वीके

वीके बाथम: प्रशासनिक सेवा में समर्पण और निस्वार्थ भावना का प्रतीक

प्रशासनिक सेवा में एक ऐसा नाम, जो ऊंची सोच और निस्वार्थ सेवा के लिए जाना जाता है, वो हैं भारतीय प्रशासनिक सेवा (से.नि) पूर्व आईएएस वीरेंद्र कुमार बाथम। जिन्होंने विशेष साक्षात्कार के दौरान इंडिया न्यूज विस्टा से अपने अनुभव साझा किए।

भोपाल। भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी वीके बाथम ने अपनी प्रशासनिक यात्रा में कई उत्कृष्ट और जनकल्याणकारी पहल कीं। उनकी सोच और सेवा का दायरा न केवल प्रशासनिक क्षेत्रों तक सीमित रहा, बल्कि समाज के हर तबके के विकास और उत्थान के लिए समर्पित रहा। सेवानिवृत्ति के बाद भी उनका संघर्ष समाज की भलाई के लिए जारी रहा। उनके अनुभव, उनके विचार और उनके द्वारा किए गए कार्यों ने समाज में एक अमिट छाप छोड़ी है। 

वीके बाथम का प्रशासनिक और सामाजिक जीवन समर्पण, निस्वार्थ सेवा और ऊंची सोच का एक आदर्श उदाहरण है। उनके द्वारा किए गए कार्य न सिर्फ मप्र शासन में बल्कि पूरे भारत में समाज के कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए एक प्रेरणा बने हुए हैं।


प्रश्न: आपका प्रशासनिक जीवन काफी प्रभावशाली रहा है। आपने जनकल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत कैसे की और इसका प्रेरणा स्रोत क्या था ?

वीके बाथम : मेरी हमेशा से यही सोच रही है कि सरकार का काम केवल नीतियां बनाना नहीं है, बल्कि उन नीतियों को इस तरह से लागू करना है कि हर व्यक्ति को उनका लाभ बिना किसी परेशानी के मिले। जब मैंने मप्र शासन में अपनी सेवाएं शुरू कीं, तो मैंने देखा कि लोग अपने अधिकारों के लिए बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। यह देखकर मैंने महसूस किया कि हमें एक ऐसा सिस्टम तैयार करना चाहिए जिससे लोगों को उनके अधिकार आसानी से मिल सकें, बिना आवेदन किए या बिना किसी मुश्किल के। इसी सोच ने मुझे समग्र पोर्टल बनाने के लिए प्रेरित किया। यह पोर्टल एक क्रांतिकारी कदम था, जिसके माध्यम से लाखों लोगों को उनके अधिकार मिलने की प्रक्रिया सुगम और तेज हो गई।

प्रश्न : समग्र पोर्टल का निर्माण आपके सबसे बड़े योगदानों में से एक है। इसे क्रियान्वित करने के दौरान कौन-कौन सी चुनौतियां आईं?

वीके बाथम : चुनौतियां तो हर नए काम में आती हैं। सबसे बड़ी चुनौती थी इस सिस्टम को सभी तक पहुंचाना और इसे प्रभावी बनाना। यह सुनिश्चित करना जरूरी था कि हर व्यक्ति को उसकी जानकारी और सहायता सही समय पर मिले। इसके अलावा, प्रशासनिक स्तर पर भी काफी विरोध हुआ। कई बार स्थानांतरण हुए, लेकिन मेरा उद्देश्य था कि जनसेवा में कोई रुकावट न आए। हालांकि, अंत में, मैंने देखा कि लोगों को इससे काफी लाभ मिला, और यह मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि रही।

प्रश्न: आपने विकलांग लोगों के लिए स्पर्श अभियान भी चलाया, इसके बारे में बताएं।

वीके बाथम: विकलांग लोग हमारे समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, लेकिन अक्सर उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है। स्पर्श अभियान का उद्देश्य यही था कि विकलांग लोगों को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप सुविधाएं और अधिकार मिलें। यह अभियान सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन था, जिसमें विकलांग लोगों की शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई कदम उठाए गए।

प्रश्न: आपने सिर्फ प्रशासनिक सेवा में ही नहीं, बल्कि समाज सेवा में भी उल्लेखनीय काम किया है। आपने जल भूमि अधिकार परिषद का गठन किया। इसके पीछे क्या उद्देश्य था?

वीके बाथम : मैंने महसूस किया कि जलवासी समाज, जो नदियों और जल निकायों के किनारे रहते हैं, उनके अधिकारों की अक्सर अनदेखी की जाती है। यह समाज जल के प्रति पूरी तरह निर्भर होता है, लेकिन उनके पास भूमि अधिकार नहीं होते। इसलिए मैंने जल भूमि अधिकार परिषद का गठन किया, जिसका उद्देश्य इन समुदायों को उनके हक दिलाना और उन्हें न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करना है। यह परिषद अब पूरे भारत में काम कर रही है और जलवासी समाज के अधिकारों के लिए एक बड़ा अभियान चला रही है।

प्रश्न: आपके द्वारा किए गए कार्यों की हर सरकार में सराहना की गई। बीजेपी सरकार ने भी आपकी योजनाओं को अपनाया और क्रियान्वित किया। इसके बारे में आपका क्या कहना है?

वीके बाथम: मेरा मानना है कि जनकल्याणकारी योजनाएं किसी राजनीतिक दल की नहीं होतीं। जब कोई योजना जनता के हित में होती है, तो उसे हर सरकार को अपनाना चाहिए। मैं खुश हूं कि बीजेपी सरकार ने मेरी योजनाओं को अपनाया और उन्हें आगे बढ़ाया। इससे साबित होता है कि अगर योजना सही दिशा में होती है, तो उसे कोई भी सरकार क्रियान्वित कर सकती है।

प्रश्न: आपने हरदा और छतरपुर जैसे स्थानों पर कलेक्टर के रूप में सेवाएं दीं, जहां आपकी पहल 'दो रुपये थाली' योजना आज भी याद की जाती है। इस योजना का विचार कैसे आया?

वीके बाथम: हरदा और छतरपुर जैसे स्थानों पर रहते हुए मैंने देखा कि कई मरीज और उनके परिजन अस्पतालों में खाना तक नहीं जुटा पाते थे। उन्हें दिनभर भूखे रहना पड़ता था। इसी समस्या का समाधान करने के लिए हमने "दो रुपये थाली" योजना शुरू की, जिससे हर व्यक्ति को कम कीमत पर भरपेट भोजन मिल सके। यह योजना सिर्फ भोजन नहीं थी, बल्कि मानवीय संवेदना का एक उदाहरण थी, जो लोगों को मदद और सहारा देने के लिए बनाई गई थी।

प्रश्न: आपकी प्रशासनिक सेवा में इतनी बड़ी जिम्मेदारियों को संभालने के बावजूद आपने सामाजिक न्याय और विकास के लिए समय निकाला। आपकी सोच और प्राथमिकताएं क्या थीं?

वीके बाथम: मेरी प्राथमिकता हमेशा वही रही है- जनता की सेवा और उनका कल्याण। चाहे वह सामाजिक न्याय हो, विकलांगों की मदद हो, या फिर जलवासी समाज के अधिकारों की बात हो, मैंने हमेशा अपने दायित्वों को गंभीरता से निभाया। मैं मानता हूं कि जब तक आप जनता की समस्याओं को समझकर उनके समाधान के लिए काम नहीं करेंगे, तब तक आपका प्रशासनिक पद केवल एक औपचारिकता रह जाएगा।

प्रश्न: आपने जिन विभागों में सेवाएं दीं, उनके बारे में भी कुछ बताएं। आपने कई महत्वपूर्ण विभागों में सेवाएं दीं जैसे कि सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग, राजस्व विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग, और अन्य।

वीके बाथम: हां, मैंने कई विभागों में सेवाएं दीं और हर विभाग में मेरी कोशिश यही रही कि कैसे लोगों के जीवन में सुधार लाया जा सके। सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग में रहते हुए मैंने विकलांग लोगों और समाज के पिछड़े वर्गों के लिए कई योजनाएं शुरू कीं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में भी मैंने उनके अधिकारों और कल्याण के लिए कई पहल कीं। हर विभाग में काम करते हुए मेरी यही सोच रही कि कैसे समाज के हर वर्ग को बेहतर अवसर और सुविधाएं मिल सकें।

प्रश्न: आपकी सोच और योजनाएं कांग्रेस के 2018 और 2023 के वचन पत्रों में भी परिलक्षित हुईं। इसके बारे में आपका क्या कहना है?

वीके बाथम : कांग्रेस के वचन पत्रों में मेरी योजनाओं का शामिल होना मेरे लिए एक सम्मान की बात थी। 2018 और 2023 के वचन पत्रों में मेरी सोच और योजनाओं को जगह दी गई, जिससे मुझे यह विश्वास हुआ कि मेरे काम की सराहना हो रही है। यह दिखाता है कि जब आप सही दिशा में काम करते हैं, तो उसका प्रभाव दीर्घकालिक होता है।

प्रश्न: अंत में, आपको किस बात का सबसे ज्यादा गर्व है?

वीके बाथम : मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने अपने जीवन का हर दिन जनता की सेवा में समर्पित किया। चाहे वह प्रशासनिक सेवा हो या समाज सेवा, मेरा उद्देश्य हमेशा एक ही रहा है - लोगों के जीवन को बेहतर बनाना। जब मुझे यह पता चलता है कि मेरी योजनाओं से लोगों को फायदा हो रहा है, तो वही मेरे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।

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