भोपाल। भारत 23 अगस्त को अपना पहला राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस मनाएगा, जो देश की वैज्ञानिक उपलब्धियों को एक विशेष श्रद्धांजलि है। यह दिन इसरो के चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग की याद में मनाया जा रहा है। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने भारत को दुनिया का पहला ऐसा देश बना दिया जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की है। साइंस सेंटर के क्यूरेटर साकेत सिंह कौरव ने बताया कि आंचलिक विज्ञान केंद्र, भोपाल में 12 और 13 अगस्त को स्कूल, कॉलेज के छात्रों और आम जनता के लिए एक विशेष कार्यक्रम श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है।
अंतरिक्ष प्रदर्शनी का उद्घाटन और कार्यक्रमों की शुरुआत
12 अगस्त को सुबह 10 बजे इसरो द्वारा डिजाइन की गई अंतरिक्ष प्रदर्शनी का उद्घाटन होगा। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन मनीष एम. मेहता, समूह निदेशक, अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र, अहमदाबाद, शैलेन्द्र कुमार, समूह निदेशक, मास्टर कंट्रोल फैसिलिटी (MCF), भोपाल, और जावेद एसएआर कुरैशी, समूह प्रमुख, MCF, भोपाल द्वारा किया जाएगा। इस प्रदर्शनी में चंद्रयान-3 मिशन सहित इसरो की अन्य अंतरिक्ष उपलब्धियों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे आगंतुकों को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की गहराई से जानकारी मिलेगी।
छात्रों के लिए प्रतियोगिताएं और वैज्ञानिक सत्र
उद्घाटन के बाद, सुबह 11 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक स्कूली छात्रों के बीच पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। इस प्रतियोगिता में भोपाल के कक्षा 8 से 10 के छात्र भाग लेंगे और अपनी कला के माध्यम से अंतरिक्ष विज्ञान की कल्पनाओं को व्यक्त करेंगे।
इसके बाद दोपहर 12 बजे से 1.30 बजे तक कक्षा 11 और 12 के छात्रों के लिए जल रॉकेट्री प्रतियोगिता का आयोजन होगा। यह प्रतियोगिता न केवल छात्रों को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति जागरूक करेगी, बल्कि उन्हें अपने नवाचार कौशल का प्रदर्शन करने का अवसर भी प्रदान करेगी।
दोपहर 12.30 बजे से 1.30 बजे तक "वैज्ञानिकों से मिलें और 'चंद्रयान मिशन' पर संवादात्मक सत्र" का आयोजन किया जाएगा। इस सत्र का संचालन मनीष एम. मेहता द्वारा किया जाएगा, जिसमें वे भारत के स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए चंद्रयान अंतरिक्ष यान और उनके संचालन पर प्रकाश डालेंगे। इस सत्र में उपस्थित छात्र और आम जनता को चंद्रयान मिशन के बारे में गहन जानकारी प्राप्त होगी और वे वैज्ञानिकों से सीधे सवाल पूछने का अवसर भी पा सकेंगे।
रोबोटिक्स मिशन प्रतियोगिता: लाल ग्रह के लिए रोवर
दोपहर 2.30 बजे से शाम 4.00 बजे तक डिप्लोमा, बीएससी, बी.टेक, और बीई छात्रों के लिए "रोबोटिक्स मिशन प्रतियोगिता" का आयोजन होगा। इस प्रतियोगिता का विषय "लाल ग्रह के लिए रोवर" है, जिसमें छात्र मंगल ग्रह के इलाके की नकल करते हुए बने ऊबड़-खाबड़ रास्ते पर अपने रोवर्स को चलाएंगे। यह प्रतियोगिता छात्रों को अंतरिक्ष मिशन की जटिलताओं और चुनौतियों को समझने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगी।
पैनल चर्चा: 2047 तक अंतरिक्ष में भारत की आत्मनिर्भरता
13 अगस्त को सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक "2047 तक अंतरिक्ष में भारत की आत्मनिर्भरता" विषय पर एक पैनल चर्चा आयोजित की जाएगी। इस चर्चा में प्रो. अभिरूप दत्ता, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष, खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी एवं अंतरिक्ष इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी, इंदौर, उमेश कुमार, निदेशक, नेहरू विज्ञान केंद्र, मुंबई, मनीष एम. मेहता, शैलेन्द्र कुमार, और प्रो. सविता नेमा, प्रोफेसर, विद्युत इंजीनियरिंग विभाग, एमएएनआईटी, भोपाल सहित कई प्रमुख विशेषज्ञ भाग लेंगे।
इस पैनल चर्चा का उद्देश्य भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के भविष्य की संभावनाओं पर विचार करना और 2047 तक देश को अंतरिक्ष क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करना है। यह चर्चा न केवल विशेषज्ञों के विचारों का आदान-प्रदान करेगी, बल्कि छात्रों और आम जनता को भी अंतरिक्ष क्षेत्र के बारे में जागरूक करेगी।
समापन समारोह और पुरस्कार वितरण
13 अगस्त को दोपहर 12 बजे से 1 बजे तक समापन समारोह और पुरस्कार वितरण कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर साकेत सिंह कौरव, क्यूरेटर 'ई' एवं परियोजना समन्वयक, आरएससी, भोपाल, अक्षय चौरे, प्रबंधक, एमसीएफ, भोपाल, और पंकज चड्ढा, उप. प्रबंधक, एमसीएफ, भोपाल द्वारा प्रतिभागियों को पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। इस समारोह में उन छात्रों और प्रतिभागियों को सम्मानित किया जाएगा जिन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का यह आयोजन न केवल इसरो की उपलब्धियों को याद करने का एक अवसर है, बल्कि छात्रों और आम जनता के लिए विज्ञान और अंतरिक्ष में रुचि बढ़ाने का भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है। भोपाल में आंचलिक विज्ञान केंद्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम श्रृंखला में भाग लेकर, छात्र और नागरिक न केवल अंतरिक्ष विज्ञान की बारीकियों को समझेंगे, बल्कि उन्हें भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सफलता की कहानियों का भी अनुभव होगा। इस प्रकार के आयोजन देश के भविष्य के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को प्रेरित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
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