भोपाल। वरिष्ठ योग साधकों ने हाल ही में आयोजित एक भव्य समारोह में वरिष्ठ योग गुरु पुष्पा भदौरिया और योग गुरु महेश अग्रवाल का पुष्प माला, शाल और श्रीफल उपहार के साथ सम्मान किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से वरिष्ठ नरेश कुमार सिंह भदौरिया, रमेश कुमार साहू, मनीषा श्रीवास्तव, किरण जौहरी, सुनीता तेजवानी, प्रीति सेठ, दीप्ती दूरवार, ज्योति खरे, ज्योति परिहार, आरती नायक सहित सभी नियमित योग साधक उपस्थित रहे। समारोह की शुरुआत गणेश वंदना और दीप प्रज्वलन से हुई। इसके पश्चात पुष्पा भदौरिया और महेश अग्रवाल को मंच पर आमंत्रित किया गया और उन्हें पुष्प माला, शाल और श्रीफल भेंट किए गए। इस अवसर पर उपस्थित सभी योग साधकों ने उनके प्रति अपना आदर और सम्मान व्यक्त किया।
योग गुरु महेश अग्रवाल ने इस मौके पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि आध्यात्मिक विकास में गुरु की आवश्यकता पर विचार करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, क्या आध्यात्मिक विकास में गुरु की सचमुच आवश्यकता होती है ? यह प्रश्न सभी युगों में उठाया गया है। कई लोग सोचते हैं कि गुरु जरूरी नहीं है, जबकि अन्य बहुत लोगों का विश्वास है कि गुरु नितान्त आवश्यक है। वास्तव में मूल गुरु और भगवान अपने अंदर ही हैं, लेकिन उन्हें देख और समझ पाना बहुत कठिन है। इसलिए अपने बाहर उनकी प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति की जरूरत होती है। इसी कारण अधिकांश अध्यात्म-साधकों के गुरु शरीर-रूप में होते हैं।
महेश अग्रवाल ने गुरु के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि गुरु ही नहीं, बल्कि माता, पिता, भाई, पति, पुत्र ये सब भी हमारे अपने अंदर ही होते हैं। वे हमारी भावनाओं के विभिन्न स्वरूप हैं। पुष्पा भदौरिया ने अपने वक्तव्य में कहा कि योग केवल शारीरिक क्रियाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आध्यात्मिक विकास का साधन भी है। उन्होंने बताया कि योग के माध्यम से हम अपने आंतरिक शांति और संतुलन को प्राप्त कर सकते हैं, और यही हमें जीवन के विभिन्न चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाता है।
समारोह में उपस्थित सभी साधकों ने गुरुजनों के विचारों को सुनकर उनसे प्रेरणा प्राप्त की। इस मौके पर कई साधकों ने अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे योग ने उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। समारोह के अंत में सभी ने सामूहिक ध्यान और प्रार्थना में भाग लिया, जिससे वातावरण में एक अद्भुत ऊर्जा का संचार हुआ। इस कार्यक्रम के आयोजन में सभी उपस्थित सदस्यों का योगदान सराहनीय रहा। इस प्रकार के आयोजनों से न केवल योग का प्रचार-प्रसार होता है, बल्कि साधकों के बीच आपसी सहयोग और समर्पण की भावना भी बढ़ती है। समारोह के अंत में सभी ने प्रसाद ग्रहण किया और इस संकल्प के साथ विदा हुए कि वे योग के माध्यम से न केवल अपने शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को सुधारेंगे, बल्कि समाज में भी योग के महत्व को प्रचारित करेंगे।
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