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साहित्य, कला, संस्कृति के वैश्विक महोत्सव विश्वरंग 2024 का विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस में हुआ रंगारंग शुभारंभ

माननीया लीला देवी दुकन, उपप्रधानमंत्री, शिक्षा, तृतीयक शिक्षा, विज्ञान एवं प्रोधोगिकी मंत्री, मॉरीशस ने किया शुभारंभ, अंतरराष्ट्रीय शोभा यात्रा में गूंजे 'विश्व रंग जिन्दाबाद' के नारें, अंतरराष्ट्रीय शोभा यात्रा के दौरान मॉरीशस के कलाकारों ने दी राजस्थान, गुजरात, भोजपुरी और मॉरीशस के सतरंगी रंगों से सजी मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियां, अंतर्लय, 'होरी हो ब्रजराज', 'कविता यात्रा', 'फुहार', 'हमारी सारी दुनिया', 'थोड़ा सा एकांत' क्लासिक पुस्तकें हुई लोकार्पित

भोपाल । विश्व रंग 2024 के छटवें संस्करण का आगाज महासागर के बीच कला, संस्कृति, साहित्य, और भाषा को मूल रूप में संजोए  रखने वाले दुनिया के बहुत सुंदर और मनमोहक देश 'मॉरीशस' के विश्व हिंदी सचिवालय में पूर्ण भव्यता के साथ हुआ। विश्व रंग 7,8,9 अगस्त तक विश्व हिंदी सचिवालय, महात्मा गांधी संस्थान, रबीन्द्रनाथ टैगोर संस्थान, मॉरीशस में आयोजित किया जा रहा है।

विश्व रंग के शुभारंभ अवसर पर अंतरराष्ट्रीय शोभा यात्रा का रंगारंग आयोजन

विश्व रंग के भव्य शुभारंभ अवसर पर रंगारंग अंतरराष्ट्रीय शोभा यात्रा का आयोजन किया गया। शोभा यात्रा के दौरान मॉरीशस के कलाकारों ने राजस्थान, गुजरात, भोजपुरी और मॉरीशस के सतरंगी रंगों से सजी मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियाँ देकर सभी को अपने साथ थिरकने को लालायित कर दिया। शोभा यात्रा में भारत, मॉरीशस, अमेरिका, यू.के., कतर, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, सूरीनाम, जापान, यू.ए.ई., दक्षिण कोरिया, केन्या, जर्मनी, साइप्रस, बहरीन, इंडोनेशिया, श्रीलंका, नेपाल, मलेशिया, रूस, नाइजीरिया, आदि देशों से पधारे रचनाकारों सहित मॉरीशस के कलाप्रेमी विश्व रंग के रंगों से सराबोर होकर झूम उठें।अंतरराष्ट्रीय शोभा यात्रा में  'विश्व रंग जिन्दाबाद' के नारों की गूंज ने सभी को रोमांचित कर दिया।

साहित्य, कला, संस्कृति के वैश्विक महोत्सव विश्वरंग 2024 का विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस में हुआ भव्य रंगारंग शुभारंभ किया गया। माननीया लीला देवी दुकन, उपप्रधानमंत्री, शिक्षा, तृतीयक शिक्षा, विज्ञान एवं प्रोधोगिकी मंत्री, मॉरीशस ने विश्व रंग 2024 का भव्य शुभारंभ किया। विश्व रंग के स्वप्नदृष्टा श्री संतोष चौबे एवं विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी के नेतृत्व में हुआ विश्व रंग 2024 का रंगारंग आगाज किया गया।

इस स्वर्णिम ऐतिहासिक अवसर पर भारत की महामहिम उच्चायुक्त नंदनी के सिंगला, मॉरीशस, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे, वरिष्ठ कवि–कथाकार, विश्व रंग के निदेशक, संतोष चौबे, विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी, उपमहासचिव डॉ. शुभंकर मिश्र एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के प्रति कुलाधिपति सिद्धार्थ चतुर्वेदी, अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र के निदेशक डॉ. जवाहर कर्नावट विशेष रूप से उपस्थित रहें। उद्घाटन समारोह का यादगार संचालन श्री विनय उपाध्याय, निदेशक, टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र (भारत) द्वारा किया गया।


विश्व रंग 2024, मॉरीशस के ऐतिहासिक शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि माननीया उप- प्रधानमंत्री लीलादेवी दुकन जी ने कहा कि बहुत ही गर्व की बात है, कि भारतीय संस्कृति-वैश्विक मंच 'विश्व रंग'  टैगोर अंतरराष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव का भोपाल (भारत) से निकलकर मॉरीशस आना अपने आप में एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक घटना है। पूरा मॉरीशस इस बात को लेकर बहुत गौरवान्वित है। किसी भी देश की भाषा और संस्कृति सुरक्षा कवच की तरह होती है। अस्तित्व और पहचान बनाने के लिए भाषा और संस्कृति को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी होता है। समय-समय पर इस कवच को प्रबल भी बनाना चाहिए। उन्होंने बताया कि हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मॉरीशस में हम स्कूली स्तर से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक हिंदी की पढ़ाई कर रहे हैं। साथ ही पी.एचडी. तक हिंदी भाषा में कराई जा रही है। हिंदी के प्राध्यापकों को हिंदी सीखने के लिए अनाउंस भी प्रदान किया जाता है।  हिंदी में वह शक्ति है कि ज्ञान के साथ-साथ भाव, नैतिकता, कर्तव्य, दायित्व, समन्वय और व्यक्तित्व का निर्माण करती है। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर कि विश्व रंग के माध्यम से कलाकारों को साहित्यकारों को मंच प्रदान किया जा रहा है। ऐसी प्रेरणा से ही नए पौधे विशाल वृक्ष बनते हैं। उन्होंने शुभकामना दी कि पूरे विश्व में हिंदी भारतीय कला संस्कृति का नाम अमर करें। 

इस अवसर पर विश्व रंग के स्वप्नदृष्टा श्री संतोष चौबे ने कहा कि मुझे यह कहते हुए बड़ा गर्व है, कि हिंदी विश्व की तीसरी भाषा के रूप में जानी जाती है। उन्होंने कहा कि हम पिछले 40 वर्षों से हिंदी के संरक्षण, संवर्धन, और प्रचार प्रसार की दिशा में निरंतर कार्य कर रहे हैं।संतोष चौबे ने कहा कि मनुष्य को बदलने की ताकत कला, संस्कृति, साहित्य और भाषा में होती है। उन्होंने बताया कि रबीन्द्रनाथ टैगोर एक अच्छे लेखक होने के साथ चित्रकार, कवि, साहित्यकार, और संगीत के ज्ञाता भी थे। इसलिए यहाँ गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की प्रतिमा का भी स्थापित की जा रही है। इस अवसर पर उन्होंने अंतर मेरा विकसित करो.....!  गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर की कविता का भी पाठ किया। उन्होंने बताया कि विश्व रंग की अवधारणा यह है, कि हिंदी के सामने विकास की संभावना है। हम सभी को इस दिशा में संकल्पित होकर काम करना चाहिए। साथ ही साथ तकनीकी का उपयोग हिंदी की विकास को करने में करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बोली और भाषा में जीवन का रस है, इसलिए हमें बोली और भाषाओं को भी नहीं भूलना है। संतोष चौबे ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक समृद्धि को को लेकर विश्व रंग आप सबके सामने हैं। 

उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस की महासचिव डॉ. माधुरी रामधारी ने कहा वह बहुत ही शुभ घड़ी रही होगी, जब विश्व रंग के निदेशक संतोष चौबे जी के मन में विश्व रंग का विचार आया होगा। उन्होंने कहा कि विश्व रंग ने हिंदी को लेकर एक नया इतिहास रचा है। भोपाल से हिंदी की शुरू हुई यात्रा आज महासागर के देश मॉरीशस तक पहुंच गई है ,और यह काम सिर्फ बहुत बड़ा दिल रखने वाले संतोष चौबे जी ही कर सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने विश्व हिंदी सचिवालय की ओर से विश्व रंग परिवार एवं भारत सहित दुनिया के विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों का आभार भी प्रकट किया।



इस अवसर पर उपस्थित महामहिम के नंदिनी सिंगला, भारतीय उच्चायुक्त, मॉरीशस ने कहा कि, इस समारोह के लिए मॉरीशस से अच्छा स्थान कहीं भी नहीं हो सकता, क्योंकि हमारी साहित्य, कला, संस्कृति हिंदी के केंद्र में है। उन्होंने कहा कि आकांक्षा, ऊर्जा और शक्ति का प्रमाण है हिंदी भाषा। उन्होंने विश्व रंग परिवार को इस आयोजन के लिए धन्यवाद देते हुए आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा हिंदी बनेगी , उन्होंने युवाओं से अपील की ही युवा पूरे मन से हिंदी के लिए समर्पित हो और पठन-पाठन लेखन हिंदी में करें।

इस अवसर पर उपस्थित भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय सहस्त्र बुद्धे ने कहा कि हिंदी मनुष्यता की तरफ देखने का नजरिया है। उन्होंने कहा कि हम हिंदी को समृद्ध करते हैं, तो सांस्कृतिक और भाषिक जनतंत्र को जीवंत रख पाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आज हिंदी के सामने अनेक चुनौतियाँ हैं. फिल्म, समाचार ,बोलचाल में हिंदी रूप विकृत हुआ है.श, लेकिन हिंदी की अपनी प्रतिष्ठा है, और वह कभी कम नहीं होगी। उन्होंने कहा कि समन्वय का रास्ता हमें अपनाना होगा। संकल्पना का दिया जलाएँ , हिंदी का यह रंग 'विश्व रंग' बने। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री भारत सरकार माननीय श्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी अपना संदेश दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी हमारे सपनों की भाषा है, इसे संस्कृति के रूप में संपोषित करने का संकल्प लेने की आवश्यकता है। 


कार्यक्रम में उपस्थित विश्व रंग के सह निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी जी ने मॉरीशस में आयोजित छठवें विश्व रंग पर प्रकाश डालते हुए कहा, कि कला संस्कृति और साहित्य जीवन की शक्ति है। इसी शक्ति से हमारा जीवन शक्तिमान होता है। उन्होंने कहा कि  भारतीय भाषाओं और बोलियाँ को संरक्षित और संबंधित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही गर्व का विषय है, कि आज सबसे खूबसूरत देश में से एक 'मॉरीशस' में विश्व रंग आयोजित किया जा रहा है। विश्व हिंदी सचिवालय मॉरीशस और विश्व रंग भारत की दो टीमें एक ही भाव से कम कर रही है। डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि 2019 का सपना साकार रूप ले चुका है, भाषा को वैश्विक मान्यता मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भाषा को विशेष केंद्र में रखा गया है, यही कारण है कि रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और विश्व रंग द्वारा इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम भाषा के विकास को और भी आगे लेकर जाएँगे।

इस अवसर पर  मॉरीशस, भारत, अमेरिका, यू.के., कतर, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, सूरीनाम, जापान, यू.ए.ई., दक्षिण कोरिया, केन्या, जर्मनी, साइप्रस, बहरीन, इंडोनेशिया, श्रीलंका, नेपाल, मलेशिया, रूस, नाइजीरिया, आदि देशों से पधारे रचनाकारों की रचनात्मक उपस्थिति रही।



प्रवासी रचनाकारों का रचना पाठ

प्रथम दिन के द्वितीय सत्र में शिक्षा,कौशल विकास, कृषि, उद्यमिता, वैश्विक क्षितिज विषय पर विचार–विमर्श का आयोजन डॉ. पद्मेश गुप्त, (यू.के.) की अध्यक्षता में किया गया। इस अवसर पर विश्व रंग के सह निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय (भारत) के कुलपति प्रो. अरुण जोशी. रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. विजय सिंह, आईसेक्ट ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटी की रजिस्ट्रार डॉ. पुष्पा असिवाल, नेटबुक भारत के संजीव कुमार ने उद्यमिता के विभिन्न पहलुओं पर अपनी बात रखी। सत्र के दौरान विद्यार्थियों कौशल विकास, उद्यमिता, कृषि, सहित सभी विषयों पर नए विचार भी आए।

इस अवसर पर सर्व प्रथम डॉ सिद्धार्थ चतुर्वेदी  ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, महिलाओं की भागीदारी, कैसे बढ़ाए रोजगार के अवसर, कैसे युवाओं को उपलब्ध हो उद्यमिता, शिक्षा पर क्या प्रयास किए जाने चाहिए। भारतीय स्किल्ड मैनपॉवर कैसे तैयार हो, एग्रीकल्चर किस दिशा में काम किया जा सकता है, विषयों का विषय प्रवर्तन किया. उन्होंने उक्त सभी विषयों पर वर्तमान परिवेश के कार्य और भावी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी रखी। 

व्याख्यान में संजीव कुमार ने कहा कि उद्यमिता में नए नवाचार जरूरी हैं। क्या नए नवाचार किया जा सकता है, साथ ही सामाजिक उद्यमिता पर भी काम किया जाना चाहिए। इन सभी विषयों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उद्यमिता का महत्वपूर्ण बिंदु यह भी है कि हम वित्तीय संसाधन कैसे उपयोग करते हैं। बहुत कम या बहुत अधिक आर्थिक संसाधन दोनों ही हानिकारक है।

रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल (भारत) के रजिस्ट्रार डॉ. विजय सिंह ने बताया कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्किल और रोजगार को विशेष स्थान दिया गया है। हम इस दिशा में तेजी से कम कर रहे हैं। साथ ही सेंटर फॉर एक्सीलेंस की स्थापना, स्टार्टअप, विश्वविद्यालय में तैयार किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप रोजगार ,स्किल सहित सभी विषयों में विश्वविद्यालय कार्य कर रहा है। उन्होंने जापान , जर्मनी में स्किल की माँग के बारे में विस्तार से जानकारी दी और यही भी बताया कि स्किल्ड नहीं होने के कारण हम वह माँग पूरी नहीं कर पा रहे हैं।


इस अवसर पर कुलपति डॉ.अरुण जोशी जी ने कहा कि किसान सबसे बड़ा उद्यमी है, जो हर बार बड़े से बड़ा नुकसान होने के बाद भी हर बार उतनी ही मेहनत करता है। किसान एक ऐसा व्यक्ति है ,जिसके लिए बाजार वह स्वयं तैयार नहीं करता दूसरे लोग उसके मेहनत का मूल्यांकन करते हैं। उन्होंने बताया कि सबसे बड़ा नवाचार कृषि से शुरू हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में ऐसे भी उत्पाद हैं जिसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। यदि सही दिशा में काम हो तो व्यक्ति, समाज और देश , को वेस्ट उत्पादन का लाभ मिल सकेगा. कार्यक्रम में उपस्थित आईसेक्ट ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटी की रजिस्टर डॉ. पुष्पा असिवाल ने कौशल विकास पर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि हम शैक्षणिक संस्थान हैं, इसलिए हमारी जिम्मेदारी सबसे पहले कौशल विकास में युवाओं को सही दिशा देने की है। उन्होंने कहा कि युवाओं को कौशल पर केंद्रित करने के लिए सबसे पहले पाठ्यक्रम, प्रतियोगिता, विचार विमर्श, संगोष्ठियाँ, और व्यवहारिक ज्ञान देना आवश्यक है। उन्होंने कौशल विकास के अनेक उदाहरण भी सबके सामने रखें। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. पद्मेश गुप्त (यू.के.) ने सभी वक्ताओं के विचारों को संयोजित करते हुए कहा की उद्यमी सपने में भी सोचता है ,उन्होंने यह भी बताया कि किसान नुकसान के बाद भी जोखिम लेता है इसलिए भारत के हर व्यक्ति को किसान की पूजा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा उद्यमी को मदद करती है। उन्होंने इस विषय पर अपने व्यक्तिगत अनुभव के कई उदाहरण भी सबके सामने रखें।


'होरी हो ब्रजराज' की रंगारंग लय-ताल पर थिरक उठा मॉरीशस

मॉरीशस–भारत, अमेरिका, यू.के., कतर, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, सूरीनाम, जापान, यू.ए.ई., दक्षिण कोरिया, केन्या, जर्मनी, साइप्रस, बहरीन, इंडोनेशिया, श्रीलंका, नेपाल, मलेशिया, रूस, नाइजीरिया, आदि देशों से पधारे रचनाकारों सहित मॉरीशस के कलाप्रेमी विश्व रंग के रंगों से हुए सराबोर

आसमान से उतरती गुनगुनी शाम जब रंगों की पुरखुश सौगात समेट लाई तो मन का मौसम भी खिल उठा। विश्व रंग 2024 के भव्य शुभारंभ वाली इस सुहानी शाम को विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के सभागार में 'होरी हो ब्रजराज' ने ऐसा ही समां बांधा। मुरली की तान उठी, ढोलक, मृदंग और ढप पर ताल छिड़ी, होरी के गीत गूँजे और नृत्य की अलमस्ती में हुरियारों के पाँव थिरके।  लोकरंगों की गागर छलकी तो मॉरीशस–भारत, यू.के., कतर, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया, सूरीनाम, 

जापान, यू.ए.ई., दक्षिण कोरिया, केन्या, जर्मनी, आइप्रस, बहरीन, इंडोनेशिया, श्रीलंका, नेपाल, मलेशिया, रूस, नाइजीरिया आदि देशों से पधारे रचनाकारों सहित मॉरीशस के कलाप्रेमी रसिकों का रेला भी उसकी आगोश में उमड़ आया।

विश्व रंग के मॉरीशस में एतिहासिक आयोजन के अवसर पर पुरू कथक अकादेमी, भोपाल (भारत) के कलाकारों द्वारा होरी हो ब्रजराज के माध्यम से प्रेम, सद्भाव और अमन की आरज़ुओं का यह अनूठा पैगाम वैश्विक स्तर पर गूंज उठा। कथक नृत्यांगना क्षमा मालवीय (भोपाल, भारत) के निर्देशन में कलाकारों ने  'होरी हो ब्रजराज' को अनूठा अंजाम दिया।

साहित्य और कलाओं के महोत्सव विश्वरंग के अन्तर्गत आयोजित श्रृंखलाबद्ध गतिविधियों में 'होरी हो ब्रजराज' एक अलहदा सांस्कृतिक प्रस्तुति के रूप में लोकप्रिय है। संगीत, नृत्य और ध्वनि-प्रकाश के अनोखे तालमेल से तैयार हुए भव्य प्रदर्शन की ख़ासियत उसका पारम्परिक स्वरूप है। वृन्दावन और गोकुल के गैल-गलियारों में कृष्ण-राधा तथा ग्वाल-बालों के संग खेली जा रही होली की मनोहारी छवियों के साथ ही यहाँ मिट्टी की सौंधी गंध से सराबोर लोक धुनों और संगीत का आनंद है। सदियों से ब्रज और मैनपुरी के इलाकों में आज भी ये होलियाँ गायी जाती हैं। इन होलियों में भारतीय जीवन और संस्कृति के आदर्श मूल्य हैं। भक्ति और प्रेम के रंग है। 



परम्परा के होरी गीतों ने मन मोहा

इस दौरान होरी के पारंपरिक गीतों में “चलो सखी जमुना पे मची आज होरी...”, “यमुना तट श्याम खेलत होरी...”, “बरजोरी करें रंग डारी...”, “बहुत दिनन सों रूठे श्याम...”, “मैं तो तोही को ना छाडूंगी...” और “रंग में बोरो री...” ने उपस्थित दर्शकों का मन मोहा। 

वरिष्ठ कवि-कथाकार, विश्व रंग के निदेशक एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे की परिकल्पना से तैयार हुई लगभग डेढ़ घंटे की इस प्रस्तुति में ब्रज और मैनपुरी के तेरह पारम्परिक होली गीतों को शामिल किया गया। इन गीतों के साथ जुड़े प्रसंगों और संगीत-नृत्य के पहलुओं को कला समीक्षक और उद्घोषक श्री विनय उपाध्याय ने बखूबी पेश किया। प्रकाश परिकल्पना का सुंदर संयोजन वरिष्ठ रंगकर्मी अनूप जोशी बंटी ने किया। 



उल्लेखनीय है कि मॉरीशस में प्रस्तुत रंगारंग इन होरी गीतों का संगीत समन्वय और गायन समूह में संतोष कौशिक, राजू राव, कैलाश यादव, उमा कोरवार, आनंद भट्टाचार्य, वीरेन्द्र कोरे आदि कलाकारों की भागीदारी रही है। तकनीकी सहयोग आईसेक्ट स्टुडियो और आरएनटीयू स्टुडियो का रहा है।

विश्व रंग के स्वप्नदृष्टा, टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे, इलेक्ट्रॉनिकी की संपादक डा. विनीता चौबे, स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, भोपाल (भारत) के कुलाधिपति एवं विश्व रंग के सह निदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने होरी को ब्रजराज के कलाकारों का अभिनंदन किया। 

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