भोपाल। बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के यूआईटी गणित विभाग द्वारा 'विकसित भारत 2047' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह आयोजन विशेष रूप से भारत के भविष्य के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें शिक्षा और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उभरती प्रवृत्तियों पर गहन चर्चा की गई।
संगोष्ठी का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसके जैन के मुख्य आतिथ्य में हुआ। प्रोफेसर जैन ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत की तरक्की के लिए युवाओं का कौशल विकास और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी नवीन तकनीकों की समझ आवश्यक है। उन्होंने इस कार्यक्रम को 'विकसित भारत 2047' के दृष्टिकोण से जोड़ते हुए कहा कि यह संगोष्ठी नए भारत की दिशा में एक मजबूत कदम है।
कार्यक्रम की संरचना और विशेष अतिथियों का योगदान
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता यूआईटी डायरेक्टर प्रोफेसर नीरज गोड ने की, जबकि कुलसचिव डॉ. आईके मंसूरी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। दोनों अतिथियों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए छात्रों को तकनीकी और शैक्षिक जगत में हो रहे बदलावों के प्रति जागरूक किया। विशेष रूप से, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले वर्षों में भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लिए शिक्षा प्रणाली में कौशल-आधारित सुधार और तकनीकी उन्नति आवश्यक हैं।
इस संगोष्ठी के आयोजन की जिम्मेदारी यूआईटी गणित विभाग की विभागाध्यक्ष, डॉ. गरिमा सिंह ने बखूबी निभाई। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करना और उन्हें तकनीकी विकास की दुनिया में मार्गदर्शन प्रदान करना था।
कार्यक्रम के दो चरण: कौशल और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर केंद्रित चर्चा
संगोष्ठी दो चरणों में संपन्न हुई। पहले चरण में 'कौशल आधारित शिक्षा सफलता की कुंजी है' विषय पर चर्चा की गई। इसमें वक्ताओं ने बताया कि भविष्य में केवल वही छात्र सफल हो पाएंगे जो न केवल सैद्धांतिक ज्ञान रखते हैं, बल्कि व्यावहारिक कौशल में भी निपुण होते हैं। इस चर्चा में छात्रों और शिक्षकों ने भी भाग लिया और कौशल विकास के महत्व पर अपने विचार रखे। वक्ताओं ने यह भी कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत कौशल आधारित शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है, जो भारत के विकसित राष्ट्र बनने के लिए महत्वपूर्ण है।
दूसरे चरण में 'कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के युग में अभियंताओं की उभरती भूमिका' पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में छात्रों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और एआई तकनीक के विभिन्न पहलुओं पर अपने तर्क प्रस्तुत किए। प्रतियोगिता का फाइनल राउंड विशेष रूप से दिलचस्प था, जिसमें छात्रों ने तर्कों की गुणवत्ता, प्रस्तुति कौशल, नियमों का पालन और दर्शकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का सटीक जवाब देने पर ध्यान केंद्रित किया। प्रतियोगिता में आए प्रश्नों और दिए गए प्रत्युत्तर ने छात्रों की गहन समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता को प्रदर्शित किया।
प्रतियोगिता में विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों की भागीदारी
इस कार्यक्रम में लगभग 50 टीमों ने भाग लिया, जिनमें एमसीयू, सम विश्वविद्यालय, एलएनसीटी, आरजीपीवी, सरोजिनी नायडू, आईईएचई, करियर कॉलेज, संत हिरदाराम और बीएसएसएस जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल थे। इतनी बड़ी संख्या में प्रतिष्ठित संस्थानों की भागीदारी इस संगोष्ठी की सफलता और इसकी व्यापक पहुंच को दर्शाती है। यह सहभागिता स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि 'विकसित भारत 2047' के दृष्टिकोण के प्रति शैक्षिक संस्थानों में गहरी रुचि और प्रतिबद्धता है।
छात्रों के लिए सीखने और विकास का अवसर
इस संगोष्ठी ने छात्रों को अपने विचार व्यक्त करने और कौशल विकास में महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान किया। यह न केवल एक शैक्षणिक चर्चा का मंच था, बल्कि छात्रों के व्यक्तिगत विकास के लिए भी महत्वपूर्ण अवसर था। कार्यक्रम में भाग लेने वाले छात्रों ने कहा कि यह आयोजन उन्हें अपने करियर और भविष्य की दिशा में नई प्रेरणा और समझ प्रदान करता है। साथ ही, उन्हें एआई और कौशल आधारित शिक्षा के महत्व के बारे में गहराई से जानने का अवसर मिला।
नई चुनौतियों के लिए रहे तैयार
बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के यूआईटी गणित विभाग द्वारा आयोजित यह एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी न केवल छात्रों और शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव था, बल्कि यह 'विकसित भारत 2047' के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक कदम भी था। इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि भारत की प्रगति और विकास के लिए शिक्षा और तकनीकी कौशल का सम्मिलित विकास अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में आए अतिथियों और शिक्षकों ने भविष्य के अभियंताओं और शिक्षाविदों को नई चुनौतियों के लिए तैयार रहने की सलाह दी, ताकि वे आने वाले समय में भारत को विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
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