हिस्सा लिया, जिसमें भोपाल, जयपुर, मुंबई, इंदौर और नागपुर के कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

समारोह का उद्घाटन फिल्म अभिनेता और ड्रामा डायरेक्टर अशोक बुलानी, रिटायर्ड आईएएस मनोहर अगनानी, शिल्पी अगनानी, समाजसेवी चंदर लालचंदानी और लेखक मोहन गेहानी द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। यह आयोजन सिंधी रंग समूह द्वारा संयोजित किया गया, जिसमें जयपुर, मुंबई और भोपाल के सिंधी रंगमंच के प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस साल के समारोह में कुल छह हास्य और व्यंग्य प्रधान नाटक मंचित किए जा रहे हैं, जो दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने हैं।

"फैमिली नंबर वन" की सराहना

समारोह की शुरुआत नाटक फैमिली नंबर वन से हुई। जिसे दर्शकों के बीच प्रस्तुत किया गया। इस नाटक का विषय परस्पर प्रेम और समझदारी का महत्व था, जिसे जूली तेजवानी के नेतृत्व में सिंधु सखा संगम नाट्य दल ने मंचित किया। यह नाटक जीवन में धन अर्जन से अधिक प्रेम और आपसी सद्भाव को महत्व देने की सीख देता है। नाटक की हल्की-फुल्की कॉमेडी और संवाद अदायगी ने दर्शकों को खूब हंसाया और तालियां बटोरीं। इस नाटक की प्रस्तुति भारत के विभिन्न राज्यों में पहले भी की जा चुकी है और इसे दर्शकों से सराहनीय प्रतिक्रिया मिली है।


उल्हासनगर और मुंबई से आए कलाकारों ने भारत भवन के मंच की तारीफ करते हुए इसे नाटक मंचन के लिए भारत का सर्वश्रेष्ठ मंच बताया। उनकी उत्कृष्ट अदाकारी और संवाद अदायगी ने नाटक को एक यादगार अनुभव बना दिया।

दूसरे प्रस्तुति: नारी युग और बदलते समय की कहानी

दूसरे प्रस्तुति नाटक "नारी युग" था, जिसे नंदिनी पंजवानी ने निर्देशित किया। जयपुर के कलाकारों ने इसे बखूबी मंचित किया। एसपी मेंघानी द्वारा लिखित इस नाटक ने दर्शकों को एक समय की ओर वापस ले जाया, जब नारी का समाज में उच्च स्थान था। इसके बाद युग बदला और नारी की स्थिति में गिरावट आई, लेकिन वर्तमान समय में नारी के आत्मसम्मान और आर्थिक स्वतंत्रता की महत्ता को फिर से पहचाना जा रहा है। नाटक में यह बताया गया कि कैसे पहले की परिस्थितियां अब फिर से प्रासंगिक हो गई हैं। जयपुर के सिंधी रंगमंच के कलाकारों ने इस नाटक में अपने संवादों, अदायगी और संगीत के माध्यम से इसे यादगार बना दिया।

अंतिम नाटक: "दुनिया है दिल वालों की" ने बढ़ाई समापन की शान

अशोक बुलानी द्वारा निर्देशित अंतिम नाटक "दुनिया है दिल वालों की" का सिंधी अनुवाद राकेश शेवानी ने किया। इस नाटक ने समापन के अवसर पर दर्शकों के दिलों को छू लिया। सिंधी रंग समूह के कलाकारों ने अपने अभिनय से नाटक को जीवन्त बना दिया। नाटक के विषय ने प्रेम, सद्भावना और जीवन में रिश्तों के महत्व को बखूबी उजागर किया। दर्शकों ने कलाकारों की परफॉर्मेंस को सराहा और तालियों से उनका उत्साहवर्धन किया।


सम्मान और पुरस्कार

समारोह में प्रतिभागी नाटक निर्देशकों और कलाकारों का सम्मान भी किया गया। नंदिनी पंजवानी, अशोक बुलानी, जय पंजवानी, कविता इसरानी और जूली तेजवानी जैसे प्रमुख निर्देशकों को रिटायर्ड आईएएस मनोहर अगनानी और शिल्पी अगनानी द्वारा शॉल देकर सम्मानित किया गया। वहीं रविवार को स्व. सुंदर अगनानी रंगमंच सम्मान-2024 से जूली तेजवानी को सम्मानित किया जाएगा, जिनकी निर्देशन में नाटक "फैमिली नंबर वन" ने दर्शकों के बीच विशेष स्थान बनाया।

समारोह में नाटक निर्देशकों का परिचय अशोक मनवानी, सदस्य, साहित्य अकादमी, भारत सरकार सिंधी भाषा परामर्श मंडल ने दिया। समापन अवसर पर मुख्य अतिथि ने सिंधी रंगमंच की समृद्ध परंपराओं की प्रशंसा की और नए कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए ऐसे और भी आयोजनों की आवश्यकता पर बल दिया।


समृद्ध सिंधी रंगमंच की झलक

अखिल भारतीय सिंधी नाट्य समारोह ने सिंधी रंगमंच की धरोहर को नए सिरे से जीवंत किया है। इस समारोह ने यह दिखाया कि कैसे हास्य और व्यंग्य प्रधान नाटक दर्शकों के बीच न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश भी पहुंचाते हैं। सिंधी साहित्य अकादमी और भारत भवन का यह संयुक्त प्रयास रंगमंच प्रेमियों के लिए एक शानदार अवसर साबित हुआ।

समारोह में दर्शकों को सिंधी रंगमंच की अनूठी विधाओं का अनुभव मिला। इस आयोजन ने न केवल नए और उभरते हुए कलाकारों को एक मंच प्रदान किया, बल्कि समृद्ध सिंधी साहित्य और रंगमंच को भी पुनर्जीवित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया।

अखिल भारतीय सिंधी नाट्य समारोह न केवल दर्शकों के लिए एक मनोरंजक अनुभव साबित हुआ, बल्कि यह सिंधी समाज की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल भी है।

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