भोपाल। शिक्षक दिवस के अवसर पर आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र, स्वर्ण जयंती पार्क, कोलार रोड, में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर केंद्र के संचालक योग गुरु महेश अग्रवाल और नियमित योग साधिका श्रद्धा गनपते का जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर योग गुरु महेश अग्रवाल ने योग और शिक्षा के बीच के गहरे संबंध को रेखांकित किया, जो आज के शिक्षकों और छात्रों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य रमेश संगमकर, संजय शर्मा, सुनील सोलंकी, बैजनाथ भगत, संजय गुप्ता, अशोक फूलवानी, सुदीपा रॉय, सुनीता जोशी, भावना शर्मा, सुरेखा चावला, लता बंजारी, आशा गजभिये, सारंगा नगरारे, श्वेता केंदुलकर, हंसा चौहान, उषा सोनी सहित अन्य प्रमुख गणमान्य उपस्थित रहे। सभी ने योग गुरु महेश अग्रवाल और श्रद्धा गनपते को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और योग के महत्व पर चर्चा की।
शिक्षक दिवस का महत्त्व
योग गुरु महेश अग्रवाल ने शिक्षक दिवस के अवसर पर बताया कि 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन होता है। शिक्षा के प्रति उनके अपार योगदान और समर्पण को देखते हुए, उनके जन्मदिन को पूरे देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन शिक्षकों को सम्मानित करने और शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा दिए गए अमूल्य योगदान को सराहने का अवसर प्रदान करता है।
अग्रवाल ने बताया कि आजकल शिक्षा क्षेत्र में अधिक से अधिक शिक्षक योग का अभ्यास कर रहे हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि शिक्षण प्रक्रिया बेहद थका देने वाली होती है। शिक्षकों को कक्षाओं में लगातार बोलना, छात्रों पर ध्यान देना और उनके साथ संवाद स्थापित करना होता है, जिससे उनकी ऊर्जा क्षीण हो जाती है। योग शिक्षक की इस क्षीण हुई ऊर्जा को पुनः प्राप्त करने का माध्यम बनता है।
उन्होंने बताया कि आज के समय में शारीरिक श्रम कम हो गया है, परंतु मानसिक श्रम और तनाव में वृद्धि हुई है। पहले लोग कठिन शारीरिक कार्य करते थे जैसे लकड़ी काटना, पानी खींचना आदि, लेकिन अब शिक्षकों को मानसिक परिश्रम के कारण भी अधिक थकावट महसूस होती है। योग इस थकान को दूर करने और शरीर को फिर से सक्रिय करने का सबसे प्रभावी तरीका है। विशेष रूप से शिक्षकों के लिए, जो दिनभर छात्रों के साथ संवाद में होते हैं, योग अभ्यास से शारीरिक और मानसिक ऊर्जा की पुनः प्राप्ति होती है।
शिक्षक कक्षा में निरंतर बोलते रहते हैं, जिससे उनकी आवाज और ऊर्जा प्रभावित होती है। योग गुरु महेश अग्रवाल ने कहा कि यदि शिक्षक प्रतिदिन कम से कम चौबीस बार सस्वर 'ॐ' मंत्र का उच्चारण करें, तो इससे उनकी आवाज में सुधार होता है और ऊर्जा का क्षय भी कम होता है। इस प्रकार, शिक्षक बिना अधिक थकावट के लंबे समय तक प्रभावी ढंग से छात्रों को पढ़ा सकते हैं।
अग्रवाल ने यह भी बताया कि पारंपरिक कक्षाओं में शिक्षक बच्चों के साथ जिन समस्याओं का सामना करते हैं, योग उन्हें दूर करने में मदद कर सकता है। बच्चों की स्वाभाविक क्रियाशीलता को नियंत्रित करना शिक्षकों के लिए एक बड़ी चुनौती होती है। कक्षा में बच्चों को लंबे समय तक एक ही स्थान पर बैठे रहना पड़ता है, जिससे वे चिड़चिड़े और अशांत हो जाते हैं। शिक्षक उन्हें शांत रहने और ध्यान देने के लिए कहते हैं, लेकिन कभी-कभी यह समझ पाना मुश्किल होता है कि कैसे शांत रहें और ध्यान केंद्रित करें।
योग अभ्यास से बच्चे शांत और एकाग्र हो सकते हैं। योग से शरीर और मन के बीच संतुलन स्थापित होता है, जो छात्रों को मानसिक रूप से तैयार करता है कि वे कक्षा में बेहतर ढंग से ध्यान दे सकें और शिक्षक की बातों को सुन सकें।
अग्रवाल ने बताया कि योग न केवल छात्रों के लिए बल्कि शिक्षकों के लिए भी बेहद फायदेमंद है। शिक्षण प्रक्रिया के दौरान शिक्षक तनावग्रस्त हो जाते हैं। उन्हें निरंतर सतर्क रहना पड़ता है, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा क्षीण होती है। योग अभ्यास से यह तनाव दूर होता है और शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन बेहतर ढंग से कर सकते हैं।
शिक्षकों को दिनभर कक्षा में बच्चों के साथ संवाद स्थापित करना होता है, जिससे उनकी ऊर्जा का क्षय होता है। योग गुरु महेश अग्रवाल ने इस अवसर पर बताया कि जब शिक्षक नियमित रूप से योग का अभ्यास करते हैं, तो उनकी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा दोनों का पुनर्भरण होता है। इससे वे कक्षा में अधिक प्रभावी ढंग से पढ़ा सकते हैं।
शिक्षा केवल छात्रों के मानसिक विकास पर केंद्रित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उनके शारीरिक और मानसिक संतुलन पर भी ध्यान देना चाहिए। योग बच्चों के शरीर और मन के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद करता है। बच्चों को केवल बौद्धिक विकास पर ध्यान केंद्रित करने के बजाए, योग के माध्यम से उनके समग्र व्यक्तित्व के विकास को प्रोत्साहित करना चाहिए।
उदाहरण के रूप में योग से छात्रों की श्वसन प्रणाली में सुधार होता है, जिससे वे बेहतर ढंग से सीख सकते हैं और कक्षा में अधिक एकाग्रता से ध्यान दे सकते हैं। योग से छात्रों की मानसिक समस्याओं जैसे ध्यान भटकना, तनाव और थकावट का भी समाधान किया जा सकता है।
शिक्षक का आत्मविकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। जब शिक्षक स्वयं योग का अभ्यास करते हैं, तो वे अपनी मानसिक और शारीरिक स्थिति को बेहतर बना सकते हैं। इससे न केवल उनकी ऊर्जा में वृद्धि होती है, बल्कि वे अपने छात्रों के साथ भी बेहतर संवाद स्थापित कर पाते हैं।
शिक्षकों को आत्मानुशासन के माध्यम से अपने जीवन को बदलने का प्रयास करना चाहिए। योग उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है और उनके शिक्षण में भी सुधार करता है। जब शिक्षक खुद को तरोताजा महसूस करते हैं, तो वे अपने छात्रों के साथ अधिक प्रभावी ढंग से संवाद कर सकते हैं और उन्हें बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकते हैं।
आदर्श योग आध्यात्मिक केंद्र में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम ने योग और शिक्षा के गहरे संबंध पर जोर दिया। योग गुरु ने बताया कि योग शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। योग के माध्यम से शिक्षक और छात्र दोनों अपने जीवन में संतुलन और सकारात्मकता प्राप्त कर सकते हैं। इस अवसर पर उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों ने भी योग के महत्त्व को समझा और इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाने का संकल्प लिया।
योग गुरु महेश अग्रवाल का संदेश था कि यदि शिक्षक और छात्र दोनों नियमित रूप से योग का अभ्यास करें, तो शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक विकास में भी सहायक होता है। इस प्रकार योग शिक्षा के क्षेत्र में एक सशक्त माध्यम बनकर उभर रहा है, जो आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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