वनमाली

वनमाली सृजन केंद्र, भोपाल की स्थापना, डॉ. वीणा सिन्हा अध्यक्ष और विशाखा राजुरकर संयोजक नियुक्त

वनमाली सृजन पीठ: साहित्य, संस्कृति और सृजन की नई उड़ान, भोपाल इकाई की घोषणा

भोपाल। वनमाली सृजन पीठ, जो पिछले 30 वर्षों से साहित्य, संस्कृति और सृजन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रही है, ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए भोपाल में अपनी नई इकाई, "वनमाली सृजन केंद्र" की स्थापना की घोषणा की है। इस इकाई के गठन की घोषणा वनमाली सृजन पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष चौबे ने की। यह केंद्र हिंदी साहित्य और विभिन्न भारतीय बोलियों के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ युवाओं और वरिष्ठ रचनाकारों को एक मंच पर लाने का कार्य करेगा।

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. वीणा सिन्हा को वनमाली सृजन केंद्र, भोपाल इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जबकि संजय सिंह राठौर को उपाध्यक्ष, विशाखा राजुरकर राज को संयोजक और डॉ. सावित्री सिंह परिहार को सह-संयोजक के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई। साथ ही वरिष्ठ कथाकार मुकेश वर्मा और डॉ. विनीता चौबे को इस इकाई का संरक्षक नियुक्त किया गया है। कार्यकारिणी में साहित्य, कला और सामाजिक सरोकारों से जुड़े विभिन्न व्यक्तित्वों को सम्मिलित किया गया है, जिनमें डॉ. रक्षा दुबे चौबे, सुरेश पटवा, पियुष चतुर्वेदी, डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी, कुणाल सिंह, डॉ. नेहल शाह, बद्र वास्ती, महीप निगम, मोहन सगोरिया, मुदित श्रीवास्तव, डॉ. मौसमी परिहार और प्रशांत सोनी शामिल हैं।


साहित्यिक धरोहर का संरक्षण और संवर्धन

वनमाली सृजन केंद्र, भोपाल इकाई का मुख्य उद्देश्य साहित्य की विभिन्न विधाओं और हिंदी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ युवाओं और वरिष्ठ रचनाकारों के बीच समन्वय स्थापित करना है। यह केंद्र साहित्यिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन करेगा, जिसमें न केवल भोपाल बल्कि देशभर के साहित्य प्रेमी और रचनाकार भाग लेंगे।

वनमाली सृजन पीठ का इतिहास और उद्देश्य

वनमाली सृजन पीठ की स्थापना सुप्रसिद्ध कथाकार और शिक्षाविद् जगन्नाथ प्रसाद चौबे 'वनमाली' जी की स्मृति में की गई थी। उनके रचनात्मक योगदान को समर्पित यह पीठ साहित्य, संस्कृति और सृजन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है। पिछले 30 वर्षों से वनमाली सृजन पीठ साहित्यिक धरोहर के संरक्षण के साथ-साथ परंपरा और आधुनिकता के बीच संवाद स्थापित करने का कार्य कर रही है।

इस दौरान, वनमाली सृजन पीठ ने हिंदी और भारतीय भाषाओं के विकास के लिए समर्पित लेखकों को विभिन्न प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत किया है। इनमें वनमाली कथाशीर्ष सम्मान, वनमाली राष्ट्रीय कथा सम्मान, वनमाली प्रवासी भारतीय कथा सम्मान, वनमाली विज्ञान कथा सम्मान, वनमाली मध्य प्रदेश कथा सम्मान, वनमाली युवा कथा सम्मान, वनमाली कथा आलोचना सम्मान और वनमाली साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान प्रमुख हैं। ये सम्मान उन साहित्यकारों को दिए जाते हैं जिन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है।


177 से अधिक सृजन केंद्रों की स्थापना

वनमाली सृजन पीठ ने देशभर में सृजन केंद्रों की स्थापना की है। वर्तमान में, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों में 177 से अधिक वनमाली सृजन केंद्र सक्रिय हैं। इन केंद्रों का उद्देश्य सुदूर अंचलों, गांव-कस्बों में कला, साहित्य और संस्कृति को बढ़ावा देना है। इन केंद्रों के माध्यम से स्थानीय रचनाकारों और युवाओं को एक मंच प्रदान किया जाता है, जहां वे अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन कर सकते हैं और साहित्यिक गतिविधियों में भाग ले सकते हैं।

पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा

वनमाली सृजन पीठ की एक और महत्वपूर्ण पहल "पुस्तक संस्कृति" को बढ़ावा देना है। इसके तहत सुदूर अंचलों में पुस्तक यात्राओं का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों स्थानीय रचनाकारों और लाखों युवाओं को साहित्य और सृजन के क्षेत्र से जोड़ा जाता है। इस प्रयास का उद्देश्य लोगों में पढ़ने की आदत विकसित करना और साहित्य के महत्व को समझाना है।

वैश्विक पहचान

वनमाली सृजन पीठ ने वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है। इसका एक उदाहरण "विश्वरंग अंतर्राष्ट्रीय साहित्य एवं कला महोत्सव" है, जिसने साहित्य, कला और संस्कृति के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक स्वर्णिम मुकाम हासिल किया है। इस महोत्सव ने साहित्यिक गतिविधियों को वैश्विक मंच पर ले जाकर हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं का प्रचार-प्रसार किया है।

India News Vista
432

Newsletter

Subscribe to our newsletter for daily updates and stay informed

Feel free to opt out anytime
Get In Touch

+91 99816 65113

contact@indianewsvista.in

Follow Us

© indianewsvista.in. All Rights Reserved.