उज्जैन । श्रावण मास के दौरान उज्जैन में निकलने वाली महाकाल सवारी के अंतर्गत त्रिवेणी कला संग्रहालय एवं जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी भोपाल द्वारा सोमवार को द्वितीय सवारी में मध्य प्रदेश की प्रमुख जनजातीय तथा लोक नृत्यों का भव्य प्रस्तुतिकरण किया गया। इस अवसर पर भड़म और कर्मा जनजातीय के कलाकारों ने अपने नृत्य से माहौल को जीवंत बना दिया। महाकाल सवारी के अंतर्गत भड़म और कर्मा नृत्य की भव्य प्रस्तुति ने उज्जैन में एक सांस्कृतिक महोत्सव का माहौल बना दिया। त्रिवेणी कला संग्रहालय और जनजातीय लोक कला अकादमी के इस प्रयास से न केवल जनजातीय कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर मिला बल्कि दर्शकों को भी मध्य प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का आनंद लेने का अवसर प्राप्त हुआ। इस प्रकार के कार्यक्रम सांस्कृतिक एकता और समृद्धि को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
महाकाल सवारी का महत्व
महाकाल सवारी का आयोजन उज्जैन में श्रावण मास के दौरान होता है जो महाकालेश्वर मंदिर से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गों से गुजरती है। इस सवारी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। श्रद्धालु बड़ी संख्या में इस सवारी में शामिल होते हैं और महाकालेश्वर भगवान के दर्शन करते हैं। इस सवारी का आयोजन सदियों से हो रहा है और यह उज्जैन की एक प्रमुख धार्मिक परंपरा है।
भड़म और कर्मा नृत्य की प्रस्तुति
इस वर्ष महाकाल सवारी के अंतर्गत त्रिवेणी कला संग्रहालय और जनजातीय लोक कला अकादमी ने भड़म और कर्मा नृत्य की प्रस्तुति कर श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। भड़म नृत्य मध्य प्रदेश की प्रमुख जनजातीय परंपराओं में से एक है जिसमें कलाकार पारंपरिक वेशभूषा पहनकर उत्साहपूर्वक नृत्य करते हैं। कर्मा नृत्य भी जनजातीय समाज का प्रमुख नृत्य है जिसे विशेष रूप से फसल की कटाई के समय किया जाता है। इन नृत्यों ने महाकाल सवारी में सांस्कृतिक रंग भर दिए।
कलाकारों का उत्साह
भड़म और कर्मा नृत्य प्रस्तुत करने वाले कलाकारों का उत्साह देखते ही बनता था। उन्होंने अपनी पारंपरिक वेशभूषा और नृत्य मुद्राओं से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलाकारों ने अपने नृत्य के माध्यम से जनजातीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर किया। उनका कहना है कि इस प्रकार के आयोजनों से उन्हें अपनी संस्कृति को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है और वे इसे गर्व से प्रस्तुत करते हैं।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
महाकाल सवारी में आए श्रद्धालुओं और दर्शकों ने भड़म और कर्मा नृत्य की भव्य प्रस्तुति की सराहना की। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम धार्मिक आयोजनों में नई ऊर्जा और उत्साह भर देते हैं। दर्शकों ने कलाकारों की कला और उनके उत्साह की प्रशंसा की और उन्हें प्रोत्साहित किया।
संस्कृति संरक्षण की पहल
त्रिवेणी कला संग्रहालय और जनजातीय लोक कला अकादमी द्वारा इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने का मुख्य उद्देश्य जनजातीय और लोक कला का संरक्षण और संवर्धन करना है। इस प्रकार के आयोजनों से जनजातीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और उन्हें व्यापक मंच प्रदान करने का प्रयास किया जाता है। इससे न केवल कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है, बल्कि समाज को भी इन अद्वितीय कलाओं के बारे में जानने और समझने का मौका मिलता है।
आगे की योजना
त्रिवेणी कला संग्रहालय और जनजातीय लोक कला अकादमी के निदेशक ने बताया कि भविष्य में भी इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उनका कहना है कि मध्य प्रदेश की जनजातीय और लोक कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। इसके लिए विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों और महोत्सवों का आयोजन किया जाएगा।
Subscribe to our newsletter for daily updates and stay informed
© indianewsvista.in. All Rights Reserved.