भोपाल। 10वें रंग त्रिवेणी नाट्य उत्सव के आखिरी दिन रविवार को सघन सोसायटी फॉर कल्चरल एवं वेलफेयर के तत्वावधान में शहीद भवन में नाटक 'कैक्टस फ्लॉवर' का मंचन किया गया। यह नाटक येब बरोस के प्रसिद्ध अंग्रेजी कॉमेडी नाटक पर आधारित है, जिसका हिंदी रूपांतरण प्रवीण महूवाले ने निधि महूवाले के सहयोग से किया है। नाटक का निर्देशन राजीव वर्मा ने किया, जिसमें भोपाल थियेटर्स के कलाकारों ने अपनी अद्भुत प्रस्तुति दी। रंग त्रिवेणी नाट्य उत्सव के अंतिम दिन मंचित किये गए नाटक 'कैक्टस फ्लॉवर' का मंचन दर्शकों को हमेशा याद रहेगा। कलाकारों की बेहतरीन प्रस्तुति, निर्देशन, प्रकाश संयोजन, संगीत और ग्राफिक्स सभी ने मिलकर इसे एक संपूर्ण नाट्य अनुभव बनाया। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलता है, बल्कि दर्शकों को भी सांस्कृतिक समृद्धि का अनुभव होता है। सघन सोसायटी फॉर कल्चरल एवं वेलफेयर को इस आयोजन की सफलता के लिए हार्दिक बधाई।
कहानी और पात्र
'कैक्टस फ्लॉवर' की कहानी एक दिलफेंक इंसान के इर्द-गिर्द घूमती है, जो आजाद पंछी की तरह स्वच्छंद जीवन जीना चाहता है। वह मदमस्त भौंरे की तरह कभी इस फूल पर तो कभी उस फूल पर मंडराता रहता है, लेकिन जैसा कि कहते हैं, ''दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या कीजे"। ऐसे दिलफेंक लोग कभी-कभी प्यार के खेल में अपने ही बुने जाल में फंस जाते हैं। दूसरी ओर, कुछ लोग कैक्टस के पौधे की तरह होते हैं, जो विषम परिस्थितियों में अपने शरीर पर उगे कांटों के साथ डटे रहते हैं। उन्हें अपने संघर्ष भरे जीवन में एक खूबसूरत फूल के खिलने का इंतजार रहता है।
प्रेम की यही विडंबना है कि हम उसे खोजते रहते हैं और प्रेम एक मरीचिका की तरह हमें भ्रमित करता रहता है। इसी भटकाव और परिस्थिति जन्य घटनाओं से उत्पन्न हुआ यह हास्य नाटक दर्शकों को गुदगुदाता है और हमें अपने आसपास बिखरे संबंधों के महत्व पर सोचने को मजबूर भी करता है। प्रेम, प्यार, मोहब्बत, इश्क का यही मजा है कि हमें चाहने वाला हमारे आसपास ही कहीं मौजूद होता है, लेकिन हमें ही पता नहीं होता। हम भूल जाते हैं कि शुष्क रेगिस्तानी परिस्थितियों में जीवित रहने वाले कैक्टस में भी फूल खिलते हैं।
मंच पर और मंच के पीछे
नाटक में रीता वर्मा, प्रवीण महूवाले, महुआ चटर्जी, आलोक गच्छ और सुनील सक्सेना ने अपने उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंच पर प्रकाश संयोजन कमल जैन ने किया, संगीत सनी सेन ने दिया, ग्राफिक्स प्रियश पाल ने बनाए और मंच निर्माण एवं संचालन दिनेश नायर, रविकांत पटेल, अभिषेक बघेल, गीता और शौर्य हजारी ने किया। नाटक का हिंदी रूपांतरण प्रवीण महूवाले और निधि महूवाले ने किया और निर्देशन राजीव वर्मा ने संभाला।
विशेष सम्मान
इस वर्ष संस्था द्वारा 'रंग सिद्धी सम्मान' से कमल जैन को सम्मानित किया गया। कमल जैन ने प्रकाश संयोजन में अपनी उत्कृष्टता और योगदान के लिए यह सम्मान प्राप्त किया। यह सम्मान उनके कला के प्रति समर्पण और नाट्य क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान को मान्यता देने के लिए दिया गया।
नाटक की समीक्षा
'कैक्टस फ्लॉवर' नाटक के मंचन ने दर्शकों के दिलों को छू लिया। हास्य और गंभीरता के मिश्रण से परिपूर्ण इस नाटक ने दर्शकों को न केवल हंसाया, बल्कि जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर भी विचार करने के लिए मजबूर किया। नाटक के माध्यम से यह संदेश दिया गया कि प्रेम और संबंधों का महत्व हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है।
दर्शकों ने कलाकारों के प्रदर्शन की भूरी-भूरी प्रशंसा की। रीता वर्मा, प्रवीण महूवाले, महुआ चटर्जी, आलोक गच्छ और सुनील सक्सेना ने अपने अभिनय कौशल से सभी को प्रभावित किया। मंच पर उनकी ऊर्जा और संवाद अदायगी ने नाटक को जीवंत बना दिया।
आयोजन की सफलता
10वें रंग त्रिवेणी नाट्य उत्सव का यह आखिरी दिन बहुत ही सफल रहा। दर्शकों की भीड़, उनका उत्साह और उनकी प्रतिक्रियाएं इस बात का प्रमाण थीं कि नाटक ने उन्हें कितना प्रभावित किया। सघन सोसायटी फॉर कल्चरल एवं वेलफेयर के इस आयोजन ने न केवल कला और संस्कृति को बढ़ावा दिया, बल्कि कलाकारों और दर्शकों के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद भी स्थापित किया।
इस उत्सव ने भोपाल के सांस्कृतिक जीवन को एक नई दिशा दी और कला प्रेमियों को एक अविस्मरणीय अनुभव प्रदान किया। 'कैक्टस फ्लॉवर' का यह मंचन न केवल एक मनोरंजक नाटक था, बल्कि यह जीवन के गहरे और सार्थक पहलुओं को भी उजागर करने में सफल रहा। इस प्रकार के आयोजन भविष्य में भी कला और संस्कृति के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित करेंगे।
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