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विश्व रंग 2024: मॉरीशस में हिंदी के विस्तार की खुली नई राह

विश्वरंग वार्ता में में मॉरीशस से लौटे प्रतिनिधियों ने साझा किए अपने अनुभव

भोपाल। विश्व रंग 2024 का मॉरीशस में भव्य आयोजन साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुआ। इस ऐतिहासिक आयोजन में दुनियाभर से साहित्यकार, कलाकार और शिक्षाविद् एकत्रित हुए और हिंदी के वैश्विक प्रचार-प्रसार में योगदान दिया। बुधवार को भोपाल के होटल पलाश में आयोजित “विश्वरंग वार्ता” में मॉरीशस से लौटे प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा किए और इस महोत्सव की सफलता के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।

इस कार्यक्रम में विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे, सह निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, टैगोर विश्व कला केंद्र के अध्यक्ष विनय उपाध्याय और विश्वरंग सचिवालय के समंवयक जवाहर कर्णावट विशेष रूप से उपस्थित रहे।


मॉरीशस में हिंदी के विस्तार की नई राह

संतोष चौबे ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि मॉरीशस गणराज्य के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगनाथ की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी गरिमामय बना दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी के वैश्विक प्रचार-प्रसार और साहित्य, कला और संस्कृति के प्रति समर्पित विश्व रंग 2024 ने मॉरीशस में हिंदी के विस्तार के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। इस आयोजन ने भारत और मॉरीशस के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। उन्होंने यह भी बताया कि भोपाल के रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और महात्मा गांधी संस्थान (मॉरीशस) के बीच हुए मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) ने रचनात्मक और सृजनात्मक कार्यों के अवसरों को लंबे समय तक मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

साहित्य, कला और संस्कृति के इन्द्रधनुषी रंग

डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि विश्व रंग 2024 का आयोजन मॉरीशस के समुद्र तटों और सांस्कृतिक विरासत की पृष्ठभूमि में पूर्ण भव्यता के साथ हुआ। यह महोत्सव साहित्य, कला और संस्कृति के इन्द्रधनुषी रंगों से सराबोर था, जिसमें भारत, मॉरीशस, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया, यूके, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, केन्या, इंडोनेशिया, बेहरीन, यूएई, साइप्रस, श्रीलंका, मलेशिया, नाइजीरिया, न्यूजीलैंड, नेपाल, कतर और सूरीनाम सहित कई देशों से प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


इस आयोजन में मॉरीशस गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति पृथ्वीराज सिंह रूपन, प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगनाथ, उप प्रधानमंत्री लीला देवी दुकन, भारत की उच्चायुक्त नंदनी के. सिंगला और मॉरीशस के कई वरिष्ठ मंत्री, अधिकारी और साहित्यकारों ने भी भाग लिया। इनकी उपस्थिति ने इस आयोजन को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयां प्रदान की।

टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र और अनुवाद का वैश्विक कार्य

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में 'टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र' की स्थापना इस आयोजन का एक और महत्वपूर्ण पहलू है। यह केंद्र हिंदी के लिए वैश्विक स्तर पर मिशन के रूप में कार्य करेगा और विभिन्न देशों में हिंदी अध्ययन केंद्रों की स्थापना करेगा। इसके साथ ही, विश्वविद्यालय में 'बहुभाषा अनुवाद केंद्र' की भी स्थापना की गई है, जो वैश्विक स्तर पर अनुवाद कार्यों को बढ़ावा देगा।

विश्व रंग 2024 के दौरान 'ए जरनी इन टाइम' के तहत भारत के 51 कहानीकारों की हिंदी कहानियों का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया, जिसे दो खंडों में प्रकाशित किया गया। इन कहानियों को उर्दू, मलयालम, उड़िया, मराठी और बांग्ला में भी अनुवाद कर प्रकाशित किया गया है, जिससे भारतीय भाषाओं के बीच संवाद को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। 


अफ्रो-एशिया अंतरराष्ट्रीय विश्व रंग सम्मान की घोषणा

संतोष चौबे ने इस अवसर पर घोषणा की कि विश्व रंग 2025 से शिक्षा, साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कार्य करने वाले व्यक्तियों को 'अफ्रो-एशिया अंतरराष्ट्रीय विश्व रंग सम्मान' से सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उनकी उपलब्धियों और योगदानों को मान्यता देगा और वैश्विक स्तर पर हिंदी और भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देगा।

वैश्विक हिंदी ओलंपियाड का आयोजन

विश्व रंग के अंतर्गत 50 से अधिक देशों में 'हिंदी ओलंपियाड' का आयोजन किया जाएगा। इस ओलंपियाड में कहानी, कविता, गीत, कथेतर गद्य, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, विज्ञान लेखन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों पर प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इन प्रतियोगिताओं में 10 लाख से अधिक विद्यार्थियों-प्रतिभागियों के शामिल होने की उम्मीद है। 

अद्भुत और ऐतिहासिक आयोजन 

विश्व रंग 2024 का मॉरीशस में भव्य, अद्भुत और ऐतिहासिक आयोजन हिंदी के वैश्विक प्रचार-प्रसार के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। यह आयोजन भारत और मॉरीशस के सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंधों को मजबूती प्रदान करेगा और वैश्विक स्तर पर हिंदी को एक नई दिशा में ले जाने में मदद करेगा। 

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