भोपाल। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय ने स्वच्छता पखवाड़ा के अंतर्गत पर्यावरण संरक्षण और हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार को लेकर एक उल्लेखनीय पहल की है। इस अभियान के हिस्से के रूप में संग्रहालय ने पत्र सूचना कार्यालय के सहयोग से वृक्षारोपण अभियान का आयोजन किया गया, जिसका उद्देश्य न केवल पर्यावरणीय स्वच्छता को बढ़ावा देना था, बल्कि जैव विविधता के महत्व पर भी जोर देना था।
संग्रहालय के निदेशक प्रो. अमिताभ पांडे ने बताया कि यह कार्यक्रम जैव विविधता और पर्यावरणीय स्वच्छता के महत्व को उजागर करने के लिए डिजाइन किया गया है। पेड़ लगाना न केवल पर्यावरण को हरित आवरण से समृद्ध करता है, बल्कि यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पेड़ प्राकृतिक वायु शोधक की तरह कार्य करते हैं, जो वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन का उत्सर्जन करते हैं, जिससे वायु की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके साथ ही पेड़ विभिन्न जीवों के लिए आवास भी प्रदान करते हैं, जिससे जैव विविधता को प्रोत्साहन मिलता है।
वृक्षारोपण अभियान के दौरान प्रतिभागियों ने बड़े उत्साह से भाग लिया। उन्होंने विभिन्न प्रकार के पौधे लगाकर हरित आवरण में योगदान दिया और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाई। इस अवसर पर पत्र सूचना कार्यालय की डिप्टी डायरेक्टर वर्षा शुक्ला पाठक ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य न केवल स्थानीय पर्यावरण को सुधारना था, बल्कि जैव विविधता के महत्व और टिकाऊ प्रथाओं की आवश्यकता के प्रति जागरूकता फैलाना भी था। उनका कहना था कि पौधे लगाकर हम एक स्वस्थ, अधिक टिकाऊ भविष्य में निवेश कर रहे हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियों को एक संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ मिल सके।
हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक नई पहल
संग्रहालय द्वारा न केवल पर्यावरण संरक्षण पर बल दिया जा रहा है, बल्कि हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार और इसके व्यापक उपयोग को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। 18 से 30 सितंबर के बीच हिंदी पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदी को बढ़ावा देना और इसे और अधिक लोगों के बीच लोकप्रिय बनाना है। इस पखवाड़ा के अंतर्गत, संग्रहालय कर्मियों के बीच हिंदी भाषा से जुड़ी विभिन्न प्रतियोगिताओं और कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है।
हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत 19 सितंबर को संग्रहालय ने एक विशेष हिंदी टंकण यूनिकोड प्रतियोगिता का आयोजन किया, जिसका उद्देश्य कर्मियों को हिंदी टाइपिंग के प्रति जागरूक करना और उन्हें नई तकनीक से अवगत कराना था। संग्रहालय के राजभाषा अधिकारी डॉ. सोमा कीरो ने बताया कि यूनिकोड एक टेक्नोलॉजी मानक है, जिसमें विश्व की सभी लिपियों के वर्णमाला अक्षरों के लिए विशिष्ट कोड दिए गए हैं। इस तकनीक ने हिंदी में टाइपिंग को बेहद सरल बना दिया है, जिससे हिंदी का प्रयोग न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आसान हो गया है।
डॉ. कीरो ने कहा यूनिकोड की वजह से हिंदी टाइपिंग की जटिलताएं अब सरल हो गई हैं। इससे हिंदी भाषा के प्रयोग को और बढ़ावा मिलेगा, खासकर सरकारी और औपचारिक कार्यों में। यह पहल हिंदी को तकनीकी दुनिया के साथ जोड़ने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस प्रतियोगिता में संग्रहालय के कर्मचारियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और हिंदी टंकण में अपनी दक्षता का प्रदर्शन किया।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय का यह संयुक्त प्रयास न केवल स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में है, बल्कि यह हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में भी मील का पत्थर साबित हो रहा है। वृक्षारोपण अभियान और हिंदी पखवाड़ा दोनों ही समाज के लिए संदेशवाहक हैं कि भाषा और पर्यावरण दोनों का संरक्षण करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।
इस प्रकार, स्वच्छता पखवाड़ा और हिंदी पखवाड़ा जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से संग्रहालय न केवल जागरूकता फैला रहा है, बल्कि समाज को एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की ओर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह पहल हमें याद दिलाती है कि एक स्वस्थ वातावरण और एक सशक्त भाषा, दोनों ही आने वाली पीढ़ियों के लिए मूल्यवान उपहार हैं।
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